मैं सड़क हूँ मुझे तैयार किया गया है रोड रोलरों से कुचल कर.
मुझे रोज रौंदते हैं लाखों वाहन अक्सर.... विरोध प्रदर्शन का दंश झेलती हूँ अपने कलेजे पर होता रहता हैं पुतला दहन भी मेरे ही सीने पर विपरीत परिस्थितियों में मैं ही बन जाती हूँ आश्रय स्थल कई कई बार तो प्राकृतिक बुलावे का निपटान भी हो जाता है मेरी ही गोद में
फिर भी.....
मैं सहिष्णु हूँ या असहिष्णु ! यह तय करते हैं कथित बुद्धिजीवी.
मैं सड़क…