बुझते नहीं अलाव .....(दोहा गज़ल )
मौन प्रीत के हो गए, अंकित मन में भाव । इन भावों के उम्र भर, बुझते नहीं अलाव ।।
साँसों को मिलती नहीं, जब तक प्रीत की साँस, रिसते रहते ह्रदय में, मौन प्रीत के घाव ।
आँखों को देती रहीं , आँखें ये संदेश , दूर किनारा है बहुत , कागज की है नाव ।
अजब अगन है प्रीत की, अजब प्रीत की रीत , नैन कोर से याद के , होते रहते स्राव ।
ठहर गया है…