बहरे रमल मुसम्मन महज़ूफ़: फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन
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देख लो यारो नज़र भर अब नया मंज़र मेरा
आ गया हूँ मैं सड़क पर रास्ता है घर मेरा
लड़खड़ाने से लगे हैं अब तो बूढ़े पैर भी
है ख़ुदी का पीठ पर भारी बहुत पत्थर मेरा
जानता हूँ दिल है काहिल नफ़्स की तासीर में
बात मेरी मानता है कब मगर नौकर मेरा
आसमाँ से आएगा कोई हबीब-ए-शाम-ए-ग़म
यूँ नज़र भर देखता है ब…