For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

March 2011 Blog Posts (134)

ये "कैसी"... 'होली'...???

 

'हंसी-ठिठोली', मस्तियों की "टोली"... करें 'अठखेली', बन "हमजोली"...

हर 'साल' की तरह... लो फिर आई "होली"... ... ...…

Continue

Added by Julie on March 19, 2011 at 6:30pm — 9 Comments

होली

 

 

   यूकेलिप्टस से बाएं को मुडके...

   सफ़ेद कुरते में निकला था दिन अकेला सा..

   जेब में रख गुलाल की पुडिया..

   गाल उसका छुआ था...हौले से...

   सजा दिए थे सभी रंग एक ही पल में... नीले,पीले, गुलाबी और हरे..

  और एक रंग गिर गया था वहीँ...

  घर के बारामदे की चौखट…
Continue

Added by Sudhir Sharma on March 19, 2011 at 5:52pm — 3 Comments

ऐसे खेलो फाग

ऐसे खेलो फाग, राग -रंग मन में जागे.
नफ़रत रंग से यूँ धुल जाए, बस अपनापन लागे.
बस अपनापन लागे,यही होली का रंग है.
इसे खेलने का सबका,पर अपना -अपना ढंग है.
कोई दूर से भर पिचकारी,गोरा अंग भिंगाये.
कोई गोरे गाल पे मल-मल,लाल गुलाल लगाए.
दूर -दूर से देखके जिनको, थक गए थे ये  नैन.
वही खड़ी थी पास हमारे, होली की थी रैन.
होली की थी रैन, फ़ायदा झट से उठाया.
उनके रुखसारों पे, धीरे -धीरे रंग…
Continue

Added by satish mapatpuri on March 19, 2011 at 2:46pm — 5 Comments

कविता : - रंगों की बूँदें

 

कविता : - रंगों की बूँदें

लाल लाल हरी…

Continue

Added by Abhinav Arun on March 19, 2011 at 1:30pm — 3 Comments

मैं..

यूं तो गुज़री हूँ बहुत बार खुद की नज़रों से..

हो न यूं अबकी जो गुजरूँ  तो गुज़र ही जाऊं  मैं..


आईने ने बहुत है साथ निभाया मेरा ..
कहीं जाऊं…
Continue

Added by Lata R.Ojha on March 19, 2011 at 1:38am — 5 Comments

होली आई रे आई रे होली आई रे ,

होली आई रे आई रे होली आई रे ,

लेकर दोस्तों की तकरार ,

संग में चुनावी तेवहार ,

देखो दोस्त करे लड़ाई रे ,

होली आई रे आई रे होली आई रे ,

आगे पार्नव  की पुकार  ,

फिर दीदी का बेवहार ,

करे कभी मिलन कभी जुदाई रे ,

होली आई रे आई रे होली आई रे ,

कांग्रेस में मची हाहाकार ,

लाल भी थोड़ा परेशान ,

हिंदी भासियो की यहा नहीं कोई सुनवाई रे ,

होली आई रे आई रे होली आई रे ,

सबका डंका बाजे यार ,

जीतेगा होगी जय जयकार ,

जित के लिए हैं जरुरी… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 18, 2011 at 6:09pm — No Comments

holi hai

होली की मुबारकबाद के साथ आप के लिए चन्द दोहे
 
सहजन फूला साजना,महुआ हुआ कलाल
मौसम दारु बेचता,हाल हुआ बेहाल
 
गेंहू गाभिन गाय सा,चना खनकते दाम
महुआ मादक हो गया,बौराया है आम
 
गौरी है कचनार सी,नैनों भरा उजास
पिया बसंती हो गए,आया है मधुमास
 
फगुनाया मौसम हुआ,अलसाया सा गात
चौराहे होने लगी तेरी मेरी बात
 
सतरंगी है…
Continue

Added by ASHVANI KUMAR SHARMA on March 18, 2011 at 12:42pm — 4 Comments

और तभी सुनामी आती है !



है दंभ अब किन बातों का !
आंखे फाड़े काली रातों का !


विकट जो चुप्पी छाती है,
और तभी सुनामी आती है !


बौने से जो अब पेड़ खड़े,
साधी चुप्पी से मौन धरे !
ऐसी ऊँची झपटे मन को विकल कर जाती है!
और तभी सुनामी आती है !


देख अवयव अब मिश्रण का,
जो कहीं चूक हो जाती है ...
जीवन तरंग रेडियो सी बन जाती है !


भरते थे हुंकार शक्ति का,
हाथों…
Continue

Added by Sujit Kumar Lucky on March 18, 2011 at 9:06am — No Comments

जरा इधर भी करें नजरें इनायत

1. समारू - छग प्रदेशाध्यक्ष का फैसला होली के बाद होगा।

पहारू - ऐसी न जाने कितनी होली बीत गई है।





2. समारू - सुरेश कलमाड़ी से सीबीआई ने दूसरी बार पूछताछ की।

पहारू - जितनी बार पूछताछ कर ले, कमाई थोड़ी न कम पड़ने वाली है।





3. समारू - पायलटों ने फर्जी मार्कशीट से नौकरी हथिया ली।

पहारू - हर जगह फर्जी ही तो छाए हुए हैं।





4. समारू - जांच के बाद ही जापानी खाद्य वस्तुएं भारत आएंगी।

पहारू - तब तो चाइना के बल्ले-बल्ले।





5.… Continue

Added by rajkumar sahu on March 17, 2011 at 10:54pm — No Comments

mausam hai aata jaata hai

इस का कब पक्का नाता है 
मौसम है,आता, जाता है
 
सपनों को समझाऊँ कैसे 
जब जी चाहे तू आता है
 
कोई नदी दीवानी होगी 
तभी समंदर अपनाता है
 
सन्नाटा चाहे दिखता हो 
एक बवंडर गहराता है
 
बच्चा जब सीधा बूढ़ा हो
खून रगों में जम जाता है
 
जिन्हें चलाना आता,उन का
खोटा सिक्का चल जाता…
Continue

Added by ASHVANI KUMAR SHARMA on March 17, 2011 at 10:19pm — 1 Comment

कुछ क्षणिकाएं..

कलियाँ फूट रहीं हैं यादों की शाखों में,
कुछ ख्वाब सजे हैं इन सूनी आँखों में..

भींगी-भींगी सी शक्लों में शक्लें हैं फूलों की.
फूलों सी तितलियों या तितलियाँ फूलों सी.

न पूछो मेरी मंजिल क्या है.. अभी तो बस इरादा किया है..
न हारेंगे कभी उम्र भर, किसी और से नहीं, खुद से कहा है

ये जीवन पथ है अद्वितीय, मत 'लीक' पकड़ कर चला करो..
खुद खोजो अपनी राह नयी, खुद दीपक बनकर जला करो..

Added by Pranjal Mishra on March 17, 2011 at 9:55pm — No Comments

बहरीन में विदेशी फ़ौजी दख़ल: सऊदी/वहाबी साम्राज्यवादी महत्वकाक्षाऐं

 
फ़ेसबुक पर मेरी ६ मार्च की पोस्ट से उद्धरत:-

"राजा अब्दुल्लाह इसे आवामी जन विद्रोह को शिया विद्रोह- इरानी षडयन्त्र के नाम पर

क्रूरतापूर्वक दमन कर दे."




आज जब इस वक्त मैं यह लिख रहा हूँ, बुधवार की रात

को पर्ल चौक बहरीन पर सऊदी सैनिकों की उपस्थिती में एक नीम फ़ौजी कार्यवाही करके

वहां गत दो माह से चल रहे…
Continue

Added by Shamshad Elahee Ansari "Shams" on March 17, 2011 at 6:49pm — No Comments

इन अकेली वादियों में चले आये

इन अकेली वादियों में चले आये

(मधु गीति सं. १७१७, दि. १० मार्च, २०११)

 

इन अकेली वादियों में चले आये, भरा सुर आवादियों का छोड़ आये;

गान तुम निस्तब्धता का सुन हो पाये, तान नीरवता की तुम खोये सिहाये.…

Continue

Added by GOPAL BAGHEL 'MADHU' on March 17, 2011 at 1:06pm — 2 Comments

कुछ धुंआ धुंआ...



सूना सा है वो घर अब ..बहुत बदला हुआ ..
यादों का जमघट भी है ..कुछ..धुंआ धुंआ..
निगाहें  हर बार उस चौखट पे जा पहुँचती है....…
Continue

Added by Lata R.Ojha on March 17, 2011 at 1:34am — 1 Comment

ग़ज़ल - उजाले कैद हैं कुछ मुट्ठियों में

OBO पर आकर बहुत अच्छा लगा. यहाँ पर एक से एक उस्ताद शायर और कवियों की रचनाएं पढ़कर आनंद आ गया.

अपनी एक नयी ग़ज़ल पेश कर रहा हूँ, आप सब से मार्गदर्शन की आशा है.



अँधेरा है नुमायाँ बस्तियों में

उजाले कैद हैं कुछ मुट्ठियों में



ये पीकर तेल भी, जलते नहीं हैं…

Continue

Added by Saahil on March 16, 2011 at 8:07pm — 11 Comments

संगदिल शहर

Added by अमि तेष on March 16, 2011 at 12:30pm — 4 Comments

व्यंग्य - महंगाई का निचोड़पन

महंगाई का सिर दर्द लोगों में खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। कोई दवा भी काम नहीं आ रही है और सरकार की अधमने उछल-कूद भी बेकार साबित हो रही है। एक समय दाल, भोजन की थाली से गायब हो गई। फिर बारी आई, प्याज की। प्याज ने तो इस तरह खून के आंसू रूलाए, जिसे न तो जनता भूल पाई है और न ही सरकार। जनता तो जैसे-तैसे प्याज के सदमे से उबर रही है, मगर सरकार, प्याज के दंभी रूख के कारण अभी भी विपक्ष के निशाने पर है। बेसुध महंगाई को चिंता ही नहीं कि सरकार से उसकी दुश्मनी, जनता पर कितनी भारी पड़ रही है ? सरकार के… Continue

Added by rajkumar sahu on March 15, 2011 at 1:52am — No Comments

जरा इधर भी करें नजरें इनायत

1. समारू - जाटों ने ओबीसी आरक्षण के लिए आर-पार की लड़ाई शुरू कर दी है।

पहारू - आरक्षण का झमेला तो राजनीतिक पार्टियों ने वोट के लिए पाल रखी है।



2. समारू - टैक्स पर इनकम बटोरने वाला एक और नाम आया।

पहारू - जितनी कमाई, उतनी टैक्स चोरी, खुली छूट है।



3. समारू - छग विधानसभा में कांग्रेस, भाजपा सरकार को घेरने में सफल नजर आ रही है।

पहारू - इतनी एकजुटता दिखाकर चुनाव में मेहनत करते तो विपक्ष में नहीं रहते।



4. समारू - पूर्व राज्यपाल एनडी तिवारी की…

Continue

Added by rajkumar sahu on March 15, 2011 at 12:10am — No Comments

प्रिय अभी

प्रिय अभी 

मै न चाहते हुए भी आज उन स्थानों  पर कभी-कभी पहुँच जाता हूँ,जहां कभी अपने प्रेम के बहारो के फूल खिले थे , ना जाने कितने आरजुओ ने जन्म लिए थे जब कभी मै उन जगहों पर जाता हूँ तो हमेशा मेरी नज़र उन जगहों को देखती है जहां हम साथ चले थे , मेरे होठो पर तुम्हारा नाम बरबस ही आ जता है,मेरी नज़रे शायद तुम्हारे पद चिन्हों को ठुंठती है ! पर उसे असफलता ही हाँथ लगाती…

Continue

Added by Sanjay Rajendraprasad Yadav on March 14, 2011 at 8:05pm — 3 Comments

याद आउंगी..

                                                                               

मैं रहूँ न रहूं ,यादें मेरी रह जाएंगी..

शायद किसी की यादों में ,कभी दोहराई जाएंगी..
 जब कभी भी मौसम धुआं धुआं होगा..…
Continue

Added by Lata R.Ojha on March 14, 2011 at 12:30pm — 3 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
yesterday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service