मात-पिता पर स्वतंत्र दोहे :
मात-पिता का जो करें, सच्चे मन से मान।
उनके जीवन का करें , ईश सदा उत्थान !!1!!
जीवन में मिलती नहीं ,मात-पिता सी छाँव।
सुधा समझ पी लीजिये , धो कर उनके पाँव!!2!!
मात-पिता का प्यार तो,होता है अनमोल।
उनकी ममता का कभी, नहीं लगाना मोल !!3!!
बच्चों में बसते सदा, मात पिता के प्राण।
बिन उनके आशीष के, कभी न हो कल्याण!!4!!
सुशील सरना
Mohammed Arif
Nov 2, 2017
Sushil Sarna
आदरणीय मोहित मिश्रा जी सृजन को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।
Nov 2, 2017
Sushil Sarna
आदरणीय मो.आरिफ साहिब, आदाब ..... प्रस्तुति की आत्मीय सराहना हेतु आपका दिल से शुक्रिया।
Nov 2, 2017
बृजेश कुमार 'ब्रज'
Nov 2, 2017
Ajay Kumar Sharma
सुन्दर रचना...
Nov 2, 2017
सदस्य कार्यकारिणी
rajesh kumari
सही शिल्प सही शब्द उत्तम भाव ...बहुत बढिया दोहे लिखे हैं आदरणीय सरना जी हार्दिक बधाई
बस्ते को बसते कर लीजिये
Nov 3, 2017
Sushil Sarna
आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज जी सृजन की आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।
Nov 3, 2017
Sushil Sarna
आदरणीय राजेश कुमारी जी सृजन के भावों को अपनी आत्मीय प्रशंसा से अलंकृत करने का दिल से आभार। इंगित टंकण त्रुटि को मैं अभी दुरुस्त कर प्रस्तुति को पुनः प्रेषित करता हूँ। इस हेतु आपका हार्दिक आभार।
Nov 3, 2017