Tarlok Singh Judge's Posts - Open Books Online2024-03-28T18:59:05ZTarlok Singh Judgehttp://openbooks.ning.com/profile/TarlokSinghJudgehttp://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2991268766?profile=RESIZE_48X48&width=48&height=48&crop=1%3A1http://openbooks.ning.com/profiles/blog/feed?user=37y0lkpcg0gm4&xn_auth=noग़ज़लtag:openbooks.ning.com,2010-09-17:5170231:BlogPost:205472010-09-17T15:57:56.000ZTarlok Singh Judgehttp://openbooks.ning.com/profile/TarlokSinghJudge
ग़ज़ल<br />
by Tarlok Singh Judge<br />
गिर गया कोई तो उसको भी संभल कर देखिये<br />
ऐसा न हो बाद में खुद हाथ मल कर देखिये<br />
<br />
कौन कहता है कि राहें इश्क की आसन हैं<br />
आप इन राहों पे, थोडा सा तो चल कर देखिये<br />
<br />
पाँव में छाले हैं, आँखों में उमीन्दें बरकरार<br />
देख कर हमको हसद से, थोडा जल कर देखिये<br />
<br />
आप तो लिखते हो माशाल्लाह, बड़ा ही खूब जी<br />
कलम का यह सफर मेरे साथ चल कर देखिये<br />
<br />
क्या हुआ दुनिया ने ठुकराया है, रोना छोडिये<br />
बन के सपना, मेरी आँखों में मचल कर देखिये<br />
<br />
लोग कहते हैं छलावा आप को, क्या बात है<br />
हम से भी मिलिए, जरा हमको भी छ्ल…
ग़ज़ल<br />
by Tarlok Singh Judge<br />
गिर गया कोई तो उसको भी संभल कर देखिये<br />
ऐसा न हो बाद में खुद हाथ मल कर देखिये<br />
<br />
कौन कहता है कि राहें इश्क की आसन हैं<br />
आप इन राहों पे, थोडा सा तो चल कर देखिये<br />
<br />
पाँव में छाले हैं, आँखों में उमीन्दें बरकरार<br />
देख कर हमको हसद से, थोडा जल कर देखिये<br />
<br />
आप तो लिखते हो माशाल्लाह, बड़ा ही खूब जी<br />
कलम का यह सफर मेरे साथ चल कर देखिये<br />
<br />
क्या हुआ दुनिया ने ठुकराया है, रोना छोडिये<br />
बन के सपना, मेरी आँखों में मचल कर देखिये<br />
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लोग कहते हैं छलावा आप को, क्या बात है<br />
हम से भी मिलिए, जरा हमको भी छ्ल कर देखिये