आदरणीय काव्य-रसिको,
सादर अभिवादन !
’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार तिहत्तरवाँ आयोजन है.
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ –
19 मई 2017 दिन शुक्रवार से 20 मई 2017 दिन शनिवार तक
इस बार छन्दों में पुनः उन्हीं छन्दों को दुहरा रहे हैं, जिन पर पिछले आयोजन में हमने काम किया है. अर्थात, सार छन्द और कुण्डलिया छन्द को रखा गया है.
यह जानना रोचक होगा, कुण्डलिया छन्द दोहा छन्द और रोला छन्द का समुच्चय ही है !
हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.
इन छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना करनी है.
प्रदत्त छन्दों को आधार बनाते हुए नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.
रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो दोनों छन्दों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.
केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.
कुण्डलिया छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
सार छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
[प्रस्तुत चित्र सोशल मीडिया के सौजन्य से]
जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.
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आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 19 मई 2017 दिन शुक्रवार से 20 मई 2017 दिन शनिवार तक यानी दो दिनों केलिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.
अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...
विशेष :
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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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Replies are closed for this discussion.
दोनों ही कुण्डलिया शानदार हुई दूसरी तो बहुत पसंद आई
बहुत बहुत बधाई आद० गिरिराज जी
आदरनीया राजेश जी , सराहना के लिये हृदय से आभार ।
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी हार्दिक बधाई आपको दोनों कुंडलियाँ बांछें खिला दीं | कुंडलियों का प्रवाह और आपकी व्यापक दृष्टि मन मोह ली | आपकी लेखनी को नमन जो हर विधा में समान अधिकार रखती है | सादर
आदरनीया छाया की , छंद रचना की मुखर सराहना के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ ।
आज झुका दे माथ, लगे.. सर, पाँवों धरना
खतर नाक है राय, मगर तुम फालो करना
सुन भाई दिल फेंक, कहीं सूजे ना टक्कल
एक हाथ में फोन , सजे दूजे में चप्पल . ,...... हा हा हा हा..
आदरणीय गिरिराज भाई, आपकी हास्य प्रधान कुण्डलिया गुदगुदाती हुई है. प्रदत्त चित्र के सापेक्ष आपका प्रयास वस्तुतः मज़ेदार है. बहुत खूब आदरणीय.
हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाइयाँ ..
सादर
आदरनीय सौरभ भाई , उत्साह वर्धन के लिइये आपका हृदय से आभार ।
आदरणीय सत्विन्द्र भाई , आपका हृदय से आभार ।
आदरनीया प्रतिभा जी , उत्साह वर्धन के लिये आभार आपका ।
अप्रतिम ..... दोनों कुण्डलियाँ सराहनीय । प्रदत्त चित्र पर सारगर्भित प्रस्तुति ... नमन आदरणीय गिरिराज जी ।
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