पानी पर चंद दोहे :
प्यासी धरती पर नहीं , जब तक बरसे नीर।
हलधर कैसे खेत की, हरित करे तकदीर।१ ।
पानी जीवन जीव का, पानी ही आधार।
बिन पानी इस सृष्टि का, कैसे हो शृंगार।२ ।
पानी की हर बूँद में, छुपा हुआ है ईश।
अंतिम पल इक बूँद से, मिल जाता जगदीश।३ ।
पानी तो अनमोल है, धरती का परिधान।
जीवन ये हर जीव को, प्रभु का है वरदान।४ ।
बूँद बूँद अनमोल है, इसे न करना व्यर्थ।
अगर न चेते आज तो, होगा बड़ा अनर्थ।५ ।
जल संरक्षण के लिए, किया न अगर प्रयास।
कैसे मानव फिर भला, बुझ पाएगी प्यास।६ ।
श्यामवर्ण सा हो गया, दूषित गंगा नीर।
धरती दूषित नीर की, किसे सुनाये पीर।७ ।
कैसे बदलें मेघ अब, धरती की तकदीर।
जंगल सारे कट गए, बरसे कैसे नीर।८।
जल बिन जीना है कठिन, मानव को है ज्ञान।
क्यों संरक्षण की तरफ, जाता उसका ध्यान।९ ।
कहीं बुझाता प्यास ये, कहीं करे संहार।
पानी तेरे रूप की महिमा अपरम्पार।१० ।
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। पानी पर सुन्दर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई ।
Nov 25, 2019
Samar kabeer
जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छे दोहे लिखे आपने,बधाई स्वीकार करें ।
Nov 25, 2019
Sushil Sarna
Nov 26, 2019
Sushil Sarna
आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब , सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का तहे दिल से शुक्रिया।
Nov 26, 2019
SALIM RAZA REWA
पानी पर सुन्दर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई
Nov 26, 2019
नाथ सोनांचली
आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। बेहतरीन रचना पर दिल खोल कर बधाई स्वीकार कीजिये। सादर
Nov 28, 2019
Sushil Sarna
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी आपकी ऊर्जावान प्रशंसा से सृजन धन्य हुआ , तहे दिल से शुक्रिया।
Nov 30, 2019
Sushil Sarna
आदरणीय SALIM RAZA REWA' जी आपकी ऊर्जावान प्रशंसा से सृजन धन्य हुआ , तहे दिल से शुक्रिया।
Nov 30, 2019
vijay nikore
आप दोहों की विधा में माहिर हैं, अच्छे लिखे। बधाई, मित्र सुशील जी।
Nov 30, 2019