लाख करूँ मैं कोशिश फिर भी, कभी न लिख पाऊँ श्रृंगार|
कलम उठाऊँ लिखने को जब, शब्दो में बरसे अंगार||
गीत तराने जब जब सोचू, दिख जाते बेबस लाचार|
छन्द ग़ज़ल तब मुझे चिढ़ाते, हिय में उठता हाहाकार||
बोल चाल के शब्द चुनूँ मैं, उन शब्दो से करू धमाल|
नही जमीर बिकाऊँ मेरा सत्ता का मै नही दलाल||
निडर भाव से सत्य लिखू मैं, करूँ झूठ को सदा हलाल|
अगर किसी ने आँख दिखाई, पल में लू मैं आँख निकाल||
भावों में तब ज…