मेरी आँखों में तुम को ख़ाब मिला? या निचोडे से सिर्फ आब मिला..
सोचने दो मुझे समझने दो जब मिला बस यही जवाब मिला..
दिल ने महसूस तो किया उस को पर न आँखों को ये सवाब मिला..
मैकदे में था जश्न-ए-बर्बादी जिस में हर रिन्द कामयाब मिला..
इतना अच्छा जो मिल गया हूँ मैं इसलिए कहते हो “ख़राब मिला.”.
“नूर” चलने से पहले इतना कर अपने हर कर्म का हिसाब मिला..निलेश "नूर"मौलिक/ अप्रकाशित