राकेश's Posts - Open Books Online2024-03-28T08:51:06Zराकेशhttp://openbooks.ning.com/profile/1ktmgdd6thp2bhttp://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/986210709?profile=original&width=48&height=48&crop=1%3A1http://openbooks.ning.com/profiles/blog/feed?user=1ktmgdd6thp2b&xn_auth=noतेरी याद मेंtag:openbooks.ning.com,2015-10-30:5170231:BlogPost:7106802015-10-30T08:30:00.000Zराकेशhttp://openbooks.ning.com/profile/1ktmgdd6thp2b
<p>रात के तीसरे पहर में<br></br> खिड़की पर यादें लिए बैठा हूँ<br></br> बारिश की बुँदे<br></br> तेरी आँसुओ से लगते है<br></br> दिल में कई अरमान से जगते है</p>
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<div><p>गलियों में भागते हुए<br></br> एक झलक देखी है ख्वाबों की<br></br> कई रतजगा किये, कई दिन बीते खाली सा<br></br> कड़ी धूप में नंगे पैर जलाये है<br></br> मेरे संग आज भी तेरे साये है</p>
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<p>एक रंग चुना है आँखों ने<br></br> एक गंध बसी है साँसों में<br></br> अज़ब सा नशा है<br></br> नज़रे भागती है हरदम<br></br> ज़ुल्फों पर चमकती है शबनम</p>
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<p>पानी की टंकी पर बैठ…</p>
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<p>रात के तीसरे पहर में<br/> खिड़की पर यादें लिए बैठा हूँ<br/> बारिश की बुँदे<br/> तेरी आँसुओ से लगते है<br/> दिल में कई अरमान से जगते है</p>
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<div><p>गलियों में भागते हुए<br/> एक झलक देखी है ख्वाबों की<br/> कई रतजगा किये, कई दिन बीते खाली सा<br/> कड़ी धूप में नंगे पैर जलाये है<br/> मेरे संग आज भी तेरे साये है</p>
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<p>एक रंग चुना है आँखों ने<br/> एक गंध बसी है साँसों में<br/> अज़ब सा नशा है<br/> नज़रे भागती है हरदम<br/> ज़ुल्फों पर चमकती है शबनम</p>
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<p>पानी की टंकी पर बैठ कर<br/> घंटो सुना है तुझे<br/> तेरे हाथो के पसीने से<br/> सारी बातों का भीग जाना<br/> और गर्म साँसों से<br/> अरमानो का सींक जाना</p>
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<p>सपनो की मद्धम रोशनी <br/> निरंतर जलती है<br/> कुछ दिन पिघलती है, कुछ रातें सुलगती है<br/> हर वक़्त उड़ता फिरता हूँ यहाँ वहाँ<br/> तेरे नाम की रोशनी बदन से निकलती है</p>
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<p>~ राकेश </p>
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<p>मौलिक एवं अप्रकाशित </p>
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