गोल -गोल होती है रोटी
गाँव-गाँव से शहर आता आकर अपना खून बेचता वो गँवार आदमी देखो तुम रोटी खातिर महल बनाता |
गोल- गोल होती है रोटी...!
सच्चा कर्म-योगी वही है
प्याज-हरी धर खाता रोटी, धरती माँ का पुत्र वही है मोटी- मोटी उसकी रोटी |
गोल-गोल होती है रोटी..!
दुनिया बनी ये काज रोटी बाल-ग्वाल कमा रहे रोटी सारा शहर रचा हे, रोटी, गाँव- गाँव बना है रोटी |
गोल-गोल होती है रोटी..!
सावन खरीदी हरी चूड़ी सद…