Usha Awasthi's Posts - Open Books Online2024-03-29T13:17:41ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthihttp://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/3442770428?profile=RESIZE_48X48&width=48&height=48&crop=1%3A1http://openbooks.ning.com/profiles/blog/feed?user=1h3qvgskskdu8&xn_auth=noधूम कोहराtag:openbooks.ning.com,2024-01-31:5170231:BlogPost:11159922024-01-31T02:44:37.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
<p>धूम कोहरा</p>
<p></p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>धूम युक्त कोहरा सघन</p>
<p>मचा हुआ कोहराम </p>
<p>किस आयुध औ कवच से</p>
<p>जीतें यह संग्राम?</p>
<p></p>
<p>एक नहीं, अनगिन बने</p>
<p>कारण, होती वृद्धि</p>
<p>रोके से रुकता नहीं </p>
<p>क्रम,कैसे हो शुद्धि?</p>
<p></p>
<p>ढेरों टन कोयला दहन </p>
<p>कर विद्युत संयंत्र</p>
<p>धूम्र उगलते; जो जाकर</p>
<p>मिले बूंद के संग</p>
<p></p>
<p>वही हवा फिर साँस से </p>
<p>पहुँचे मानव अंग</p>
<p>स्वास्थ्य बिगाड़े,कष्ट दे</p>
<p>करे मनुज का…</p>
<p>धूम कोहरा</p>
<p></p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>धूम युक्त कोहरा सघन</p>
<p>मचा हुआ कोहराम </p>
<p>किस आयुध औ कवच से</p>
<p>जीतें यह संग्राम?</p>
<p></p>
<p>एक नहीं, अनगिन बने</p>
<p>कारण, होती वृद्धि</p>
<p>रोके से रुकता नहीं </p>
<p>क्रम,कैसे हो शुद्धि?</p>
<p></p>
<p>ढेरों टन कोयला दहन </p>
<p>कर विद्युत संयंत्र</p>
<p>धूम्र उगलते; जो जाकर</p>
<p>मिले बूंद के संग</p>
<p></p>
<p>वही हवा फिर साँस से </p>
<p>पहुँचे मानव अंग</p>
<p>स्वास्थ्य बिगाड़े,कष्ट दे</p>
<p>करे मनुज का अन्त</p>
<p></p>
<p>एक राज्य, इक देश,यह</p>
<p>नहीं कर सकें काम</p>
<p>मिलकर पूरे विश्व को</p>
<p>रखना होगा ध्यान </p>
<p></p>
<p>प्रलंयकर शस्त्रास्त्र से</p>
<p>दूजे पर कर वार</p>
<p>महापातकी अहं वश</p>
<p>करें सृष्टि संहार</p>
<p></p>
<p>जीव-जन्तु, वन नष्ट कर</p>
<p>मूर्ख करें आघात </p>
<p>धूम कोहरा रूप ले</p>
<p>प्रकृति करे प्रतिघात</p>
<p></p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित</p>आवाज़ों से जंगtag:openbooks.ning.com,2023-12-18:5170231:BlogPost:11138682023-12-18T06:25:11.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
<p>आवाज़ों से जंग</p>
<p></p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>आज प्रदूषण बढ़ रहा </p>
<p>बदल-बदल कर रूप</p>
<p>बेचें झाड़ू , वाइपर</p>
<p>चला रिकाॅर्डिंग खूब</p>
<p></p>
<p>चाकू, कैंची औ छुरी</p>
<p>पैनी करते नित्य</p>
<p>मस्तक में छुरियाँ चलें</p>
<p>सुनें रिकॉर्डिंग तिक्त</p>
<p></p>
<p>चादर, कम्बल या बिकें</p>
<p>बने-बनाए वस्त्र</p>
<p>सतत रिकॉर्डिंग चल रही</p>
<p>कर वाणी निर्वस्त्र</p>
<p></p>
<p>असहनीय ध्वनियाँ,मचा</p>
<p>कानों में हुड़दंग</p>
<p>कैसे जीतेगा मनुज</p>
<p>आवाज़ो से…</p>
<p>आवाज़ों से जंग</p>
<p></p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>आज प्रदूषण बढ़ रहा </p>
<p>बदल-बदल कर रूप</p>
<p>बेचें झाड़ू , वाइपर</p>
<p>चला रिकाॅर्डिंग खूब</p>
<p></p>
<p>चाकू, कैंची औ छुरी</p>
<p>पैनी करते नित्य</p>
<p>मस्तक में छुरियाँ चलें</p>
<p>सुनें रिकॉर्डिंग तिक्त</p>
<p></p>
<p>चादर, कम्बल या बिकें</p>
<p>बने-बनाए वस्त्र</p>
<p>सतत रिकॉर्डिंग चल रही</p>
<p>कर वाणी निर्वस्त्र</p>
<p></p>
<p>असहनीय ध्वनियाँ,मचा</p>
<p>कानों में हुड़दंग</p>
<p>कैसे जीतेगा मनुज</p>
<p>आवाज़ो से जंग?</p>
<p></p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित </p>
<p></p>
<p></p>पूजा बता रहे हैंtag:openbooks.ning.com,2023-10-10:5170231:BlogPost:11105762023-10-10T22:00:00.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
<p>पूजा बता रहे हैं </p>
<p></p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>पाले हैं,यौन कुंठा</p>
<p>पूजा बता रहे हैं</p>
<p>न जाने ऐसे लोग </p>
<p>किस राह जा रहे हैं?</p>
<p></p>
<p>रचते हैं ढोंग ज्ञान का</p>
<p>कल्मष बढ़ा रहे हैं</p>
<p>लिखते अभद्र भाषा </p>
<p>निर्मल बता रहे हैं</p>
<p></p>
<p>अपने ही मन की ग्रन्थि</p>
<p>सुलझा न पा रहे हैं</p>
<p>बच्चों औ युवजनों को</p>
<p>क्या -क्या सिखा रहे हैं?</p>
<p></p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित </p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p>पूजा बता रहे हैं </p>
<p></p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>पाले हैं,यौन कुंठा</p>
<p>पूजा बता रहे हैं</p>
<p>न जाने ऐसे लोग </p>
<p>किस राह जा रहे हैं?</p>
<p></p>
<p>रचते हैं ढोंग ज्ञान का</p>
<p>कल्मष बढ़ा रहे हैं</p>
<p>लिखते अभद्र भाषा </p>
<p>निर्मल बता रहे हैं</p>
<p></p>
<p>अपने ही मन की ग्रन्थि</p>
<p>सुलझा न पा रहे हैं</p>
<p>बच्चों औ युवजनों को</p>
<p>क्या -क्या सिखा रहे हैं?</p>
<p></p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित </p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>कुछ विचारtag:openbooks.ning.com,2023-10-08:5170231:BlogPost:11107272023-10-08T13:22:38.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
<p>कुछ विचार</p>
<p></p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>राष्ट्र, समाज, स्वयं का</p>
<p>यदि चाहें कल्याण</p>
<p>चोरी, झूठ, फरेब से</p>
<p>है पाना परित्राण</p>
<p></p>
<p>अशुभ निवारक गुरु चरण</p>
<p>वन्दन कर, छल त्याग</p>
<p>जिनके दर्शन मात्र से </p>
<p>पाप, शोक हों नाश</p>
<p></p>
<p>यह दुनिया हर निमिष पल</p>
<p>गिरे काल के गाल</p>
<p>क्यों पाना इसको भला?</p>
<p>जहाँ बचे न भाल</p>
<p></p>
<p>इस अनन्त ब्रम्हाण्ड में</p>
<p>पृथ्वी का क्या मोल?</p>
<p>पल-पल, घिस-घिस छीजती</p>
<p>तोल सके तो…</p>
<p>कुछ विचार</p>
<p></p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>राष्ट्र, समाज, स्वयं का</p>
<p>यदि चाहें कल्याण</p>
<p>चोरी, झूठ, फरेब से</p>
<p>है पाना परित्राण</p>
<p></p>
<p>अशुभ निवारक गुरु चरण</p>
<p>वन्दन कर, छल त्याग</p>
<p>जिनके दर्शन मात्र से </p>
<p>पाप, शोक हों नाश</p>
<p></p>
<p>यह दुनिया हर निमिष पल</p>
<p>गिरे काल के गाल</p>
<p>क्यों पाना इसको भला?</p>
<p>जहाँ बचे न भाल</p>
<p></p>
<p>इस अनन्त ब्रम्हाण्ड में</p>
<p>पृथ्वी का क्या मोल?</p>
<p>पल-पल, घिस-घिस छीजती</p>
<p>तोल सके तो तोल!</p>
<p></p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित </p>कलियुगtag:openbooks.ning.com,2023-09-23:5170231:BlogPost:11093942023-09-23T00:07:30.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
<p>कलियुग</p>
<p></p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>ब्रह्मज्ञानी उपहास का पात्र है</p>
<p>अर्थार्थी सिर का ताज है </p>
<p></p>
<p>किसको ,कब पटखनी दें? आँखें गड़ाए हैं</p>
<p>मिलते ही मौका, धूल में मिलाए हैं </p>
<p></p>
<p>कलियुग है,चाहते अपनी वज़ाहत है</p>
<p>दूसरों को मारकर जीने की चाहत है</p>
<p></p>
<p>श्रमिकों की मेहनत का हक़, हक़ से लेते हैं </p>
<p>जन्म-जन्मांतर पापों को ढोते हैं</p>
<p></p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित </p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p>कलियुग</p>
<p></p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>ब्रह्मज्ञानी उपहास का पात्र है</p>
<p>अर्थार्थी सिर का ताज है </p>
<p></p>
<p>किसको ,कब पटखनी दें? आँखें गड़ाए हैं</p>
<p>मिलते ही मौका, धूल में मिलाए हैं </p>
<p></p>
<p>कलियुग है,चाहते अपनी वज़ाहत है</p>
<p>दूसरों को मारकर जीने की चाहत है</p>
<p></p>
<p>श्रमिकों की मेहनत का हक़, हक़ से लेते हैं </p>
<p>जन्म-जन्मांतर पापों को ढोते हैं</p>
<p></p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित </p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>मन नहीं हैtag:openbooks.ning.com,2023-09-21:5170231:BlogPost:11093792023-09-21T01:00:00.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
<p>मन नहीं है</p>
<p></p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p></p>
<p>अब कुछ भी लिखने का, मन नहीं है</p>
<p> </p>
<p>क्या कहें ? साहित्य के नाम पर</p>
<p></p>
<p>चलाए जा रहे व्यापार में</p>
<p></p>
<p>ख़रीद-फ़रोख़्त के बाज़ार में</p>
<p> </p>
<p>बिकने का मन, नहीं है</p>
<p></p>
<p>अब कुछ भी लिखने का, मन नहीं है</p>
<p></p>
<p></p>
<p>इस दुनिया की इक छोटी सी बस्ती में</p>
<p></p>
<p>रहती हूँ, कोई बड़ी हस्ती नहीं हूँ मैं</p>
<p></p>
<p>शकुनी की शतरंजी झूठी इन चालों से</p>
<p></p>
<p>मोहरों के बेवजह…</p>
<p>मन नहीं है</p>
<p></p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p></p>
<p>अब कुछ भी लिखने का, मन नहीं है</p>
<p> </p>
<p>क्या कहें ? साहित्य के नाम पर</p>
<p></p>
<p>चलाए जा रहे व्यापार में</p>
<p></p>
<p>ख़रीद-फ़रोख़्त के बाज़ार में</p>
<p> </p>
<p>बिकने का मन, नहीं है</p>
<p></p>
<p>अब कुछ भी लिखने का, मन नहीं है</p>
<p></p>
<p></p>
<p>इस दुनिया की इक छोटी सी बस्ती में</p>
<p></p>
<p>रहती हूँ, कोई बड़ी हस्ती नहीं हूँ मैं</p>
<p></p>
<p>शकुनी की शतरंजी झूठी इन चालों से</p>
<p></p>
<p>मोहरों के बेवजह पिटने का, ग़म नहीं है</p>
<p></p>
<p>अब कुछ भी लिखने का, मन नहीं है</p>
<p></p>
<p></p>
<p>नश्वर संसार के काल्पनिक जंजालों की </p>
<p></p>
<p>भ्रान्ति में फँसने का कोई भी, भ्रम नहीं है</p>
<p></p>
<p>अब कुछ भी लिखने का, मन नहीं है</p>
<p></p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित</p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>प्रकृतिtag:openbooks.ning.com,2023-09-14:5170231:BlogPost:11093402023-09-14T20:20:02.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
<p>प्रकृति</p>
<p></p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>पैसे देकर छ्प गए</p>
<p>ढोया झूठा भार</p>
<p>भावों के सौदागरों का </p>
<p>चलता व्यापार</p>
<p></p>
<p>अक्षर-अक्षर, शब्द हैं</p>
<p>"वाणी" का उपहार</p>
<p>सर्व- समर्थ अनन्त से</p>
<p>जिसके जुड़ते तार</p>
<p></p>
<p>ठुकराती दुर्गा उन्हे</p>
<p>जिनमें अहं विकार</p>
<p>सन्मार्गी को चल स्वयं</p>
<p>दिखलाती प्रभु- द्वार</p>
<p></p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित </p>
<p>प्रकृति</p>
<p></p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>पैसे देकर छ्प गए</p>
<p>ढोया झूठा भार</p>
<p>भावों के सौदागरों का </p>
<p>चलता व्यापार</p>
<p></p>
<p>अक्षर-अक्षर, शब्द हैं</p>
<p>"वाणी" का उपहार</p>
<p>सर्व- समर्थ अनन्त से</p>
<p>जिसके जुड़ते तार</p>
<p></p>
<p>ठुकराती दुर्गा उन्हे</p>
<p>जिनमें अहं विकार</p>
<p>सन्मार्गी को चल स्वयं</p>
<p>दिखलाती प्रभु- द्वार</p>
<p></p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित </p>सत्य ज्ञानtag:openbooks.ning.com,2023-08-30:5170231:BlogPost:11090732023-08-30T10:41:14.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
<p>सत्य ज्ञान </p>
<p></p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>औरतों का जीना किया हराम</p>
<p>सरकार हो या विपक्ष </p>
<p>इन्टरनेट मीडिया दुर्लक्ष </p>
<p>पीटती ढोल सुबह -शाम</p>
<p></p>
<p>उन पर क्या बीतेगी?</p>
<p>लाज शर्म,किस तरह छीजेगी?</p>
<p>न लिहाज,न ईमान</p>
<p>बेशर्मी से करते बदनाम</p>
<p></p>
<p>सूचनाओं में विष घोल कर</p>
<p>शब्द-वाणों की शक्ति छोड़,बेईमान</p>
<p>चलाते, देश की इज्ज़त </p>
<p>उछालने का अभियान</p>
<p></p>
<p>महिलाओं पर कर अनुसन्धान</p>
<p>ज्ञान का करते बखान</p>
<p>स्वयं के मन…</p>
<p>सत्य ज्ञान </p>
<p></p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>औरतों का जीना किया हराम</p>
<p>सरकार हो या विपक्ष </p>
<p>इन्टरनेट मीडिया दुर्लक्ष </p>
<p>पीटती ढोल सुबह -शाम</p>
<p></p>
<p>उन पर क्या बीतेगी?</p>
<p>लाज शर्म,किस तरह छीजेगी?</p>
<p>न लिहाज,न ईमान</p>
<p>बेशर्मी से करते बदनाम</p>
<p></p>
<p>सूचनाओं में विष घोल कर</p>
<p>शब्द-वाणों की शक्ति छोड़,बेईमान</p>
<p>चलाते, देश की इज्ज़त </p>
<p>उछालने का अभियान</p>
<p></p>
<p>महिलाओं पर कर अनुसन्धान</p>
<p>ज्ञान का करते बखान</p>
<p>स्वयं के मन का अन्वेषण यदि करते</p>
<p>पा लेते "सत्य ज्ञान"</p>
<p></p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित</p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>फूलों की चोरीtag:openbooks.ning.com,2023-08-07:5170231:BlogPost:11076432023-08-07T13:06:26.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
<p>फूलों की चोरी</p>
<p></p>
<p>उषा अवस्थी <br></br><br></br>फूलों की चोरी</p>
<p>बिना किसी परिश्रम <br></br><br></br>न पानी डालने का श्रम<br></br>न माली के खर्च का गम<br></br>पकी -पकाई रोटियाँ <br></br>खाने को तैयार<br></br>करने को प्रभु को प्रसन्न<br></br>सर्व सुलभ हथियार <br></br><br></br>कुछ कर्म करते-करते <br></br>स्वाभाविक हो चले हैं<br></br>वह पाप नहीं</p>
<p>आदत में शुमार,<br></br>लगते भले हैं <br></br><br></br>उनके लिए यह चोरी नहीं<br></br>साधारण सी बात है<br></br>दूसरों की मेहनत<br></br>उनकी ख़ैरात है <br></br><br></br>चोरी का आरम्भ ,<br></br>उस पेन्सिल के समान<br></br>जिस…</p>
<p>फूलों की चोरी</p>
<p></p>
<p>उषा अवस्थी <br/><br/>फूलों की चोरी</p>
<p>बिना किसी परिश्रम <br/><br/>न पानी डालने का श्रम<br/>न माली के खर्च का गम<br/>पकी -पकाई रोटियाँ <br/>खाने को तैयार<br/>करने को प्रभु को प्रसन्न<br/>सर्व सुलभ हथियार <br/><br/>कुछ कर्म करते-करते <br/>स्वाभाविक हो चले हैं<br/>वह पाप नहीं</p>
<p>आदत में शुमार,<br/>लगते भले हैं <br/><br/>उनके लिए यह चोरी नहीं<br/>साधारण सी बात है<br/>दूसरों की मेहनत<br/>उनकी ख़ैरात है <br/><br/>चोरी का आरम्भ ,<br/>उस पेन्सिल के समान<br/>जिस कारण,फाँसी पर <br/>झूलने से पहले<br/>भरी अदालत में <br/>अपने ही बेटे ने<br/>काटे,माँ के कान <br/><br/>मौलिक एवं अप्रकाशित<br/></p>घाघtag:openbooks.ning.com,2023-07-15:5170231:BlogPost:11065462023-07-15T06:38:10.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>नेताओं के ड्राइवर बने हैं मालिक आप</p>
<p>ठेगें पर रखते नियम,इन्हे न पश्चाताप</p>
<p></p>
<p>दूजे घर के सामने गाड़ी करते पार्क</p>
<p>टोके तो दें चुनौती, शर्म न कोई लाज</p>
<p></p>
<p>घर के मालिक स्वयं ही उनको देते छूट</p>
<p>लाते ब्राण्डेड गाड़ियाँ, जश्न मनाते खूब</p>
<p></p>
<p>सारे नियम क़ायदे रख समाज के, ताक़</p>
<p>विधि -विधान, दस्तूर सब स्वयं बनाते घाघ</p>
<p></p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित</p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>नेताओं के ड्राइवर बने हैं मालिक आप</p>
<p>ठेगें पर रखते नियम,इन्हे न पश्चाताप</p>
<p></p>
<p>दूजे घर के सामने गाड़ी करते पार्क</p>
<p>टोके तो दें चुनौती, शर्म न कोई लाज</p>
<p></p>
<p>घर के मालिक स्वयं ही उनको देते छूट</p>
<p>लाते ब्राण्डेड गाड़ियाँ, जश्न मनाते खूब</p>
<p></p>
<p>सारे नियम क़ायदे रख समाज के, ताक़</p>
<p>विधि -विधान, दस्तूर सब स्वयं बनाते घाघ</p>
<p></p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित</p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>ज़हरीला परिवेशtag:openbooks.ning.com,2023-05-09:5170231:BlogPost:11030872023-05-09T10:30:00.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
<p>बाहर तपती धूप है , हवा चले , ले रेत</p>
<p>मनुज न फिर भी चेतता,होता जीव अचेत</p>
<p></p>
<p>भीषण बाढ़ें कर रहीं घर संग फसल तबाह</p>
<p>मेहनतकश किसान का,किस विधि हो निर्वाह?</p>
<p></p>
<p>शब्दों कर्मों में नहीं दिखता सामंजस्य</p>
<p>धरती जो है उर्वरा, कहते ऊसर व्यर्थ</p>
<p></p>
<p>उस पर वह बनवा रहे सुखद, मनोरम 'स्यूट'</p>
<p>बिल्डर , माननीय मिल,जमकर करते लूट</p>
<p></p>
<p>अभिभाषण में कह रहे पर्यावरण बचाव</p>
<p>कटवाएँ खुद तरु,विटप, देते नित्य सुझाव</p>
<p></p>
<p>कथनी करनी में बड़ा अन्तर…</p>
<p>बाहर तपती धूप है , हवा चले , ले रेत</p>
<p>मनुज न फिर भी चेतता,होता जीव अचेत</p>
<p></p>
<p>भीषण बाढ़ें कर रहीं घर संग फसल तबाह</p>
<p>मेहनतकश किसान का,किस विधि हो निर्वाह?</p>
<p></p>
<p>शब्दों कर्मों में नहीं दिखता सामंजस्य</p>
<p>धरती जो है उर्वरा, कहते ऊसर व्यर्थ</p>
<p></p>
<p>उस पर वह बनवा रहे सुखद, मनोरम 'स्यूट'</p>
<p>बिल्डर , माननीय मिल,जमकर करते लूट</p>
<p></p>
<p>अभिभाषण में कह रहे पर्यावरण बचाव</p>
<p>कटवाएँ खुद तरु,विटप, देते नित्य सुझाव</p>
<p></p>
<p>कथनी करनी में बड़ा अन्तर दिखे विशेष</p>
<p>कुटिल बुद्धि, हिंसा,अमर्ष, ज़हरीला परिवेश</p>
<p></p>
<p></p>
<p><em>(कुछ दिनों पूर्व यह समाचार था कि खेती की भूमि को ऊसर बता कर,बिल्डर मिली भगत से 'कन्सट्रकशन' कार्य कर रहे हैं। उसी का परिणाम यह रचना है।)</em></p>
<p></p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित</p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p> </p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>जीवन और सत्यtag:openbooks.ning.com,2023-04-28:5170231:BlogPost:11026002023-04-28T04:30:59.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>क्षमाशीलता प्रेम की नदी बहे जिस गाँव</p>
<p>जिसको जो भी चाहिए, मिले वहीं उस ठाँव</p>
<p></p>
<p>करुणा औ वैराग्य का जिसमें जगा विवेक</p>
<p>जन्म उसी का इस धरा पर सार्थक,नि:शेष</p>
<p></p>
<p>जीवन अभिनय की विधा,चले श्रॄंखलाबद्ध</p>
<p>इच्छाओं , आशाओं की उलझन से सन्नद्ध</p>
<p></p>
<p>जिसने तोड़ी यह कड़ी , हुआ सत्य,उन्मुक्त</p>
<p>पार सभी सीमाओं से जाग्रत ,शुद्ध , प्रबुद्ध</p>
<p></p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित</p>
<p></p>
<p></p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>क्षमाशीलता प्रेम की नदी बहे जिस गाँव</p>
<p>जिसको जो भी चाहिए, मिले वहीं उस ठाँव</p>
<p></p>
<p>करुणा औ वैराग्य का जिसमें जगा विवेक</p>
<p>जन्म उसी का इस धरा पर सार्थक,नि:शेष</p>
<p></p>
<p>जीवन अभिनय की विधा,चले श्रॄंखलाबद्ध</p>
<p>इच्छाओं , आशाओं की उलझन से सन्नद्ध</p>
<p></p>
<p>जिसने तोड़ी यह कड़ी , हुआ सत्य,उन्मुक्त</p>
<p>पार सभी सीमाओं से जाग्रत ,शुद्ध , प्रबुद्ध</p>
<p></p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित</p>
<p></p>
<p></p>असत्य स्वीकार नहींtag:openbooks.ning.com,2023-04-19:5170231:BlogPost:11025212023-04-19T16:52:19.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
उषा अवस्थी<br />
<br />
धरा पाँव जब सत्य मार्ग पर<br />
मुश्किल पथ,आसान नहीं<br />
<br />
सही वस्तु की ग़लत व्याख्या<br />
इस मन का आधार नहीं<br />
<br />
तीव्र धार की असि ग्रीवा पर<br />
हो, असत्य स्वीकार नहीं<br />
<br />
शान्त,अडिग,निःशंक,अकेला<br />
"मै", लव भर का भार नहीं<br />
<br />
दृष्टा पर अवलम्ब दृश्य<br />
दृष्टा तो मुक्त , विकार नहीं<br />
<br />
अकथ,अलौकिक,अतुल,अनामय<br />
को मिथ्या स्वीकार्य नहीं<br />
<br />
मौलिक एवं अप्रकाशित
उषा अवस्थी<br />
<br />
धरा पाँव जब सत्य मार्ग पर<br />
मुश्किल पथ,आसान नहीं<br />
<br />
सही वस्तु की ग़लत व्याख्या<br />
इस मन का आधार नहीं<br />
<br />
तीव्र धार की असि ग्रीवा पर<br />
हो, असत्य स्वीकार नहीं<br />
<br />
शान्त,अडिग,निःशंक,अकेला<br />
"मै", लव भर का भार नहीं<br />
<br />
दृष्टा पर अवलम्ब दृश्य<br />
दृष्टा तो मुक्त , विकार नहीं<br />
<br />
अकथ,अलौकिक,अतुल,अनामय<br />
को मिथ्या स्वीकार्य नहीं<br />
<br />
मौलिक एवं अप्रकाशितश्रम चोरtag:openbooks.ning.com,2023-04-13:5170231:BlogPost:11022222023-04-13T12:28:43.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>सुबह सबेरे थैलियाँ लेकर निकलें आप</p>
<p>तोड़ पुष्प झोली भरें प्रभु-पूजा के काज</p>
<p></p>
<p>भगवन भूखे भाव के, न जानें यह मर्म</p>
<p>दूजों के श्रम की करें चोरी, नित्य अधर्म</p>
<p></p>
<p>माली से ले आज्ञा, गुरु के हित, सुखधाम</p>
<p>फुलवारी में जनक की, फूल चुने तब राम</p>
<p></p>
<p>मन्दिर में प्रभु को प्रसन्न करने के हित,भोर</p>
<p>गलियों - गलियों डोलते हैं प्रसून के चोर</p>
<p></p>
<p>पाले, पोसे , सींच कर बड़ा करे कोई और</p>
<p>नष्ट करें शाखाओं को खींच-खींच…</p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>सुबह सबेरे थैलियाँ लेकर निकलें आप</p>
<p>तोड़ पुष्प झोली भरें प्रभु-पूजा के काज</p>
<p></p>
<p>भगवन भूखे भाव के, न जानें यह मर्म</p>
<p>दूजों के श्रम की करें चोरी, नित्य अधर्म</p>
<p></p>
<p>माली से ले आज्ञा, गुरु के हित, सुखधाम</p>
<p>फुलवारी में जनक की, फूल चुने तब राम</p>
<p></p>
<p>मन्दिर में प्रभु को प्रसन्न करने के हित,भोर</p>
<p>गलियों - गलियों डोलते हैं प्रसून के चोर</p>
<p></p>
<p>पाले, पोसे , सींच कर बड़ा करे कोई और</p>
<p>नष्ट करें शाखाओं को खींच-खींच झकझोर</p>
<p></p>
<p>त्रेता, द्वापर युग रहे विपुल बगीचे , बाग़</p>
<p>हरियाली,"सौन्दर्य," की रक्षा करनी आज</p>
<p></p>
<p>डाली पर शोभा अतुल ,भरते नव उल्लास</p>
<p>कोमल,सुरभित सुमन, द्रुम का क्यों करते नाश?</p>
<p></p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित</p>
<p></p>
<p></p>मन कैसे-कैसे घरौंदे बनाता है?tag:openbooks.ning.com,2023-02-04:5170231:BlogPost:10988142023-02-04T13:44:59.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
<p></p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>मन कैसे-कैसे घरौंदे बनाता है?</p>
<p></p>
<p>वे घर ,जो दिखते नहीं</p>
<p>मिलते हैं धूल में, टिकते नहीं</p>
<p></p>
<p>पर "मैं" कहाँ मानता है?</p>
<p>विचारों के कुरुक्षेत्र में,खाक़ छानता है</p>
<p></p>
<p>एक के पश्चात दूसरा,तत्पश्चात तीसरा</p>
<p>ख़्यालों का समुंदर लहराता है</p>
<p></p>
<p>अनवरत प्रवाह में </p>
<p>डूबता, उतराता है</p>
<p></p>
<p>जीवन और मौत के बीच</p>
<p>झूल - झूल जाता है</p>
<p></p>
<p>मन कैसे-कैसे घरौंदे बनाता है?</p>
<p></p>
<p>मौलिमन क…</p>
<p></p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>मन कैसे-कैसे घरौंदे बनाता है?</p>
<p></p>
<p>वे घर ,जो दिखते नहीं</p>
<p>मिलते हैं धूल में, टिकते नहीं</p>
<p></p>
<p>पर "मैं" कहाँ मानता है?</p>
<p>विचारों के कुरुक्षेत्र में,खाक़ छानता है</p>
<p></p>
<p>एक के पश्चात दूसरा,तत्पश्चात तीसरा</p>
<p>ख़्यालों का समुंदर लहराता है</p>
<p></p>
<p>अनवरत प्रवाह में </p>
<p>डूबता, उतराता है</p>
<p></p>
<p>जीवन और मौत के बीच</p>
<p>झूल - झूल जाता है</p>
<p></p>
<p>मन कैसे-कैसे घरौंदे बनाता है?</p>
<p></p>
<p>मौलिमन क एवं अप्रकाशित</p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>वसन्तtag:openbooks.ning.com,2023-01-25:5170231:BlogPost:10967952023-01-25T13:05:05.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
<p> वसन्त</p>
<p></p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>पतझड़ हुआ विराग का</p>
<p>खिले मिलन के फूल</p>
<p> </p>
<p>प्रेम, त्याग, आनन्द की</p>
<p>चली पवन अनुकूल</p>
<p></p>
<p>चिन्ता, भय,और शोक का </p>
<p>मिटा शीत अवसाद</p>
<p></p>
<p>शान्ति, धैर्य, सन्तोष संग </p>
<p>प्रकटा प्रेम प्रसाद</p>
<p></p>
<p>सरस नेह सरसों खिली </p>
<p>अन्तर भरे उमंग</p>
<p></p>
<p>पीत वसन की ओढ़नी, </p>
<p>थिर सब हुईं तरंग</p>
<p></p>
<p>शिव शक्ती का यह मिलन,</p>
<p>अद्भुत, अगम, अनन्त</p>
<p></p>
<p>गति मति…</p>
<p> वसन्त</p>
<p></p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>पतझड़ हुआ विराग का</p>
<p>खिले मिलन के फूल</p>
<p> </p>
<p>प्रेम, त्याग, आनन्द की</p>
<p>चली पवन अनुकूल</p>
<p></p>
<p>चिन्ता, भय,और शोक का </p>
<p>मिटा शीत अवसाद</p>
<p></p>
<p>शान्ति, धैर्य, सन्तोष संग </p>
<p>प्रकटा प्रेम प्रसाद</p>
<p></p>
<p>सरस नेह सरसों खिली </p>
<p>अन्तर भरे उमंग</p>
<p></p>
<p>पीत वसन की ओढ़नी, </p>
<p>थिर सब हुईं तरंग</p>
<p></p>
<p>शिव शक्ती का यह मिलन,</p>
<p>अद्भुत, अगम, अनन्त</p>
<p></p>
<p>गति मति अविचल,अपरिमित, </p>
<p>अव्याख्येय वसन्त</p>
<p></p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित</p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>साक्षात्कारtag:openbooks.ning.com,2023-01-21:5170231:BlogPost:10968592023-01-21T13:27:29.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>सबकी अलग देनदारियां हैं</p>
<p>जीवन-नदिया में,</p>
<p>कर्म-नौका पर सवार</p>
<p>सुख-दुख से उत्पन्न</p>
<p>अपरिहार्य लहरें</p>
<p>सहने की मजबूरियां हैं</p>
<p></p>
<p>जब तरंगे "सम" पर आती हैं</p>
<p>पहुँचाती हैं सहजता से</p>
<p>इच्छित गन्तव्य तक</p>
<p>समस्त उलझनों के पार</p>
<p>कराती हैं, स्वयं से स्वयं का </p>
<p>"साक्षात्कार"</p>
<p></p>
<p></p>
<p>प्रकृति आईना दिखाने को सन्नद्ध है</p>
<p>नियमों से आबद्ध है</p>
<p>जो अपना धर्म </p>
<p>सदैव निभाती है</p>
<p>"मैं"…</p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>सबकी अलग देनदारियां हैं</p>
<p>जीवन-नदिया में,</p>
<p>कर्म-नौका पर सवार</p>
<p>सुख-दुख से उत्पन्न</p>
<p>अपरिहार्य लहरें</p>
<p>सहने की मजबूरियां हैं</p>
<p></p>
<p>जब तरंगे "सम" पर आती हैं</p>
<p>पहुँचाती हैं सहजता से</p>
<p>इच्छित गन्तव्य तक</p>
<p>समस्त उलझनों के पार</p>
<p>कराती हैं, स्वयं से स्वयं का </p>
<p>"साक्षात्कार"</p>
<p></p>
<p></p>
<p>प्रकृति आईना दिखाने को सन्नद्ध है</p>
<p>नियमों से आबद्ध है</p>
<p>जो अपना धर्म </p>
<p>सदैव निभाती है</p>
<p>"मैं" त्याग, व्यापक अहं में</p>
<p>समाती है</p>
<p></p>
<p><strong>मौलिक</strong> एवं अप्रकाशित</p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>सौन्दर्य का पर्यायtag:openbooks.ning.com,2023-01-07:5170231:BlogPost:10966532023-01-07T06:00:00.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>"नग्नता" सौन्दर्य का पर्याय </p>
<p>बनती जा रही है</p>
<p>फिल्म चलने का बड़ा आधार</p>
<p>बनती जा रही है</p>
<p></p>
<p>"तन मेरा मैं</p>
<p>जो भी चाहे सो करूँ"</p>
<p>की विषैली सोच का उन्माद </p>
<p>गहती जा रही है</p>
<p></p>
<p>आधुनिकता शब्द का</p>
<p>नव अर्थ गढ़</p>
<p>संक्रमण का बीज धरती पर</p>
<p>सतत बिखरा रही है</p>
<p></p>
<p>मार्ग मध्यम छोड़कर </p>
<p>है दिन-ब-दिन</p>
<p>अमर्यादित आचरण</p>
<p>विस्तार करती जा रही है</p>
<p></p>
<p>"नग्नता" सौन्दर्र का…</p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>"नग्नता" सौन्दर्य का पर्याय </p>
<p>बनती जा रही है</p>
<p>फिल्म चलने का बड़ा आधार</p>
<p>बनती जा रही है</p>
<p></p>
<p>"तन मेरा मैं</p>
<p>जो भी चाहे सो करूँ"</p>
<p>की विषैली सोच का उन्माद </p>
<p>गहती जा रही है</p>
<p></p>
<p>आधुनिकता शब्द का</p>
<p>नव अर्थ गढ़</p>
<p>संक्रमण का बीज धरती पर</p>
<p>सतत बिखरा रही है</p>
<p></p>
<p>मार्ग मध्यम छोड़कर </p>
<p>है दिन-ब-दिन</p>
<p>अमर्यादित आचरण</p>
<p>विस्तार करती जा रही है</p>
<p></p>
<p>"नग्नता" सौन्दर्र का पर्याय</p>
<p>बनती जा रही है</p>
<p></p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित</p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>शोक से परे हो जाओtag:openbooks.ning.com,2022-12-24:5170231:BlogPost:10955962022-12-24T05:44:51.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>यह कोरा उपदेश नहीं</p>
<p>कोई झूठा संदेश नहीं</p>
<p>सत्य ही आधार है</p>
<p>न स्त्री, न पुरुष </p>
<p>एक निराकार है</p>
<p></p>
<p>मौत हमारा क्या बिगाड़ेगी?</p>
<p>हम उससे डरें क्यों?</p>
<p>भूत हो, वर्तमान हो,भविष्य हो</p>
<p>हम काल के महाकाल हैं</p>
<p>सदा चैतन्य; नहीं इन्द्रजाल हैं</p>
<p></p>
<p>आत्मा कहाँ मरती है?</p>
<p>अतः इस जगत की </p>
<p>वैतरणी के पार</p>
<p>सच्चिदानन्द में समाओ</p>
<p>शोक से परे हो जाओ</p>
<p></p>
<p>मौलिक एवं…</p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>यह कोरा उपदेश नहीं</p>
<p>कोई झूठा संदेश नहीं</p>
<p>सत्य ही आधार है</p>
<p>न स्त्री, न पुरुष </p>
<p>एक निराकार है</p>
<p></p>
<p>मौत हमारा क्या बिगाड़ेगी?</p>
<p>हम उससे डरें क्यों?</p>
<p>भूत हो, वर्तमान हो,भविष्य हो</p>
<p>हम काल के महाकाल हैं</p>
<p>सदा चैतन्य; नहीं इन्द्रजाल हैं</p>
<p></p>
<p>आत्मा कहाँ मरती है?</p>
<p>अतः इस जगत की </p>
<p>वैतरणी के पार</p>
<p>सच्चिदानन्द में समाओ</p>
<p>शोक से परे हो जाओ</p>
<p></p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित</p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>दुनियाtag:openbooks.ning.com,2022-12-16:5170231:BlogPost:10952222022-12-16T05:16:04.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>जहाँ अपना कुछ नहीं </p>
<p>सब पराया है</p>
<p>न जाने कौन सा </p>
<p>आकर्षण समाया है? </p>
<p></p>
<p>चारों ओर मारा-मारी है</p>
<p>धन-दौलत की खुमारी है</p>
<p>प्रतिस्पर्धा तारी है</p>
<p>अहंकार पर सवारी है</p>
<p></p>
<p>प्रति पल बदलाव है</p>
<p>न ही ठहराव है</p>
<p>इच्छित वस्तु प्राप्त हो जाए </p>
<p>फिर आगे क्या? </p>
<p></p>
<p>सब यहीं छोड़ जाना है</p>
<p>पाँच तत्वों का ताना-बाना है</p>
<p>कहीं स्थिरता नहीं</p>
<p>केवल आना है,जाना है</p>
<p></p>
<p>मौलिक एवं…</p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>जहाँ अपना कुछ नहीं </p>
<p>सब पराया है</p>
<p>न जाने कौन सा </p>
<p>आकर्षण समाया है? </p>
<p></p>
<p>चारों ओर मारा-मारी है</p>
<p>धन-दौलत की खुमारी है</p>
<p>प्रतिस्पर्धा तारी है</p>
<p>अहंकार पर सवारी है</p>
<p></p>
<p>प्रति पल बदलाव है</p>
<p>न ही ठहराव है</p>
<p>इच्छित वस्तु प्राप्त हो जाए </p>
<p>फिर आगे क्या? </p>
<p></p>
<p>सब यहीं छोड़ जाना है</p>
<p>पाँच तत्वों का ताना-बाना है</p>
<p>कहीं स्थिरता नहीं</p>
<p>केवल आना है,जाना है</p>
<p></p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित</p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>लोक कथाएँ "कुछ" कहती हैंtag:openbooks.ning.com,2022-12-10:5170231:BlogPost:10950312022-12-10T13:47:39.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>लोक कथाएँ "कुछ" कहती हैं</p>
<p></p>
<p>भाव भरे, विभिन्न रस सिंचित</p>
<p>वह जीवन को गहती हैं</p>
<p></p>
<p>जुड़े रहें सम्बन्ध आपसी</p>
<p>प्रेम प्रगाढ़ विरचती हैं</p>
<p></p>
<p>परिवारों के रिश्ते-नाते</p>
<p>नेह- स्वरों से भरती हैं</p>
<p></p>
<p>प्रीति- पगे सुन्दर वचनो से</p>
<p>हो उत्फुल्ल गमकती हैं</p>
<p></p>
<p>सामाजिक समरसता के </p>
<p>शुभ ताने-बाने बुनती हैं</p>
<p></p>
<p>लोक -कथाएँ "कुछ" कहती हैं</p>
<p></p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित</p>
<p></p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>लोक कथाएँ "कुछ" कहती हैं</p>
<p></p>
<p>भाव भरे, विभिन्न रस सिंचित</p>
<p>वह जीवन को गहती हैं</p>
<p></p>
<p>जुड़े रहें सम्बन्ध आपसी</p>
<p>प्रेम प्रगाढ़ विरचती हैं</p>
<p></p>
<p>परिवारों के रिश्ते-नाते</p>
<p>नेह- स्वरों से भरती हैं</p>
<p></p>
<p>प्रीति- पगे सुन्दर वचनो से</p>
<p>हो उत्फुल्ल गमकती हैं</p>
<p></p>
<p>सामाजिक समरसता के </p>
<p>शुभ ताने-बाने बुनती हैं</p>
<p></p>
<p>लोक -कथाएँ "कुछ" कहती हैं</p>
<p></p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित</p>
<p></p>धरती के पुत्रों उठोtag:openbooks.ning.com,2022-10-09:5170231:BlogPost:10914512022-10-09T17:35:45.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
<p>धरती के पुत्रों, उठो <br/><br/>उषा अवस्थी <br/><br/>शरद चन्द्र तुम न दिखे<br/>घटा घिरी घनघोर<br/>गरज - चमक कर बरसता<br/>मेघा,ओर न छोर <br/><br/>जो अमृत था बरसता<br/>हमें मिला न आज<br/>पर्व न उस विधि मन सका <br/>जैसा साजा साज़ <br/><br/>वृक्ष, पहाड़ों का किया <br/>अपने हाथ विनाश<br/>अब रोने से है भला<br/>क्या आएगा हाथ? <br/><br/>धरती के पुत्रों उठो<br/>समय नहीं है शेष<br/>चुन उपयोगी पौध को <br/>रोपो , मिटे कलेश <br/><br/>मौलिक एवं अप्रकाशित</p>
<p>धरती के पुत्रों, उठो <br/><br/>उषा अवस्थी <br/><br/>शरद चन्द्र तुम न दिखे<br/>घटा घिरी घनघोर<br/>गरज - चमक कर बरसता<br/>मेघा,ओर न छोर <br/><br/>जो अमृत था बरसता<br/>हमें मिला न आज<br/>पर्व न उस विधि मन सका <br/>जैसा साजा साज़ <br/><br/>वृक्ष, पहाड़ों का किया <br/>अपने हाथ विनाश<br/>अब रोने से है भला<br/>क्या आएगा हाथ? <br/><br/>धरती के पुत्रों उठो<br/>समय नहीं है शेष<br/>चुन उपयोगी पौध को <br/>रोपो , मिटे कलेश <br/><br/>मौलिक एवं अप्रकाशित</p>हिन्दीtag:openbooks.ning.com,2022-09-12:5170231:BlogPost:10891692022-09-12T07:01:58.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
हिन्दी<br />
<br />
उषा अवस्थी<br />
<br />
एकता का सूत्र हिन्दी<br />
राष्ट्र का यह मान<br />
है हमारा आभरण<br />
सौन्दर्य का प्रतिमान<br />
<br />
हिन्दी, हमारे हिन्द का है<br />
समन्वित उदघोष<br />
विश्व में फैला रही जो<br />
ज्योति, गौरव बोध<br />
<br />
भारती बागेश्वरी का<br />
है दिया वरदान<br />
हम सदा इसको समर्पित<br />
देश का अभिमान<br />
<br />
ज्ञान, भक्ति, कर्म से<br />
अद्भुत सुसज्जित वेश<br />
संत की वाणी सुभाषित<br />
मुक्ति का संदेश<br />
<br />
मातृभाषा में समाहित<br />
ऊर्जा का स्रोत<br />
समृद्धशाली, व्यवस्थित,<br />
अतुलित, अपरिमित कोष<br />
<br />
देववाणी संस्कृत की<br />
आत्मजा गुणवान<br />
सरल ,सुन्दर,पथप्रदर्शक<br />
सर्व गुण की खान<br />
<br />
रची मानस विलक्षण<br />
तुलसी…
हिन्दी<br />
<br />
उषा अवस्थी<br />
<br />
एकता का सूत्र हिन्दी<br />
राष्ट्र का यह मान<br />
है हमारा आभरण<br />
सौन्दर्य का प्रतिमान<br />
<br />
हिन्दी, हमारे हिन्द का है<br />
समन्वित उदघोष<br />
विश्व में फैला रही जो<br />
ज्योति, गौरव बोध<br />
<br />
भारती बागेश्वरी का<br />
है दिया वरदान<br />
हम सदा इसको समर्पित<br />
देश का अभिमान<br />
<br />
ज्ञान, भक्ति, कर्म से<br />
अद्भुत सुसज्जित वेश<br />
संत की वाणी सुभाषित<br />
मुक्ति का संदेश<br />
<br />
मातृभाषा में समाहित<br />
ऊर्जा का स्रोत<br />
समृद्धशाली, व्यवस्थित,<br />
अतुलित, अपरिमित कोष<br />
<br />
देववाणी संस्कृत की<br />
आत्मजा गुणवान<br />
सरल ,सुन्दर,पथप्रदर्शक<br />
सर्व गुण की खान<br />
<br />
रची मानस विलक्षण<br />
तुलसी हुए निष्काम<br />
भक्ति रस स्नात, मीरा<br />
सूर और रसखान<br />
<br />
रवि सदृश करती सदा जो<br />
विश्व का कल्याण<br />
कर प्रकाशित ज्ञान को<br />
अज्ञान से परित्राण<br />
<br />
संस्कृति संवाहिका<br />
है शब्द से सम्पन्न<br />
हो हमारी राष्ट्रभाषा<br />
पूर्ण हो यह स्वप्न<br />
<br />
मौलिक एवं अप्रकाशितक्या दबदबा हमारा है!tag:openbooks.ning.com,2022-08-16:5170231:BlogPost:10875912022-08-16T15:27:34.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
<p>क्या दबदबा हमारा है!</p>
<p></p>
<p>लोक तन्त्र का सुख भोगेंगे<br></br>चुने गए हम राजा हैं</p>
<p></p>
<p>देश हमारा, मार्ग हमारा <br></br>हम ही इसके आका हैं <br></br><br></br>चाहे जितनी गाड़ी रक्खें<br></br>फुटपाथों पर, बीच सड़क<br></br><br></br></p>
<p>हमको भला कौन रोकेगा?<br></br>जन प्रतिनिधि ,बेधड़क, कड़क <br></br><br></br>आस-पास हैं गार्ड हमारे<br></br>ले बन्दूकें साथ चलें<br></br><br></br></p>
<p>डर से जन सहमे रहते हैं <br></br>क्या मजाल जो घात करें? <br></br><br></br>पिए शक्ति-मद हम मतवाले<br></br>करते नित्य बवाला हैं</p>
<p></p>
<p>संग चापलूसों का…</p>
<p>क्या दबदबा हमारा है!</p>
<p></p>
<p>लोक तन्त्र का सुख भोगेंगे<br/>चुने गए हम राजा हैं</p>
<p></p>
<p>देश हमारा, मार्ग हमारा <br/>हम ही इसके आका हैं <br/><br/>चाहे जितनी गाड़ी रक्खें<br/>फुटपाथों पर, बीच सड़क<br/><br/></p>
<p>हमको भला कौन रोकेगा?<br/>जन प्रतिनिधि ,बेधड़क, कड़क <br/><br/>आस-पास हैं गार्ड हमारे<br/>ले बन्दूकें साथ चलें<br/><br/></p>
<p>डर से जन सहमे रहते हैं <br/>क्या मजाल जो घात करें? <br/><br/>पिए शक्ति-मद हम मतवाले<br/>करते नित्य बवाला हैं</p>
<p></p>
<p>संग चापलूसों का दल-बल<br/>क्या दबदबा हमारा है! <br/><br/>मौलिक एवं अप्रकाशित<br/><br/><br/><br/><br/><br/></p>आशाtag:openbooks.ning.com,2022-08-13:5170231:BlogPost:10878112022-08-13T06:50:17.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
झरता रहा सावन, तपता रहा मन<br />
आषाढ़ सूखा, कहीं बाढ़, कहीं रूखा<br />
कृषक का धैर्य छूटा<br />
<br />
सावन की घड़ियाँ, कुछ बूँदे, कुछ लड़ियाँ<br />
गिर भी गईं तो क्या?<br />
<br />
मौसम की मार, जीना दुश्वार<br />
कैसी हरियाली, कचरे की क्यारी<br />
<br />
पर आशा ही तो थाती है, ढर्रे पर लौटेगा जीवन<br />
सोच व्यापी है<br />
<br />
मौलिक एवं अप्रकाशित
झरता रहा सावन, तपता रहा मन<br />
आषाढ़ सूखा, कहीं बाढ़, कहीं रूखा<br />
कृषक का धैर्य छूटा<br />
<br />
सावन की घड़ियाँ, कुछ बूँदे, कुछ लड़ियाँ<br />
गिर भी गईं तो क्या?<br />
<br />
मौसम की मार, जीना दुश्वार<br />
कैसी हरियाली, कचरे की क्यारी<br />
<br />
पर आशा ही तो थाती है, ढर्रे पर लौटेगा जीवन<br />
सोच व्यापी है<br />
<br />
मौलिक एवं अप्रकाशितविचारणीयtag:openbooks.ning.com,2022-07-11:5170231:BlogPost:10864392022-07-11T17:41:10.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
<ul>
<li><span style="font-size: 15px;">विचारणीय</span> <br></br><br></br><span style="font-size: 15px;">सत्य है, लोग</span><br></br> <span style="font-size: 15px;">व्यवहारिक हो गए हैं</span><br></br> <span style="font-size: 15px;">कल के रिश्ते</span><br></br> <span style="font-size: 15px;">आज खो गए हैं</span> <br></br><br></br><span style="font-size: 15px;">किसी के बाप</span><br></br> <span style="font-size: 15px;">किसी की माँ का पता ही नहीं</span><br></br> <span style="font-size: 15px;">झेलें अवसाद…</span><br></br></li>
</ul>
<ul>
<li><span style="font-size: 15px;">विचारणीय</span> <br/><br/><span style="font-size: 15px;">सत्य है, लोग</span><br/> <span style="font-size: 15px;">व्यवहारिक हो गए हैं</span><br/> <span style="font-size: 15px;">कल के रिश्ते</span><br/> <span style="font-size: 15px;">आज खो गए हैं</span> <br/><br/><span style="font-size: 15px;">किसी के बाप</span><br/> <span style="font-size: 15px;">किसी की माँ का पता ही नहीं</span><br/> <span style="font-size: 15px;">झेलें अवसाद</span><br/> <span style="font-size: 15px;">बचपन जिया ही नहीं</span> <br/><br/><span style="font-size: 15px;">आख़िर हवा किधर बह रही है?</span><br/> <span style="font-size: 15px;">इन्सान भ्रमित है</span> <br/> <span style="font-size: 15px;">कभी इधर, कभी उधर</span> <br/> <span style="font-size: 15px;">बह रही है</span> <br/><br/><span style="font-size: 15px;">अपनी ही धुन में, निर्बन्ध</span><br/> <span style="font-size: 15px;">जवानी जिए जाते हैं</span><br/> <span style="font-size: 15px;">आया बुढ़ापा</span> <br/> <span style="font-size: 15px;">सिर धुन पछताते हैं</span> <br/><br/><span style="font-size: 15px;">मौलिक एवं अप्रकाशित</span></li>
</ul>कुछ उक्तियाँtag:openbooks.ning.com,2022-07-06:5170231:BlogPost:10861862022-07-06T10:00:30.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
<p><span style="font-size: 15px;">कुछ उक्तियाँ</span> <br></br><br></br><span style="font-size: 15px;">उषा अवस्थी</span> <br></br><br></br><span style="font-size: 15px;">आज 'गधे' को पीट कर</span><br></br> <span style="font-size: 15px;">'घोड़ा' दिया बनाय</span><br></br> <span style="font-size: 15px;">कल फिर तुम क्या करोगे</span><br></br> <span style="font-size: 15px;">जब रेंकेगा जाय?</span> <br></br><br></br><span style="font-size: 15px;">कैसे - कैसे लोग है</span><br></br> <span style="font-size: 15px;">कैसे - कैसे घाघ?…</span><br></br></p>
<p><span style="font-size: 15px;">कुछ उक्तियाँ</span> <br/><br/><span style="font-size: 15px;">उषा अवस्थी</span> <br/><br/><span style="font-size: 15px;">आज 'गधे' को पीट कर</span><br/> <span style="font-size: 15px;">'घोड़ा' दिया बनाय</span><br/> <span style="font-size: 15px;">कल फिर तुम क्या करोगे</span><br/> <span style="font-size: 15px;">जब रेंकेगा जाय?</span> <br/><br/><span style="font-size: 15px;">कैसे - कैसे लोग है</span><br/> <span style="font-size: 15px;">कैसे - कैसे घाघ?</span><br/> <span style="font-size: 15px;">वोट - नीति के नाम पर</span> <br/> <span style="font-size: 15px;">करें देश बरबाद</span> <br/><br/><span style="font-size: 15px;">बदल - बदल कर मुखौटे</span> <br/> <span style="font-size: 15px;">लगे घूमने धूर्त</span><br/> <span style="font-size: 15px;">दुनियाँ का ठेका लिए</span><br/> <span style="font-size: 15px;">बने शान्ति के दूत</span> <br/><br/><span style="font-size: 15px;">स्वयं आचरण मत करो</span><br/> <span style="font-size: 15px;">दूजों को उपदेश</span><br/> <span style="font-size: 15px;">क्या ऐसे व्यवहार से</span><br/> <span style="font-size: 15px;">आप बनाएँ देश?</span> <br/><br/><span style="font-size: 15px;">मौलिक एवं अप्रकाशित</span><br/><br/> <br/><br/></p>सब एकtag:openbooks.ning.com,2022-07-03:5170231:BlogPost:10861022022-07-03T13:26:36.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
<p><span style="font-size: 15px;">सब एक</span> <br></br><br></br><span style="font-size: 15px;">उषा अवस्थी</span> <br></br><br></br><span style="font-size: 15px;">सत्य में स्थित</span> <br></br><br></br><span style="font-size: 15px;">कौन किसे हाराएगा?</span><br></br> <span style="font-size: 15px;">कौन किससे हारेगा?</span> <br></br> <span style="font-size: 15px;">जो तुम, वह हम</span><br></br> <span style="font-size: 15px;">सब एक</span> <br></br><br></br><span style="font-size: 15px;">ज्ञानी वही अज्ञानी भी वही…</span><br></br></p>
<p><span style="font-size: 15px;">सब एक</span> <br/><br/><span style="font-size: 15px;">उषा अवस्थी</span> <br/><br/><span style="font-size: 15px;">सत्य में स्थित</span> <br/><br/><span style="font-size: 15px;">कौन किसे हाराएगा?</span><br/> <span style="font-size: 15px;">कौन किससे हारेगा?</span> <br/> <span style="font-size: 15px;">जो तुम, वह हम</span><br/> <span style="font-size: 15px;">सब एक</span> <br/><br/><span style="font-size: 15px;">ज्ञानी वही अज्ञानी भी वही</span><br/> <span style="font-size: 15px;">हारने हराने का सिलसिला</span><br/> <span style="font-size: 15px;">तर्क -वितर्क ; संशय तक</span><br/> <span style="font-size: 15px;">संशय समाप्त, समग्र प्राप्त</span> <br/><br/><span style="font-size: 15px;">तुममें हममें क्या फ़र्क है?</span><br/> <span style="font-size: 15px;">शेष सांसारिक तर्क है</span><br/> <span style="font-size: 15px;">जो व्यर्थ है,अवसाद है</span> <br/> <span style="font-size: 15px;">बढ़ाता उन्माद है</span> <br/><br/><span style="font-size: 15px;">राह का रोड़ा है</span><br/> <span style="font-size: 15px;">निरर्थक बखेड़ा है</span><br/> <span style="font-size: 15px;">केवल सब एक है</span><br/> <span style="font-size: 15px;">बस : सब एक है</span> <br/><br/><span style="font-size: 15px;">मौलिक एवं अप्रकाशित</span> <br/><br/></p>सत्यtag:openbooks.ning.com,2022-07-01:5170231:BlogPost:10861592022-07-01T13:35:19.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
<p>सत्य</p>
<p></p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>असत्य को धार देकर</p>
<p>बढ़ाने का ख़ुमार हो गया है</p>
<p>स्वस्थ परिचर्चा को </p>
<p>ग़लत दिशा देना</p>
<p>लोगों की आदत में </p>
<p>शुमार हो गया है।</p>
<p> </p>
<p></p>
<p>असत्य के महल खड़े कर</p>
<p>खिल्ली मत उड़ाओ</p>
<p>अनेकानेक झूठ को</p>
<p>सत्य से,धूल चटाओ</p>
<p></p>
<p>शास्त्र वाक्यों को दोराकर</p>
<p>अभिमान मत जताओ</p>
<p>कर्म में परिणित करो</p>
<p>व्यर्थ मत,समय गँवाओ</p>
<p></p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित</p>
<p>सत्य</p>
<p></p>
<p>उषा अवस्थी</p>
<p></p>
<p>असत्य को धार देकर</p>
<p>बढ़ाने का ख़ुमार हो गया है</p>
<p>स्वस्थ परिचर्चा को </p>
<p>ग़लत दिशा देना</p>
<p>लोगों की आदत में </p>
<p>शुमार हो गया है।</p>
<p> </p>
<p></p>
<p>असत्य के महल खड़े कर</p>
<p>खिल्ली मत उड़ाओ</p>
<p>अनेकानेक झूठ को</p>
<p>सत्य से,धूल चटाओ</p>
<p></p>
<p>शास्त्र वाक्यों को दोराकर</p>
<p>अभिमान मत जताओ</p>
<p>कर्म में परिणित करो</p>
<p>व्यर्थ मत,समय गँवाओ</p>
<p></p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित</p>पत्रकारtag:openbooks.ning.com,2022-05-29:5170231:BlogPost:10843602022-05-29T12:00:00.000ZUsha Awasthihttp://openbooks.ning.com/profile/UshaAwasthi
<p><span style="font-size: 15px;">कलम की धार</span><br></br> <span style="font-size: 15px;">सशक्त हथियार</span><br></br> <span style="font-size: 15px;">चौबीसों घण्टे</span><br></br> <span style="font-size: 15px;">चलता व्यापार</span> <br></br> <br></br> <span style="font-size: 15px;">निष्पक्ष समाचार</span><br></br> <span style="font-size: 15px;">बुराई पर वार</span><br></br> <span style="font-size: 15px;">सम्भावित, हर लम्हा</span><br></br> <span style="font-size: 15px;">तलवार की धार…</span> <br></br> <br></br></p>
<p><span style="font-size: 15px;">कलम की धार</span><br/> <span style="font-size: 15px;">सशक्त हथियार</span><br/> <span style="font-size: 15px;">चौबीसों घण्टे</span><br/> <span style="font-size: 15px;">चलता व्यापार</span> <br/> <br/> <span style="font-size: 15px;">निष्पक्ष समाचार</span><br/> <span style="font-size: 15px;">बुराई पर वार</span><br/> <span style="font-size: 15px;">सम्भावित, हर लम्हा</span><br/> <span style="font-size: 15px;">तलवार की धार</span> <br/> <br/> <span style="font-size: 15px;">क्षण - क्षण की ख़बरें</span><br/> <span style="font-size: 15px;">दृष्टि में ठहरें</span><br/> <span style="font-size: 15px;">गहरा अवलोकन</span><br/> <span style="font-size: 15px;">संघर्षों की लहरें</span> <br/> <br/> <span style="font-size: 15px;">मौलिक एवं अप्रकाशित</span></p>