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रणवीर सिंह 'अनुपम'
  • Male
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रणवीर सिंह 'अनुपम''s Page

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Chetan Prakash left a comment for रणवीर सिंह 'अनुपम'
"आदरणीय रणवीर सिंह 'अनूप' आपकी टिप्पणी मैंने अभी देखीं! आपने समारोह के समाप्त होने पर अपनी प्रतिक्रिया दी है, और जब ऐसा हुआ तब तक  Reply Box बंद हो चुका था! फिर भी आप की प्रतिक्रिया का स्वागत है!  किन्तु सम्यक यह नहीं रहता कि…"
Jul 22, 2021
रणवीर सिंह 'अनुपम' left a comment for Chetan Prakash
"आदरणीय, चेतन जी, "दोहे : कैसे- कैसे  लोग" शीर्षक के तहत लिखे गए दोहे बहुत सुंदर हैं और बहुत अच्छे लगे। निम्न चरण विधान में न होने से इनमें लय भंग है। जिसे दूर करने की जरूरत है। जन्म-भूमि स्वर्ग सम हो (कारण-नवीं मात्रा पर शब्द…"
Jul 22, 2021
रणवीर सिंह 'अनुपम' commented on रणवीर सिंह 'अनुपम''s blog post हल हँसिया खुरपा जुआ (कुंडलिया)
"आदरणीय, अग्रज राम अवध जी नमन। उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
Jun 4, 2020
रणवीर सिंह 'अनुपम' commented on रणवीर सिंह 'अनुपम''s blog post हल हँसिया खुरपा जुआ (कुंडलिया)
"आदरणीय, अग्रज कबीर जी नमन। उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
Jun 4, 2020
Ram Awadh VIshwakarma commented on रणवीर सिंह 'अनुपम''s blog post हल हँसिया खुरपा जुआ (कुंडलिया)
"आदरणीय रणवीर सिंह अनुपम जी सादर अभिवादन बहुत सुन्दर कुनडलियां द्वरा दुर्दशा का वर्णन किया है बधाई"
May 28, 2020
Samar kabeer commented on रणवीर सिंह 'अनुपम''s blog post हल हँसिया खुरपा जुआ (कुंडलिया)
"जनाब रणवीर सिंह 'अनुपम' जी आदाब, अच्छा कुण्डलिया छंद लिखा आपने, बधाई स्वीकार करें ।"
May 28, 2020
रणवीर सिंह 'अनुपम' posted a blog post

हल हँसिया खुरपा जुआ (कुंडलिया)

हल हँसिया खुरपा जुआ, कन्नी और कुदाल।झाड़ू   गेंती  फावड़ा,  समझ  रहे   हैं  चाल।समझ  रहे   हैं चाल, मगर सबके सब बेबस।जब भी जिसको चुना, स्वप्न दिखलाए हैं बस।युगों-युगों से भूख, गरीबी से हैं बेकल।कन्नी और कुदाल, जुआ खुरपा हँसिया हल।रणवीर सिंह 'अनुपम'"मौलिक व अप्रकाशित"See More
May 27, 2020
रणवीर सिंह 'अनुपम' commented on Hariom Shrivastava's blog post योग छंद
"आदरणीय सुंदर सृजन। चरण 8 - में लय भंग है। कारण 5वीं मात्रा पर शब्द पूरा हो रहा है, जो नहीं होना चाहिए। चरण 15 और 16 - में लय भंग है। कारण 9वीं मात्रा पर शब्द पूरा हो रहा है, जो नहीं होना चाहिए।"
May 26, 2020
रणवीर सिंह 'अनुपम' updated their profile
May 26, 2020
रणवीर सिंह 'अनुपम' commented on गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ''s blog post 'तुरंत' के दोहे ईद पर (१०६ )
"बहुत सुंदर दोहे।"
May 26, 2020
रणवीर सिंह 'अनुपम' is now a member of Open Books Online
May 26, 2020

Profile Information

Gender
Male
City State
Ghaziabad
Native Place
Mainpuri
Profession
Govt Officer

रणवीर सिंह 'अनुपम''s Blog

हल हँसिया खुरपा जुआ (कुंडलिया)

हल हँसिया खुरपा जुआ, कन्नी और कुदाल।
झाड़ू   गेंती  फावड़ा,  समझ  रहे   हैं  चाल।
समझ  रहे   हैं चाल, मगर सबके सब बेबस।
जब भी जिसको चुना, स्वप्न दिखलाए हैं बस।
युगों-युगों से भूख, गरीबी से हैं बेकल।
कन्नी और कुदाल, जुआ खुरपा हँसिया हल।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
"मौलिक व अप्रकाशित"

Posted on May 26, 2020 at 10:37pm — 4 Comments

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At 8:08pm on July 22, 2021, Chetan Prakash said…
  1. आदरणीय रणवीर सिंह 'अनूप' आपकी टिप्पणी मैंने अभी देखीं! आपने समारोह के समाप्त होने पर अपनी प्रतिक्रिया दी है, और जब ऐसा हुआ तब तक  Reply Box
  2. बंद हो चुका था! फिर भी आप की प्रतिक्रिया का स्वागत है!  किन्तु सम्यक यह नहीं रहता कि प्रस्तुति के किन्हीं स्थलों पर प्रश्नचिन्ह लगाने से आपने कारण गिनाए होते और अपने संशोधन प्रस्तुत किये होते! मात्रा गणना, दोहा छंद में नियमानुसार होती है! हां, एकाधिक जगह, संशोधन की आवश्यकता मुझे भी महसूस हुई! 
 
 
 

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
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pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
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"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
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