पहले सींचा नेह से, बाद सौंप दी पीर ।
निकली मेरी प्रेम में, दगाबाज तकदीर ।।
अरुन अनन्त
मोह का हर एक, धागा तोड़कर, दो मुझे अनुमति, विदाई का समय है,
मत बहाना हे प्रिये मोती नयन से, जा रहा हूँ बाँध कर तुमको वचन से, मुस्कुराहट, प्रेम, करुणा और सुख से, जोड़कर रखना स्वयं को पूर्ण मन से,
छोड़ दो दामन, जुदाई का समय है, दो मुझे अनुमति, विदाई का समय है
याद रखना प्रेम की प्रिय भावनाएँ, भूल जाना ये विरह…