Akhilesh mishra's Posts - Open Books Online2024-03-29T10:55:25Zakhilesh mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/akhileshmishra712http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/986210709?profile=original&width=48&height=48&crop=1%3A1http://openbooks.ning.com/profiles/blog/feed?user=3e1ie0am2ujoa&xn_auth=noसूरजtag:openbooks.ning.com,2014-02-10:5170231:BlogPost:5102792014-02-10T07:30:00.000Zakhilesh mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/akhileshmishra712
<p align="center" style="text-align: left;"><strong>सूरज</strong></p>
<p> </p>
<p>जब छाए मन में निराशा,</p>
<p>तब सोचो उस सूरज को,</p>
<p>जो रोज डूबता है पर,</p>
<p>उगता फिर नई सुबह है ।</p>
<p> </p>
<p>नई ऊर्जा ,नए उत्साह से,</p>
<p>बाँटता है खुशी अपनी,</p>
<p>मिट जाए दुनिया का अंधकार,</p>
<p>प्रकाश इसीलिये फैलाता है ।</p>
<p> </p>
<p>तेज आभा ,प्रसन्न मुख ,</p>
<p>मजबूती की शिक्षा देते हैं,</p>
<p>खड़े हो जाओ,डटकर के,</p>
<p>कर्म का पाठ पढ़ाता है ।</p>
<p> </p>
<p>न हारो और न रुको…</p>
<p style="text-align: left;" align="center"><strong>सूरज</strong></p>
<p> </p>
<p>जब छाए मन में निराशा,</p>
<p>तब सोचो उस सूरज को,</p>
<p>जो रोज डूबता है पर,</p>
<p>उगता फिर नई सुबह है ।</p>
<p> </p>
<p>नई ऊर्जा ,नए उत्साह से,</p>
<p>बाँटता है खुशी अपनी,</p>
<p>मिट जाए दुनिया का अंधकार,</p>
<p>प्रकाश इसीलिये फैलाता है ।</p>
<p> </p>
<p>तेज आभा ,प्रसन्न मुख ,</p>
<p>मजबूती की शिक्षा देते हैं,</p>
<p>खड़े हो जाओ,डटकर के,</p>
<p>कर्म का पाठ पढ़ाता है ।</p>
<p> </p>
<p>न हारो और न रुको कभी,</p>
<p>संघर्ष करो तुम लगातार ,</p>
<p>टिक पाये नहीं सामने कोई,</p>
<p>तेज ऐसा पाने को कहता है ।</p>
<p> </p>
<p>बाँटो सिर्फ खुशी अपनी,</p>
<p>कष्ट छिपाने को कहता है,</p>
<p>दुःख सुख हैं सबके जीवन में,</p>
<p>स्वीकार करने को कहता है ।</p>
<p> </p>
<p>सूरज का अंश हो तुम,</p>
<p>तेज अपना प्रकट करो,</p>
<p>हल्के हवा के झोंको से,</p>
<p>पत्ते की भाँति मत हिला करो ।</p>
<p> </p>
<p>(मौलिक और अप्रकाशित)</p>क़ृष्ण तुम बंसी बजानाtag:openbooks.ning.com,2013-05-10:5170231:BlogPost:3605582013-05-10T12:30:00.000Zakhilesh mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/akhileshmishra712
<p align="center" style="text-align: left;"><b>क़ृष्ण तुम बंसी बजाना</b></p>
<p align="center"><b> </b></p>
<p><i> </i></p>
<p>उन्मुक्त हो मुक्त गगन में,</p>
<p>छेड़ू मैं कोई तान प्यारी,</p>
<p>मधुर रस भरी प्रेम की,</p>
<p>क़ृष्ण तुम बंसी बजाना ।</p>
<p> </p>
<p>गाएँगे सब पशु-पक्षी ,</p>
<p>आ जायेंगे तुम्हारे साथी भी,</p>
<p>बहेगी निःस्वार्थ प्रेम की गंगा,</p>
<p>क़ृष्ण तुम बंसी बजाना ।</p>
<p> </p>
<p>भक्ति रस घुलेगा हवाओं में,</p>
<p>पहुँचेगा वृंदावन की गलियाँ,</p>
<p>नाचेगी सब गोपियाँ वहाँ…</p>
<p style="text-align: left;" align="center"><b>क़ृष्ण तुम बंसी बजाना</b></p>
<p align="center"><b> </b></p>
<p><i> </i></p>
<p>उन्मुक्त हो मुक्त गगन में,</p>
<p>छेड़ू मैं कोई तान प्यारी,</p>
<p>मधुर रस भरी प्रेम की,</p>
<p>क़ृष्ण तुम बंसी बजाना ।</p>
<p> </p>
<p>गाएँगे सब पशु-पक्षी ,</p>
<p>आ जायेंगे तुम्हारे साथी भी,</p>
<p>बहेगी निःस्वार्थ प्रेम की गंगा,</p>
<p>क़ृष्ण तुम बंसी बजाना ।</p>
<p> </p>
<p>भक्ति रस घुलेगा हवाओं में,</p>
<p>पहुँचेगा वृंदावन की गलियाँ,</p>
<p>नाचेगी सब गोपियाँ वहाँ ,</p>
<p>क़ृष्ण तुम बंसी बजाना ।</p>
<p> </p>
<p>जग जायेंगे योगी ध्यान से,</p>
<p>करेंगे भक्ति का मद पान ,</p>
<p>मदहोश करके सबको,</p>
<p>क़ृष्ण तुम बंसी बजाना ।</p>
<p> </p>
<p>प्रेम फैले इस जहाँ में,</p>
<p>टूट जायें दीवारें सब,</p>
<p>झूमें सब तुम्हारे प्रेम में,</p>
<p>क़ृष्ण तुम बंसी बजाना ।</p>
<p> </p>
<p>एक दूसरे से प्रेम हो,</p>
<p>लगाव हो, जुड़ाव हो,</p>
<p>मिलकर गायें भक्ति का गीत,</p>
<p>क़ृष्ण तुम बंसी बजाना ।</p>
<p> </p>
<p>क़ृष्ण तुम बंसी बजाना ।</p>सरकारी नौकरीtag:openbooks.ning.com,2013-04-26:5170231:BlogPost:3534082013-04-26T07:15:12.000Zakhilesh mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/akhileshmishra712
<p align="center"><b>सरकारी नौकरी</b></p>
<p align="center"><b> </b></p>
<p align="center"><b> </b></p>
<p><i>काश दो दिन दफ़्तर लगता</i> <i>,</i></p>
<p><i>होती छुट्टी पाँच दिन</i><i>,</i></p>
<p><i>खाते खेलते</i><i>,सोते घर में</i></p>
<p><i>मौज मनाते पाँच दिन ।</i></p>
<p><i> </i></p>
<p><i>बच्चे रोते भाग्य पर</i><i>,</i></p>
<p><i>पर पत्नी खुश हो जाती</i><i>,</i></p>
<p><i>हाथ बटाएगा काम में</i><i>,</i></p>
<p><i>यह सोच मंद मुस्कुराती।</i></p>
<p><i> </i></p>
<p><i>आ जाती तनख्वाह एक…</i></p>
<p align="center"><b>सरकारी नौकरी</b></p>
<p align="center"><b> </b></p>
<p align="center"><b> </b></p>
<p><i>काश दो दिन दफ़्तर लगता</i> <i>,</i></p>
<p><i>होती छुट्टी पाँच दिन</i><i>,</i></p>
<p><i>खाते खेलते</i><i>,सोते घर में</i></p>
<p><i>मौज मनाते पाँच दिन ।</i></p>
<p><i> </i></p>
<p><i>बच्चे रोते भाग्य पर</i><i>,</i></p>
<p><i>पर पत्नी खुश हो जाती</i><i>,</i></p>
<p><i>हाथ बटाएगा काम में</i><i>,</i></p>
<p><i>यह सोच मंद मुस्कुराती।</i></p>
<p><i> </i></p>
<p><i>आ जाती तनख्वाह एक को</i><i>,</i></p>
<p><i>बन जाता काम महीने का</i><i>,</i></p>
<p><i>तान रज़ाई</i> <i>,लेता खर्राटा,</i></p>
<p><i>जय बोलता सरकार की ।</i></p>
<p><i> </i></p>
<p><i>जाता दफ़्तर सोम- मंगल</i><i>,</i></p>
<p><i>बाँकी दिन अपने हो जाते</i><i>,</i></p>
<p><i>तेल मालिश करता घर पर</i><i>,</i></p>
<p><i>वोट देता सरकार को ।</i></p>
<p><i> </i></p>
<p><i>समय काटता दिन भर घर पर</i><i>,</i></p>
<p><i>ऑफिस का काम भी कर देता</i> <i>,</i></p>
<p><i>त्याग दिखाता जीवन में मैं</i><i>,</i></p>
<p><i>मुफ्त की तनख्वाह न खाता ।</i></p>
<p><i> </i></p>
<p><i>कब आएगा समय ऐसा</i><i>,</i></p>
<p><i>इसी का इंतजार है</i><i>,</i></p>
<p><i>आ जाए अगर मुद्दा चुनाव में</i><i>,</i></p>
<p><i>2014 अमर हो जाता ।</i></p>
<p><i> </i></p>
<p><i> </i></p>
<p><i> </i></p>
<p><i> </i></p>
<p><i>स्वस्थ होगा मानव तभी</i><i>,</i></p>
<p><i>भरपूर नीद जब सोयेगा</i><i>,</i></p>
<p><i>काम के बोझ से मुक्त होकर</i><i>,</i></p>
<p><i>खुशहाल जीवन</i><i>, जब जिएगा ।</i></p>
<p><i> </i></p>
<p><i>बाबा ऐसे ही करते थे</i><i>,</i></p>
<p><i>दो महीने में दफ़्तर जाते थे</i><i>,</i></p>
<p><i>लेकर आते जब मोटी तनख्वाह</i><i>,</i></p>
<p><i>नौकरी की बात तब हम जाने थे ।</i></p>
<p><i> </i></p>
<p><i>आजादी बाद हुआ था ऐसा</i><i>,</i></p>
<p><i>मजा किए थे लोग सब</i><i>,</i></p>
<p><i>हुई कड़ाई नब्बे के बाद</i> <i>,</i></p>
<p><i>मस्ती में पड़ी खड़ास रे ।</i></p>
<p><i> </i></p>
<p><i>प्रतिभाशाली लोग आ गए</i><i>,</i></p>
<p><i>मेहनत ये करते बहुत</i><i>,</i></p>
<p><i>विध्न बने है</i><i>,हमारे सुख के,</i></p>
<p><i>भाग्य हुआ विपरीत रे ।</i></p>
<p><i> </i></p>
<p><i>राज्यों में होता है ऐसे</i><i>,</i></p>
<p><i>जाते दफ़्तर एक दिन</i><i>,</i></p>
<p><i>टूर बनाकर घूमा करते</i><i>,</i></p>
<p><i>मजा मारते तीस दिन ।</i></p>
<p><i> </i></p>
<p><i>हुई कड़ाई वहाँ भी अब</i><i>,पर,</i></p>
<p><i>जाकर दफ़्तर में सोते हैं</i><i>,</i></p>
<p><i>रौब दिखाते पत्नी पर</i><i>,</i></p>
<p><i>कि कर आया मैं काम रे ।</i></p>भूत को क्यों याद करूँtag:openbooks.ning.com,2013-04-18:5170231:BlogPost:3488252013-04-18T05:00:00.000Zakhilesh mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/akhileshmishra712
<p align="center" style="text-align: left;"><b>भूत को क्यों याद करूँ</b></p>
<p align="center" style="text-align: left;"><b> </b></p>
<p>क्यों याद करूँ भूत को,</p>
<p>क्या दिया,</p>
<p>क्या सोचा था मेरे बारे में,</p>
<p>क्या रखा था भविष्य के लिए,</p>
<p>क्या अच्छा किया की,भूत को,</p>
<p>मैं याद करूँ ।</p>
<p> </p>
<p>देखूंगा अपने भविष्य को,</p>
<p>सोचूंगा अपने भविष्य को,</p>
<p>कर्म करूँगा भविष्य के लिए,</p>
<p>संघर्ष करूँगा जीवन में,</p>
<p>सफल बनूँगा भविष्य में,भूत को क्यों,</p>
<p>मैं याद…</p>
<p align="center" style="text-align: left;"><b>भूत को क्यों याद करूँ</b></p>
<p align="center" style="text-align: left;"><b> </b></p>
<p>क्यों याद करूँ भूत को,</p>
<p>क्या दिया,</p>
<p>क्या सोचा था मेरे बारे में,</p>
<p>क्या रखा था भविष्य के लिए,</p>
<p>क्या अच्छा किया की,भूत को,</p>
<p>मैं याद करूँ ।</p>
<p> </p>
<p>देखूंगा अपने भविष्य को,</p>
<p>सोचूंगा अपने भविष्य को,</p>
<p>कर्म करूँगा भविष्य के लिए,</p>
<p>संघर्ष करूँगा जीवन में,</p>
<p>सफल बनूँगा भविष्य में,भूत को क्यों,</p>
<p>मैं याद करूँ ।</p>
<p> </p>
<p>छिपा होता है सब,</p>
<p>भविष्य की गर्त में ,</p>
<p>होगा वही जो भाग्य में लिखा है,</p>
<p>पर कर्म से बदल सकता है भाग्य,</p>
<p>कर्म पर ध्यान दूँगा,भूत को क्यों,</p>
<p>मैं याद करूँ ।</p>
<p> </p>
<p>जो हुआ ,अच्छा हुआ,</p>
<p>जो हो रहा है,अच्छा हो रहा है,</p>
<p>जो होगा,अच्छा ही होगा,</p>
<p>श्रीकृष्ण का उपदेश है ये,</p>
<p>जब गीता है मेरे पास तो,भूत को क्यों,</p>
<p>मैं याद करूँ ।</p>
<p> </p>
<p> <span style="font-size: 13px;">हमारे चाहने से जब</span><span style="font-size: 13px;">,</span></p>
<p>काम बनेगा नहीं,तब,</p>
<p>समझूँगा ईश्वर की मर्जी है,</p>
<p>कर्म करूँगा,सब ईश्वर पर छोडकर,</p>
<p>मिलेगा फल बाद में,पर भूत को क्यों,</p>
<p>मैं याद करूँ ।</p>
<p> </p>
<p>भूत को याद कर क्यों,</p>
<p>काँटा बिछाऊँ,भविष्य पथ पर,</p>
<p>भीग जाऊँ अश्रुधारा में,</p>
<p>गुम हो जाऊँ निर्जन वन में,</p>
<p>प्रकाश को देखूंगा,क्यों भूत को,</p>
<p>मैं याद करूँ ।</p>
<p> </p>
<p>क्या है भूत के पास,भविष्य के लिए,</p>
<p>क्या सांत्वना है भविष्य के लिए,</p>
<p>क्यों विश्वास करूँ,झूठे भूत पर,</p>
<p>क्यों फंसू,इसके मायाजाल में ,</p>
<p>अनुभव की मर्यादा याद कर,क्यों भूत को,</p>
<p>मैं याद करूँ ।</p>
<p> </p>
<p>स्वार्थ मेरे अंदर था नहीं,</p>
<p>निःस्वार्थ सत्य खोज रहा था,</p>
<p>ज्वार भाटे के कटु थपेड़ों से,</p>
<p>जीवन सत्य का दीदार किया,</p>
<p>अब भूत को फिर क्यों,</p>
<p>मैं याद करूँ ।</p>क्या न लिखूँtag:openbooks.ning.com,2013-04-10:5170231:BlogPost:3447602013-04-10T05:30:00.000Zakhilesh mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/akhileshmishra712
<p>क्या न लिखूँ</p>
<p></p>
<p>दोपहर घर में बैठा मैं, कुछ,<br></br> सोच रहा,मस्तिस्क में आ रहे,<br></br> विषय कई,पर उलझन है की,<br></br> क्या लिखूँ और क्या न लिखूँ ।</p>
<p></p>
<p>शब्दों और वाणी में, आज,<br></br> अनुशासन है नहीं, फिर भी,<br></br> समय देशकाल को विचारकर,<br></br> क्या लिखूँ और क्या न लिखूँ ।</p>
<p></p>
<p>लिखने से तूफ़ान आ जाता,<br></br> लिखने से संबंध बिगड़ते,और,<br></br> सत्ता गिर जाती है ,इसीलिये,<br></br> क्या लिखूँ और क्या न लिखूँ ।</p>
<p></p>
<p>लिखने से मन के भाव आते,<br></br> कटु सत्य निकल जाता है,<br></br> आ…</p>
<p>क्या न लिखूँ</p>
<p></p>
<p>दोपहर घर में बैठा मैं, कुछ,<br/> सोच रहा,मस्तिस्क में आ रहे,<br/> विषय कई,पर उलझन है की,<br/> क्या लिखूँ और क्या न लिखूँ ।</p>
<p></p>
<p>शब्दों और वाणी में, आज,<br/> अनुशासन है नहीं, फिर भी,<br/> समय देशकाल को विचारकर,<br/> क्या लिखूँ और क्या न लिखूँ ।</p>
<p></p>
<p>लिखने से तूफ़ान आ जाता,<br/> लिखने से संबंध बिगड़ते,और,<br/> सत्ता गिर जाती है ,इसीलिये,<br/> क्या लिखूँ और क्या न लिखूँ ।</p>
<p></p>
<p>लिखने से मन के भाव आते,<br/> कटु सत्य निकल जाता है,<br/> आ जाता भूचाल इससे,अतः,<br/> क्या लिखूँ और क्या न लिखूँ ।</p>
<p></p>
<p>पढ़ा जाता है,जो लिखा होता है,<br/> सत्य है,जो लिख दिया जाता है,<br/> लिखने पढ़ने को ध्यान रखकर,<br/> क्या लिखूँ और क्या न लिखूँ ।</p>
<p></p>
<p>आडवाणी ने कुछ लिखा था,<br/> जिन्ना की मज़ार पर,अलग-थलग,<br/> पड़ गए,न होता ऐसा यदि सोच लेते,<br/> क्या लिखूँ और क्या न लिखूँ ।</p>जन सेवाtag:openbooks.ning.com,2013-04-02:5170231:BlogPost:3398602013-04-02T06:00:00.000Zakhilesh mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/akhileshmishra712
<p><span style="text-decoration: underline;"><strong><span class="font-size-3">जन सेवा</span></strong></span></p>
<p></p>
<p><span class="font-size-3">देख गरीबी भारत की,</span><br></br> <span class="font-size-3">फफक फफक मैं रो पड़ा,</span><br></br> <span class="font-size-3">क्यों अभिमान करूँ अपने पर,</span><br></br> <span class="font-size-3">अपने से ही , पूंछ पड़ा ।</span></p>
<p></p>
<p><span class="font-size-3">शर्म नहीं आती क्यों उसको,</span><br></br> <span class="font-size-3">बड़ा आदमी कहता जो खुद…</span></p>
<p><span style="text-decoration: underline;"><strong><span class="font-size-3">जन सेवा</span></strong></span></p>
<p></p>
<p><span class="font-size-3">देख गरीबी भारत की,</span><br/> <span class="font-size-3">फफक फफक मैं रो पड़ा,</span><br/> <span class="font-size-3">क्यों अभिमान करूँ अपने पर,</span><br/> <span class="font-size-3">अपने से ही , पूंछ पड़ा ।</span></p>
<p></p>
<p><span class="font-size-3">शर्म नहीं आती क्यों उसको,</span><br/> <span class="font-size-3">बड़ा आदमी कहता जो खुद को,</span><br/> <span class="font-size-3">कोई बड़ा नहीं इस जग में,</span><br/> <span class="font-size-3">परहित नहीं हैं,यदि कर्म में ।</span></p>
<p></p>
<p><span class="font-size-3">लग जाओ, देश सेवा में,</span></p>
<p><span class="font-size-3">उठो अभी,मत करो देरी,</span><br/> <span class="font-size-3">खिल जाएगा जीवन नभ पर,</span><br/> <span class="font-size-3">पूज्यनीय बन जाओगे ।</span></p>
<p></p>
<p><span class="font-size-3">कष्टों को अंगीकार करो,</span><br/> <span class="font-size-3">अपने को तुम मजबूत करो,</span><br/> <span class="font-size-3">केवल एक प्रभू की सत्ता,</span><br/> <span class="font-size-3">ऐसा समझ,तुम काम करो ।</span></p>
<p></p>
<p><span class="font-size-3">जन सेवा ही प्रभु सेवा है,</span><br/> <span class="font-size-3">रहे ध्यान इसका सदा,</span><br/> <span class="font-size-3">जुट जाओ,डट जाओ इसमें,</span><br/> <span class="font-size-3">अमरत्व की प्राप्ति करो ।</span></p>
<p></p>
<p><span class="font-size-3">अपने सपने को भी तुम,</span><br/> <span class="font-size-3">मेहनत कर साकार करो,</span><br/> <span class="font-size-3">कुछ कर लेने के बाद ही,</span><br/> <span class="font-size-3">जनसेवा पर काम करो ।</span></p>
<p></p>
<p><span class="font-size-3">कोई नहीं पूंछता उसको,</span><br/> <span class="font-size-3">है पद ज्ञान से हीन जो,</span><br/> <span class="font-size-3">पहले बनो खुद मजबूत,</span><br/> <span class="font-size-3">फिर सबकी सेवा करो ।</span></p>
<p></p>
<p><span class="font-size-3">रखो नियंत्रण लालच पर,</span><br/> <span class="font-size-3">जरूरत का ही ध्यान करो,</span><br/> <span class="font-size-3">करके मन और तन प्रसन्न,</span><br/> <span class="font-size-3">जग का तुम कल्याण करो ।</span></p>
<p></p>
<p><span class="font-size-3">हैं अमर पूर्वज तुम्हारे,</span><br/> <span class="font-size-3">रहे ध्यान इस बात का,</span><br/> <span class="font-size-3">जन सेवा के द्वारा तुम भी,</span><br/> <span class="font-size-3">अमरत्व को प्राप्ति करो ।</span></p>क्रोधtag:openbooks.ning.com,2012-12-19:5170231:BlogPost:3024122012-12-19T12:00:00.000Zakhilesh mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/akhileshmishra712
<p align="center" style="text-align: left;"><b>क्रोध</b></p>
<p align="center"><b> </b></p>
<p>अशांत करता है,परेशान करता है,</p>
<p>पटरी पर चल रही जिंदगी को,</p>
<p>पटरी से उतार देता है, क्रोध ।</p>
<p> </p>
<p>बुद्धि नष्ट करता है,ज्ञानहीन बनाता है,</p>
<p>संयम को नष्ट करके,</p>
<p>गरिमा को खत्म करता है, क्रोध ।</p>
<p> </p>
<p>बना काम बिगाड़ता है,संबंध खराब करता है,</p>
<p>वर्षों की मेहनत को क्षण में बरबाद करता है,</p>
<p>प्रेम में जहर भर देता है, क्रोध ।</p>
<p> </p>
<p>हृदय जलाता है,रोग पैदा…</p>
<p style="text-align: left;" align="center"><b>क्रोध</b></p>
<p align="center"><b> </b></p>
<p>अशांत करता है,परेशान करता है,</p>
<p>पटरी पर चल रही जिंदगी को,</p>
<p>पटरी से उतार देता है, क्रोध ।</p>
<p> </p>
<p>बुद्धि नष्ट करता है,ज्ञानहीन बनाता है,</p>
<p>संयम को नष्ट करके,</p>
<p>गरिमा को खत्म करता है, क्रोध ।</p>
<p> </p>
<p>बना काम बिगाड़ता है,संबंध खराब करता है,</p>
<p>वर्षों की मेहनत को क्षण में बरबाद करता है,</p>
<p>प्रेम में जहर भर देता है, क्रोध ।</p>
<p> </p>
<p>हृदय जलाता है,रोग पैदा करता है,</p>
<p>तनाव बनकर शरीर नष्ट करता है,</p>
<p>खुशी और सुख का दुश्मन है, क्रोध ।</p>
<p> </p>
<p>अकेलापन देता है,अभिमान उत्पन्न करता है,</p>
<p>आँखों में काली पट्टी बाँध देता है,</p>
<p>विवेक का दुश्मन है ,क्रोध ।</p>
<p> </p>
<p>क्षण भर में आता है,कई घंटे रहता है,</p>
<p>पूरे दिन की ऊर्जा को खा जाता है,</p>
<p>मन को दुखी कर देता है ,क्रोध ।</p>
<p> </p>
<p>लोभ,लालच से उत्पन्न होता है,</p>
<p>मनुष्य को तेजहीन बनाता है,</p>
<p>लोकप्रियता छीनता है, क्रोध । </p>
<p> </p>तबादलाtag:openbooks.ning.com,2012-11-26:5170231:BlogPost:2929062012-11-26T09:30:00.000Zakhilesh mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/akhileshmishra712
<p align="center" style="text-align: left;"><span style="text-decoration: underline;"><strong>तबादला</strong></span></p>
<p align="center" style="text-align: left;">तबादला कोई खौफ नहीं,</p>
<p>नियमित घटना है,</p>
<p>रहो सदा तैयार इसके लिए,</p>
<p>यह नौकरी का हिस्सा है ।</p>
<p> </p>
<p>कभी पसंद का,तो कभी मुश्किल का होता है,</p>
<p>कभी सुख तो कभी दुख देता है,</p>
<p>परिवर्तन संसार का नियम है यारो,</p>
<p>तबादले को खुशी से अपनालों यारो ।</p>
<p> </p>
<p>बेमौसम तबादले तकलीफ़ देते हैं,</p>
<p>पत्नी…</p>
<p align="center" style="text-align: left;"><span style="text-decoration: underline;"><strong>तबादला</strong></span></p>
<p align="center" style="text-align: left;">तबादला कोई खौफ नहीं,</p>
<p>नियमित घटना है,</p>
<p>रहो सदा तैयार इसके लिए,</p>
<p>यह नौकरी का हिस्सा है ।</p>
<p> </p>
<p>कभी पसंद का,तो कभी मुश्किल का होता है,</p>
<p>कभी सुख तो कभी दुख देता है,</p>
<p>परिवर्तन संसार का नियम है यारो,</p>
<p>तबादले को खुशी से अपनालों यारो ।</p>
<p> </p>
<p>बेमौसम तबादले तकलीफ़ देते हैं,</p>
<p>पत्नी बच्चों को परेशान करते हैं,</p>
<p>पर कट जाता है समय धीरे-धीरे,</p>
<p>थोड़ा संघर्ष सिखाते हैं तबादले ।</p>
<p> </p>
<p>जरूरी नहीं की अपनी चाहत फले,</p>
<p>जिद नुकसान दे सकती है,</p>
<p>क्या छिपा है भविष्य गर्त में,</p>
<p>इसको तुम जानते नहीं ।</p>
<p> </p>
<p>मजबूरी में,विनम्रता से निवेदन करो,</p>
<p>पर मत गिड्गिड़ाओ किसी से ,</p>
<p>इज्जत स्वाभिमान से बड़ा,</p>
<p>नहीं हो सकता, कोई तबादला ।</p>
<p> </p>
<p>समस्या है सबके जीवन में,</p>
<p>इस बात को समझा करो,</p>
<p>बिना वजह हर तबादले में,</p>
<p>बॉस के सामने मत रोया करो ।</p>चुगलीtag:openbooks.ning.com,2012-11-24:5170231:BlogPost:2924772012-11-24T00:30:00.000Zakhilesh mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/akhileshmishra712
<p><b>चुगली</b><br></br><br></br><br></br>कमजोरी की निशानी है,<br></br>कामचोरी की पहचान है,<br></br>कटुता,द्वेष छिपे हैं इसमें,<br></br>स्वार्थ की बहन है चुगली । <br></br><br></br>अपने दोषों को छिपाकर,<br></br>बनावटीपन व्यवहार लाकर,<br></br>दूसरों को नीचा दिखाने का,<br></br>एक तरीका है, चुगली । <br></br><br></br>बिना मेहनत फल की इच्छा का,<br></br>दूसरों की मेहनत का फल खाने का,<br></br>कायरता के साथ वीरता दिखाने का,<br></br>एक डरपोक का साहसी गुण है चुगली । <br></br><br></br>विश्वासघात का प्रतीक है चुगली,<br></br>अतिमहत्वाकांक्षा का रूप है चुगली,<br></br>झूठा वफ़ादार बनने के…</p>
<p><b>चुगली</b><br/><br/><br/>कमजोरी की निशानी है,<br/>कामचोरी की पहचान है,<br/>कटुता,द्वेष छिपे हैं इसमें,<br/>स्वार्थ की बहन है चुगली । <br/><br/>अपने दोषों को छिपाकर,<br/>बनावटीपन व्यवहार लाकर,<br/>दूसरों को नीचा दिखाने का,<br/>एक तरीका है, चुगली । <br/><br/>बिना मेहनत फल की इच्छा का,<br/>दूसरों की मेहनत का फल खाने का,<br/>कायरता के साथ वीरता दिखाने का,<br/>एक डरपोक का साहसी गुण है चुगली । <br/><br/>विश्वासघात का प्रतीक है चुगली,<br/>अतिमहत्वाकांक्षा का रूप है चुगली,<br/>झूठा वफ़ादार बनने के लिए,<br/>चापलूसी की चटनी है चुगली । <br/><br/>बिन पेंदी का लोटा है चुगली,<br/>समय के साथ बदलती है चुगली,<br/>अशांति फैलाती है चुगली,<br/>दुष्टता की सहयोगी है चुगली । <br/><br/>नहीं हैं सगे चुगलखोर किसी के ,<br/>सबकी करते हैं चुगली,<br/>जीवन दर्शन इनकी है चुगली,<br/>दूसरे का जीवन नष्ट करती है चुगली ।</p>कसाब की फाँसीtag:openbooks.ning.com,2012-11-23:5170231:BlogPost:2924432012-11-23T09:30:00.000Zakhilesh mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/akhileshmishra712
<p align="center" style="text-align: left;"><span style="text-decoration: underline;"><strong>कसाब की फाँसी </strong></span></p>
<p>पूरा देश खुशी मनाया,</p>
<p>कसाब की फाँसी पर,</p>
<p>ऐसा लगा मानो कोई बड़ा काम हुआ,</p>
<p>अधर्म पर धर्म की जीत हुयी,</p>
<p>किसी कमजोर ने बहादुरी का काम किया,</p>
<p>कंजूस ने महँगा आयोजन किया ।</p>
<p> </p>
<p>खुशी की यह बात नहीं,शहीदों को याद करो,</p>
<p>यह बहुत पहले होना था,</p>
<p>खुशी तो तब मनाना,</p>
<p>जब अफ़ज़ल ,सईद फाँसी पर लटके,</p>
<p>हिंदुस्तान ताकत…</p>
<p style="text-align: left;" align="center"><span style="text-decoration: underline;"><strong>कसाब की फाँसी </strong></span></p>
<p>पूरा देश खुशी मनाया,</p>
<p>कसाब की फाँसी पर,</p>
<p>ऐसा लगा मानो कोई बड़ा काम हुआ,</p>
<p>अधर्म पर धर्म की जीत हुयी,</p>
<p>किसी कमजोर ने बहादुरी का काम किया,</p>
<p>कंजूस ने महँगा आयोजन किया ।</p>
<p> </p>
<p>खुशी की यह बात नहीं,शहीदों को याद करो,</p>
<p>यह बहुत पहले होना था,</p>
<p>खुशी तो तब मनाना,</p>
<p>जब अफ़ज़ल ,सईद फाँसी पर लटके,</p>
<p>हिंदुस्तान ताकत दिखाये,</p>
<p>मजबूती से,दुष्टों को उल्टा लटकाये ।</p>
<p> </p>
<p>मारो चुनकर आतंकियों को,</p>
<p>मानवता के हैं ये दुश्मन,</p>
<p>आज हमें तो कल अपनों को मारेंगे,</p>
<p>मरना,मारना ही इनका कर्म और लक्ष्य है,</p>
<p>खोजो इसके मूल कारण को,</p>
<p>जड़ से इसे समाप्त करो ।</p>
<p> </p>
<p>बंद करो राजनीति ,</p>
<p>मनुष्य की कीमत पहचानों,</p>
<p>कीड़े मकोड़ों की तरह,मत मरने दो,</p>
<p>ख़त्म करो आतंकवाद,</p>
<p>मत बनने दो बच्चों को आतंकवादी,</p>
<p>जिससे न लटके दूसरा कसाब,फाँसी में ।</p>त्योहार के हादसेtag:openbooks.ning.com,2012-11-20:5170231:BlogPost:2915472012-11-20T05:27:08.000Zakhilesh mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/akhileshmishra712
<p align="center"><b><i>त्योहार के हादसे</i></b></p>
<p align="center"><b><i> </i></b></p>
<p><i> </i></p>
<p><i>छठ पूजा के दिन आज</i><i>,</i></p>
<p><i>हुई बड़ी दुर्घटना</i><i>, कई,</i></p>
<p><i>आदमी मरे पटना में</i><i>,</i></p>
<p><i>त्योहार को हुई</i><i>,फिर ये घटना । </i></p>
<p><i> </i></p>
<p><i>भारत की यह नियमित घटना</i><i>,</i></p>
<p><i>होती है हर साल</i><i>, कभी यहाँ,</i></p>
<p><i>तो कभी वहाँ</i><i>, कुचले जाते,</i></p>
<p><i>हैं लोग प्रार्थना करते-करते…</i></p>
<p align="center"><b><i>त्योहार के हादसे</i></b></p>
<p align="center"><b><i> </i></b></p>
<p><i> </i></p>
<p><i>छठ पूजा के दिन आज</i><i>,</i></p>
<p><i>हुई बड़ी दुर्घटना</i><i>, कई,</i></p>
<p><i>आदमी मरे पटना में</i><i>,</i></p>
<p><i>त्योहार को हुई</i><i>,फिर ये घटना । </i></p>
<p><i> </i></p>
<p><i>भारत की यह नियमित घटना</i><i>,</i></p>
<p><i>होती है हर साल</i><i>, कभी यहाँ,</i></p>
<p><i>तो कभी वहाँ</i><i>, कुचले जाते,</i></p>
<p><i>हैं लोग प्रार्थना करते-करते ।</i></p>
<p><i> </i></p>
<p><i>क्यों निर्दयी है भगवान इतना</i><i>,</i></p>
<p><i>और क्यों है प्रशासन लापरवाह</i><i>,</i></p>
<p><i>खुशी प्रसन्नता की लालसा में</i><i>,</i></p>
<p><i>मिलती है खुद की मौत इन्हें ।</i></p>
<p><i> </i></p>
<p><i>कब तक सोयेगी सरकार</i><i>,</i></p>
<p><i>कब तक सोयेंगे अफसर</i><i>,</i></p>
<p><i>जागो</i><i>, करो काम लगन से,</i></p>
<p><i>बंद करो मजाक इंसान से ।</i></p>
<p><i> </i></p>
<p><i>रहम करो कुछ इन पर</i><i>,</i></p>
<p><i>बंद करो ये मेले</i><i>, पूजा,</i></p>
<p><i>रखो हृदय में ईश को</i><i>,</i></p>
<p><i>घर में ही ध्यान करो ।</i></p>
<p><i> </i></p>जिंदगीtag:openbooks.ning.com,2012-11-06:5170231:BlogPost:2883122012-11-06T11:00:00.000Zakhilesh mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/akhileshmishra712
<p>जिंदगी इतनी खूबसूरत होगी,<br></br>जिंदगी में इतने रंग होंगे,<br></br>जिंदगी इतनी खुशहाल होगी,<br></br>जिंदगी में इतना प्यार होगा,<br></br>ऐसा कभी सोचा न था । <br></br><br></br>जिंदगी निस्ठुर भी होगी,<br></br>जिंदगी थपेड़े भी मारेगी,<br></br>जिंदगी हम पर हँसेगी,<br></br>जिंदगी भँवर में फँसायेगी,<br></br>ऐसा कभी सोचा न था । <br></br><br></br>जिंदगी कर्म का पाठ पढ़ाएगी,<br></br>जिंदगी कटु सत्य बताएगी,<br></br>जिंदगी सही रास्ता दिखायेगी,<br></br>जिंदगी विजय पथ भी बताएगी,<br></br>ऐसा कभी सोचा न था । <br></br><br></br>जिंदगी में कोमलता होगी,<br></br>जिंदगी इतनी नाजुक…</p>
<p>जिंदगी इतनी खूबसूरत होगी,<br/>जिंदगी में इतने रंग होंगे,<br/>जिंदगी इतनी खुशहाल होगी,<br/>जिंदगी में इतना प्यार होगा,<br/>ऐसा कभी सोचा न था । <br/><br/>जिंदगी निस्ठुर भी होगी,<br/>जिंदगी थपेड़े भी मारेगी,<br/>जिंदगी हम पर हँसेगी,<br/>जिंदगी भँवर में फँसायेगी,<br/>ऐसा कभी सोचा न था । <br/><br/>जिंदगी कर्म का पाठ पढ़ाएगी,<br/>जिंदगी कटु सत्य बताएगी,<br/>जिंदगी सही रास्ता दिखायेगी,<br/>जिंदगी विजय पथ भी बताएगी,<br/>ऐसा कभी सोचा न था । <br/><br/>जिंदगी में कोमलता होगी,<br/>जिंदगी इतनी नाजुक होगी,<br/>जिंदगी इतनी भावुक होगी,<br/>जिंदगी परीक्षा भी लेगी,<br/>ऐसा कभी सोचा न था । <br/><br/>जिंदगी नीरस होगी,<br/>जिंदगी पीड़ा देगी,<br/>जिंदगी हार देगी,<br/>जिंदगी रुलाएगी भी,<br/>ऐसा कभी सोचा न था ।<br/><br/>संघर्ष करो जिंदगी से,<br/>शिक्षा लो जिंदगी से,<br/>हार कभी न मानो जिंदगी से,<br/>जीतकर दिखाओ जिंदगी से,<br/>बता दो औकात,जिंदगी को जिंदगी की ।</p>