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वतन की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ .
अमन की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ
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बहारों से नज़ारों से सितारों से नहीं मतलब .
नयन की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ
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गुलो गुलशन कली औ फूल शबनम मन को भाते है.
चमन की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ
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न तो शिकवा शिकायत रूठने की बात मत करना.
मिलन की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ
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बिना समझे न ढूंढो ऐब मेरी शायरी में तुम.
सुख़न की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ
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रज़ा' मुझको नहीं भाती ये ख़ामोशी ये मायूसी.
जतन की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ
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मौलिक व अप्रकाशित
Ajay Tiwari
आदरणीय सलीम साहब,
बहुत खूब... खूबसूरत ग़ज़ल हुई है
दीपोत्सव की शुभकामनायें.
सादर
Oct 19, 2017
Mohammed Arif
Oct 19, 2017
SALIM RAZA REWA
आदरणीय अजय तिवारी जी ,
आपकी महब्बत के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।
Oct 19, 2017
SALIM RAZA REWA
जनाब आरिफ़ साहब,
आपकी महब्बत के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।
Oct 19, 2017
SALIM RAZA REWA
तमाम ओ बी ओ परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ ,
मोतियों की तरह जगमगाते रहो , बुल बुलों की तरह चहचहाते रहो !
जब तलक आसमां में सितारें रहें , ज़िंदगी भर सदा मुस्कुराते रहो !
सलीम रज़ा रीवा 9424336644
Oct 19, 2017
SALIM RAZA REWA
Oct 19, 2017
Afroz 'sahr'
Oct 19, 2017
SALIM RAZA REWA
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया.
Oct 19, 2017
Samar kabeer
आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि मतले के सानी मिसरे में सही शब्द है "अम्न"।
Oct 19, 2017
Sheikh Shahzad Usmani
Oct 19, 2017
SALIM RAZA REWA
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया.अमन की जगह सुख़न कर रहे हैं,कहीं कुछ और हो तो ज़रूर याद दिलाएं.
Oct 19, 2017
SALIM RAZA REWA
आपकी महब्बत सलामत रहे बहुत बहुत शुक्रिया.
Oct 19, 2017
Tasdiq Ahmed Khan
Oct 19, 2017
SALIM RAZA REWA
आपकी मुहब्बत और मशवरे के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपकी नज़रे इनायत बानी रहे ,
Oct 19, 2017
Samar kabeer
"दवा क्या कर नहीं सकते हैं वो,लेकिन नहीं करते
दुआ क्या कर नहीं सकते हैं वो,लेकिन नहीं करते"
Oct 19, 2017
SALIM RAZA REWA
आप साबित क्या करना चाहते हैं.मैंने ये तो नहीं कहा कि मेरी पहली ग़ज़ल है,लेकिन शायद मेरे पदाइश के पहले कोई ग़ज़ल लीखी गई हो.मेरी हेडिंग फिर से पढें.. क्या मैंने दुनिया की इक लौती ग़ज़ल कहीं लिखा है क्या...
Oct 19, 2017
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
इस गहन प्रयास के लिए दिल से दाद कुबूल कीजिए आदरणीय सलीम रज़ा भाई.
शुभेच्छाएँ
Oct 19, 2017
SALIM RAZA REWA
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी ,
आपका आशीर्वाद पाकर दिल बाग़ बाग़ हो गया ,
आपकी मुहब्बत सलामत रहे आपकी हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।
Oct 20, 2017
Samar kabeer
Oct 20, 2017
surender insan
सुख़न की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ।।
वाह जी वाह बहुत उम्दा जी। बहुत अच्छी ग़ज़ल के लिए दिली मुबारक़ बाद कबूल करे जी।
आदरणीय एक बात जानकारी के लिए पूछ रहा हूँ जी। रदीफ़ के तीन प्रकार अभी तक पता है। छोटी रदीफ़,मंझली रदीफ़ ,बड़ी रदीफ़।
आदरणीय सबसे बड़ी रदीफ़ से क्या आशय है जी? रदीफ़ से पहले सिर्फ काफ़िया की जगह बची है क्या यही जी?
Oct 20, 2017
SALIM RAZA REWA
Oct 20, 2017
Dr Ashutosh Mishra
Oct 20, 2017
SALIM RAZA REWA
Oct 20, 2017
indravidyavachaspatitiwari
Oct 20, 2017
SALIM RAZA REWA
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया, आपकी महब्बत सलामत रहे.
Oct 20, 2017
बृजेश कुमार 'ब्रज'
Oct 21, 2017