अचानक एक दिन हुई उसके बचपन की हत्या विवाह की वेदी ने दिया एक नया घर-आँगन एक नया रोल एक नया अभिनय एक नया डर...
अचानक एक दिन ख़त्म हुई नादानियां दफन हुईं लापरवाहियां स्याह हुए स्वप्न भोथरा गईं कल्पनाएँ....
अचानक एक दिन उठाना पडा भारी-भरकम संस्कारों का पिटारा जिम्मेदारियों का बोझ मानसिक-शारीरिक तब्दीलियाँ और शिथिल हुए स्नायु-तंत्र...
दीखता नही दूर-दूर तक इस मायाजाल से निकलने का कोई द्वार सूझता नह…