माँ की लोरी सुनकर सोने वाला शिशु,
बाप की उंगली पकड चलने वाला शिशु,
दादी नानी से नये किस्से सुनने वाला शिशु,
खिलौने के लिए बाज़ार में मचलने वाला शिशु।
बडा हो गया , इतना के अदब भूल गया है,
महत्वकाशाँ को पाले, सपने पूरे करने की जिद में,
रिश्तो की ले रहा बली, माँ चुप और बाप मौन है,
सुन लाल तेरे सिवा हमारा जग में कौन है।।
वातावरण में नीरवता
महत्वकाशाँ के स्वप्न पंखो पर आरुढ होकर,
वो चल पड…