परम आत्मीय स्वजन,
ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 137वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा जनाब खुमार बाराबंकवी साहब की गजल से लिया गया है|
"ये कहाँ पहुँच गए हम तिरी बज़्म से निकल के "
1121 2122 1121 2122
फ़इलातु फ़ाइलातुन फ़इलातु फ़ाइलातुन
बह्र: रमल मुसम्मन् मशकूल
रदीफ़ :- के
काफिया :- अल(निकाल, संभाल, चल, ग़ज़ल, ढल आदि)
मुशायरे की अवधि …