दोहा मुक्तक.....
अपने कृत्यों से कभी, देना मत संताप ।माँ के चरणों में कटें, जन्म- जन्म के पाप ।फर्ज निभाना दूध का , हरना हर तकलीफ -बेटे को आशीष से, माँ के मिले प्रताप । * * * *भूले से करना नहीं, माता का अपमान ।देना उसके त्याग को, सेवा से सम्मान ।मूरत है ये ईश की, ये करुणा की धार -माँ के चरणों में सदा, सुखी रहे सन्तान ।
सुशील सरना / 10-5-22
मौलिक एवं अप्रकाशित