बहर - 2122 / 1212 / 2122
रेत पर किसके नक्शे पा ढूँढता हूँ ! ज़िंदगी क्यूँ तेरा पता ढूँढता हूँ !!
किस ख़ता की सज़ा मिली मुझको ऐसी माज़ी में अपने ,वो ख़ता ढूँढता हूँ !!
य़क सराबों के दश्त में खो गया मैं अब निकलने का रास्ता ढूँढता हूँ !! दौरे गर्दिश में संग ,गर चल सके जो कोई ऐसा मैं हमनवा ढूँढता हूँ !!
रौशनी थी मुझे मयस्सर कब आखिर फिर भी क्यूँ कोई रहनुमा ढूँढता हूँ !!
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चिराग़ [June 28,2014]…