सबसे बड़ी रदीफ़ में ग़ज़ल का प्रयास, सिर्फ रदीफ़ और क़ाफ़िया में पूरी ग़ज़ल - सलीम रज़ा रीवा

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वतन की बात  करनी हो तो मेरे पास आ जाओ .
अमन की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ 
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बहारों  से  नज़ारों  से  सितारों  से नहीं मतलब .
नयन की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ
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गुलो गुलशन कली औ फूल शबनम मन को भाते है.
चमन की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ
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न तो शिकवा शिकायत रूठने की बात मत करना.
मिलन  की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ

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बिना  समझे  न  ढूंढो  ऐब  मेरी  शायरी  में तुम.

सुख़न की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ

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रज़ा' मुझको नहीं  भाती  ये ख़ामोशी ये मायूसी.
जतन की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ

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मौलिक व अप्रकाशित

  • Ajay Tiwari

    आदरणीय सलीम साहब,

    बहुत खूब... खूबसूरत ग़ज़ल हुई है 

    दीपोत्सव की शुभकामनायें.

    सादर 

  • Mohammed Arif

    आदरणीय सलीम रज़ा साहब आदाब,बहुत ही सरल-सरस और बेहतरीन ग़ज़ल । सबसे बड़ी रदीफ में ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
  • SALIM RAZA REWA

    आदरणीय अजय तिवारी जी ,
    आपकी महब्बत के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।

  • SALIM RAZA REWA

    जनाब आरिफ़ साहब,
    आपकी महब्बत के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।

  • SALIM RAZA REWA

    तमाम ओ बी ओ परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ ,

    मोतियों की तरह जगमगाते रहो , बुल बुलों की तरह चहचहाते रहो !
    जब तलक आसमां में सितारें रहें ,   ज़िंदगी भर सदा मुस्कुराते रहो !

    सलीम रज़ा रीवा 9424336644

  • SALIM RAZA REWA

    It's my Gazal in largest Radeef, Only Radeef and Qafia use in the Ghazal.
  • Afroz 'sahr'

    आदरणीय सलीम रज़ा साहिब तवील रदीफ़ में ख़ूबसूरत कलाम मेंरी और से बहुत बधाई आपको,,,
  • SALIM RAZA REWA

    जनाब अफ़रोज़ साहब,
    आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया.
  • Samar kabeer

    जनाब सलीम रज़ा साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार करें ।
    आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि मतले के सानी मिसरे में सही शब्द है "अम्न"।
  • Sheikh Shahzad Usmani

    वाह। एक शब्द के काफ़िये के साथ बड़ी रदीफ़ लेते हुए बढ़िया अशआर। तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब सलीम रज़ा रीवा साहब। दीपावली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
  • SALIM RAZA REWA

    आली जनाब समर साहब,
    आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया.अमन की जगह सुख़न कर रहे हैं,कहीं कुछ और हो तो ज़रूर याद दिलाएं.
  • SALIM RAZA REWA

    जनाब शेख शहज़ाद उस्मानी साहिब.
    आपकी महब्बत सलामत रहे बहुत बहुत शुक्रिया.
  • Tasdiq Ahmed Khan

    जनाब सलीम अच्छा प्रयोग किया है आपने ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं । मतले के सानी मिसरे में अमन की जगह ज़मन सही लगे तो कर लें
  • SALIM RAZA REWA

    जनाब तस्दीक़ साहिब ,
    आपकी मुहब्बत और मशवरे के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपकी नज़रे इनायत बानी रहे ,
  • Samar kabeer

    बड़ी रदीफ़ में चालीस साल पहले का मतला याद आ गया :-
    "दवा क्या कर नहीं सकते हैं वो,लेकिन नहीं करते
    दुआ क्या कर नहीं सकते हैं वो,लेकिन नहीं करते"
  • SALIM RAZA REWA

    जनाब समर साहब,
    आप साबित क्या करना चाहते हैं.मैंने ये तो नहीं कहा कि मेरी पहली ग़ज़ल है,लेकिन शायद मेरे पदाइश के पहले कोई ग़ज़ल लीखी गई हो.मेरी हेडिंग फिर से पढें.. क्या मैंने दुनिया की इक लौती ग़ज़ल कहीं लिखा है क्या...

  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Saurabh Pandey

    इस गहन प्रयास के लिए दिल से दाद कुबूल कीजिए आदरणीय सलीम रज़ा भाई. 

    शुभेच्छाएँ 

  • SALIM RAZA REWA

    आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी ,
    आपका आशीर्वाद पाकर दिल बाग़ बाग़ हो गया ,
    आपकी मुहब्बत सलामत रहे आपकी हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।

  • Samar kabeer

    आप गलत मतलब क्यों निकाल रहे हो भाई,याद आ गया तो साझा कर लिया पटल पर ।
  • surender insan

    बिना समझे न ढूंढो ऐब मेरी शायरी में तुम।
    सुख़न की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ।।
    वाह जी वाह बहुत उम्दा जी। बहुत अच्छी ग़ज़ल के लिए दिली मुबारक़ बाद कबूल करे जी।
    आदरणीय एक बात जानकारी के लिए पूछ रहा हूँ जी। रदीफ़ के तीन प्रकार अभी तक पता है। छोटी रदीफ़,मंझली रदीफ़ ,बड़ी रदीफ़।
    आदरणीय सबसे बड़ी रदीफ़ से क्या आशय है जी? रदीफ़ से पहले सिर्फ काफ़िया की जगह बची है क्या यही जी?
  • SALIM RAZA REWA

    सुरेंद्र भाई साहब, ग़ज़ल पसंद आई इसके लिए आपका शुक्रिया, रदीफ़ में कोई प्रकार नहीं होती भाई मेरे ग़ज़लों में सबसे बड़ी रदीफ़ है.. और जहां तक भरोसा है 21 वी. सदी में इस तरह से शायद कोई ग़ज़ल नहीं कही गई है. सादर I thinks it's a big radif
  • Dr Ashutosh Mishra

    वाह आदरणीय ऐसी ग़ज़ल तो मैंने पहली बार पढी।।कमाल के इस रचना के लिए हरदुक बधाई स्वीकार करें सादर
  • SALIM RAZA REWA

    आ. आशुतोष जी आपकी महब्बत और हौसला अफज़ाई के बहुत बहुत शुक्रिया..
  • indravidyavachaspatitiwari

    नयन की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ।इतनी सटीक प्रहार करता है कि मन प्रफुल्ल हो जाता है। इतनी हृदयग्राही रचना के लिए बधाई कबूल करें।
  • SALIM RAZA REWA

    आ. इंद्रविद्यावचस्पति तिवारी जी,
    आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया, आपकी महब्बत सलामत रहे.
  • बृजेश कुमार 'ब्रज'

    आदरणीय सलीम जी बाकई बेहतरीन ग़ज़ल हुई..बधाई