जब से तूने ..
जब से तूने मुझे अपनी दुआओं में शामिल कर लिया मैं किसी खुदा के घर नहीं गया
जब् से तूने अपने लबों पे मेरा नाम रख लिया मैं तिश्नगी भूल गया
जब से तूनेमेरी आँखों कोअपने अक्स सेसँवारा हे'मेरे लबों ने हर लम्हा तुझे पुकारा है
जब से तूने निगाह फेरी है लम्स-ए-मर्ग का अहसास होता है वो शख़्स जो तुझमें कहीं सोता था आज दहलीज़े दीद को भिगोता है
(लम्स-ए-मर्ग=मृत्यु का अहसास )
सुशील सरना मौलिक एवं अप्…