छत पे उगे जो चाँद निहारा न कीजिएसूरजमुखी का दिन में नज़ारा न कीजिएमहफ़ूज़ रह न पायेगी आँखों की रौशनीदीदार हुस्ने-बर्क़ खुदारा न कीजिएशरमा के मुँह न फेर ले आईना, इसलियेज़ुल्फ़ों को आइने में संवारा न कीजिएऐसा न हो कि ख़ुद को भुला दें हुज़ूर आपइतना भी अब ख़याल हमारा न कीजिएएहसा किसी पे कर के, किसी को तमाम रातताने ख़ोदा के वासते मारा न कीजिएदिल जिस से चौक जाये किसी राहगीर काअब उसका नाम ले के पुकारा न…