Deepanjali Dubey's Posts - Open Books Online2024-03-29T09:27:54ZDeepanjali Dubeyhttp://openbooks.ning.com/profile/DeepanjaliDubeyhttp://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/9265859876?profile=RESIZE_48X48&width=48&height=48&crop=1%3A1http://openbooks.ning.com/profiles/blog/feed?user=2g8umju7sf34y&xn_auth=noग़ज़ल: लिखें हिंदी कहें हिंदी पढ़ें हिंदी जहाँ हिंदीtag:openbooks.ning.com,2022-01-09:5170231:BlogPost:10765932022-01-09T23:00:00.000ZDeepanjali Dubeyhttp://openbooks.ning.com/profile/DeepanjaliDubey
<p>1222 1222 1222 1222</p>
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<p>लिखें हिंदी कहें हिंदी पढ़ें हिंदी जहाँ हिंदी<br></br> अगर है हिंद की संतान फिर बोले यहाँ हिंदी</p>
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<p>बताता छंद चौपाई है पिंगल शास्त्र अपना क्या<br></br> हमारे देश की यह मात्र भाषा है रवाँ हिंदी</p>
<p></p>
<p>सिखाया पाठशाला में है इसकी संस्कृत जननी<br></br> वतन का नाम हिंदोस्तान हमारा कारवाँ हिंदी</p>
<p></p>
<p>यही है ध्येय चारो ओर इसका ध्वज भी लहराये<br></br> हमारे देश के हर प्रांत में गूंजे सदाँ हिंदी</p>
<p></p>
<p>न शर्मायें विदेशों में कभी हिंदी अगर…</p>
<p>1222 1222 1222 1222</p>
<p></p>
<p>लिखें हिंदी कहें हिंदी पढ़ें हिंदी जहाँ हिंदी<br/> अगर है हिंद की संतान फिर बोले यहाँ हिंदी</p>
<p></p>
<p>बताता छंद चौपाई है पिंगल शास्त्र अपना क्या<br/> हमारे देश की यह मात्र भाषा है रवाँ हिंदी</p>
<p></p>
<p>सिखाया पाठशाला में है इसकी संस्कृत जननी<br/> वतन का नाम हिंदोस्तान हमारा कारवाँ हिंदी</p>
<p></p>
<p>यही है ध्येय चारो ओर इसका ध्वज भी लहराये<br/> हमारे देश के हर प्रांत में गूंजे सदाँ हिंदी</p>
<p></p>
<p>न शर्मायें विदेशों में कभी हिंदी अगर बोलें<br/> हमें हो गर्व हिंदी पर हमारी तो जुबाँ हिंदी</p>
<p></p>
<p>हैं पटरानी सभी भाषा में अव्वल इसका दर्जा है</p>
<p>सजी है रस अलंकारों से प्यारी गुलिस्तांँ हिंदी</p>
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<p>अभी शुरुआत है प्यारों लड़ाई और लड़नी है</p>
<p>न कोई प्रश्न हो इस पर जहाँ जाएं वहांँ हिंदी</p>
<p></p>
<p>मिला वरदान ऋषि मुनियों से चिर यौवन जिएगी तू</p>
<p>हमारे मुल्क का अभिमान है यह नौजवाँ हिंदी</p>
<p></p>
<p>ख़ुशी से झूमती है "दीप" लिखती जब कोई कविता</p>
<p>कृपा है शारदे तेरी हुई जो मेहरबाँ हिंदी</p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित</p>"दीप" की ग़ज़लtag:openbooks.ning.com,2021-11-01:5170231:BlogPost:10725022021-11-01T09:30:00.000ZDeepanjali Dubeyhttp://openbooks.ning.com/profile/DeepanjaliDubey
<p>122 122 122 122</p>
<p></p>
<p>किसी और की अब जरूरत नहीं है<br></br> मगर तुम न कहना मुहब्बत नहीं है</p>
<p></p>
<p>हुई जब से शादी तो फुर्सत नहीं है<br></br> रहूंँ मायके में इज़ाज़त नहीं है</p>
<p></p>
<p>मैं मदहोश उनकी ही यादों में रहता<br></br> मुझे भूलने की तो आदत नहीं है</p>
<p></p>
<p>सरे आम होते यहां ज़ुर्म रहते<br></br> उसे रोकने की भी हिम्मत नहीं है</p>
<p></p>
<p>तुम्हें गर न देखें थमी सांस रहती<br></br> अगर मर गया भी तो हैरत नहीं है</p>
<p></p>
<p>फ़कत इश्क़ में अब दिखावा ही दिखता<br></br> नये शोहदों में…</p>
<p>122 122 122 122</p>
<p></p>
<p>किसी और की अब जरूरत नहीं है<br/> मगर तुम न कहना मुहब्बत नहीं है</p>
<p></p>
<p>हुई जब से शादी तो फुर्सत नहीं है<br/> रहूंँ मायके में इज़ाज़त नहीं है</p>
<p></p>
<p>मैं मदहोश उनकी ही यादों में रहता<br/> मुझे भूलने की तो आदत नहीं है</p>
<p></p>
<p>सरे आम होते यहां ज़ुर्म रहते<br/> उसे रोकने की भी हिम्मत नहीं है</p>
<p></p>
<p>तुम्हें गर न देखें थमी सांस रहती<br/> अगर मर गया भी तो हैरत नहीं है</p>
<p></p>
<p>फ़कत इश्क़ में अब दिखावा ही दिखता<br/> नये शोहदों में इबादत नहीं है</p>
<p></p>
<p>नगर गाँव में देखा इतना ही अंतर<br/> है कमसिन कली पर नज़ाकत नहीं है</p>
<p></p>
<p>मेरी माँ के खाने में जो स्वाद पाया<br/> किसी और में वो ही लिज्ज़त नहीं है</p>
<p></p>
<p>गईं आसमां पर कई बेटियां ये<br/> किसी की भी बेटी मुसीबत नहीं है</p>
<p></p>
<p>जला "दीप" दर पर तेरे मैं खड़ी हूँ<br/> ख़ुदा मुझपे क्यूँ तेरी रहमत नहीं है</p>
<p></p>
<p>स्वरचित एवं अप्रकाशित</p>
<p></p>