कब तक - लघुकथा –
"अम्मा, ये सारी टोका टोकी, रोकथाम केवल मेरे लिये ही क्यों है?"
"यह सब तेरी भलाई के लिये ही है बिटिया।"
"क्या अम्मा?, मेरी भलाई के अलावा कभी भैया के बारे में भी सोच लिया करो।"
"अरे उसका क्या सोचना? मर्द मानुष है, जैसा भी है सब चल जायेगा।"
"इसलिये उसके किसी काम में रोकटोक नहीं।रात को बारह बजे आये तो भी चलेगा।और मैं दिन में भी अकेली कहीं नहीं जा सकती।"
“तू समझती क्यों नहीं मेरी बच्…