रक्षाबंधन पर्व ले आई,
श्रावण शुक्ल पूर्णिमा,
भर लाई अतुलित उल्लास,
पुनीत-पावन स्नेहिल ऊष्मा,
मैं हर्षित पर्व यह सुमंगल मनाऊँगी,
हाथों सुंदर मेंहदी रचाऊँगी,
भाई मंगल तिलक करने
मैं अवश्य ही आऊंगी,
हाथ से रेशम की ड़ोरी बनाऊंगी,
जरी का उसमें झुमका लगाऊंगी,
चौक पूर, पाट पर तुमको बिठाऊँगी,
श्रीफल, रोली-अक्षत थाल सजाऊँगी,
राखी तुम्हारी कलाई सजाऊंगी,
तिलक चर्चित कर उन्नत भाल पर,
मंगल-दीप से आरती उतारूँ…