"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 137 - Open Books Online2024-03-29T11:26:34Zhttp://openbooks.ning.com/group/pop/forum/topics/137?commentId=5170231%3AComment%3A1089662&xg_source=activity&feed=yes&xn_auth=noजी !
-लोग पथ बेचैन दिखते आन्…tag:openbooks.ning.com,2022-09-25:5170231:Comment:10897612022-09-25T18:16:45.730ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>जी !</p>
<p> -लोग पथ बेचैन दिखते आन्दोलित हैं अभी.....इस चरण में आपने शब्द 'आन्दोलित' को 2122 माना है जबकि इसे 222 गिना जाएगा.</p>
<p>- सीखते वो लोकशाही पाठ बद हैं अभी........यह पंक्ति 2122 2122 2122 '12' त्रुटिपूर्ण है.</p>
<p></p>
<p>-सोचती हैं वो महिलायें कि मरना जगती उन्हें.....यह पंक्ति 2122 222 2122 2212 .....कुछ इस तरह हो रही है.</p>
<p> सादर</p>
<p>जी !</p>
<p> -लोग पथ बेचैन दिखते आन्दोलित हैं अभी.....इस चरण में आपने शब्द 'आन्दोलित' को 2122 माना है जबकि इसे 222 गिना जाएगा.</p>
<p>- सीखते वो लोकशाही पाठ बद हैं अभी........यह पंक्ति 2122 2122 2122 '12' त्रुटिपूर्ण है.</p>
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<p>-सोचती हैं वो महिलायें कि मरना जगती उन्हें.....यह पंक्ति 2122 222 2122 2212 .....कुछ इस तरह हो रही है.</p>
<p> सादर</p> आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी साद…tag:openbooks.ning.com,2022-09-25:5170231:Comment:10898542022-09-25T18:05:58.497ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, मैं आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर साहब से सहमत हूँ. यह छंद कुछ शीघ्रता में रचा गया है. क्योंकि छंद के प्रथम चरण का द्वितीय चरण के साथ तारतम्य नहीं बैठ पा रहा है. सादर</p>
<p>आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, मैं आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर साहब से सहमत हूँ. यह छंद कुछ शीघ्रता में रचा गया है. क्योंकि छंद के प्रथम चरण का द्वितीय चरण के साथ तारतम्य नहीं बैठ पा रहा है. सादर</p> आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी साद…tag:openbooks.ning.com,2022-09-25:5170231:Comment:10898532022-09-25T18:00:09.419ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, गीतिका छंद की इस प्रस्तुति पर उत्साहवर्धन हेतु आपका अतिशय आभार. सादर</p>
<p></p>
<p>आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, गीतिका छंद की इस प्रस्तुति पर उत्साहवर्धन हेतु आपका अतिशय आभार. सादर</p>
<p></p> आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सा…tag:openbooks.ning.com,2022-09-25:5170231:Comment:10896642022-09-25T17:58:59.040ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रदत्त चित्र पर गीतिका छन्द की यह प्रस्तुति आपको पसंद आयी,रचना कर्म सार्थक हुआ. हार्दिक आभार. सादर</p>
<p>आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रदत्त चित्र पर गीतिका छन्द की यह प्रस्तुति आपको पसंद आयी,रचना कर्म सार्थक हुआ. हार्दिक आभार. सादर</p> आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्त…tag:openbooks.ning.com,2022-09-25:5170231:Comment:10896632022-09-25T17:57:29.667ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र पर गीतिका छंद में रची प्रस्तुति पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर</p>
<p>आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र पर गीतिका छंद में रची प्रस्तुति पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर</p> आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर साहब स…tag:openbooks.ning.com,2022-09-25:5170231:Comment:10895882022-09-25T17:56:21.824ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर साहब सादर, प्रदत्त पर रचे छन्दों की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर</p>
<p>आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर साहब सादर, प्रदत्त पर रचे छन्दों की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर</p> आ. प्रथम छंद की तुकांतता में…tag:openbooks.ning.com,2022-09-25:5170231:Comment:10895872022-09-25T17:16:10.395ZChetan Prakashhttp://openbooks.ning.com/profile/ChetanPrakash68
<p>आ. प्रथम छंद की तुकांतता में कोई दोष नहीं है, आप स्वयं देखिएगा! न, वो यहाँ कोई मात्रा दोष ही है, न वह नेष्ट कही जाएगी, मान्यवर! कृपया आप दूसरा छंद देखें, जहाँ, 'युवा और हुआ का तुकांत लिया गया है सादर! </p>
<p>आ. प्रथम छंद की तुकांतता में कोई दोष नहीं है, आप स्वयं देखिएगा! न, वो यहाँ कोई मात्रा दोष ही है, न वह नेष्ट कही जाएगी, मान्यवर! कृपया आप दूसरा छंद देखें, जहाँ, 'युवा और हुआ का तुकांत लिया गया है सादर! </p> जी, प्रथम छंद की तुकांतता पर…tag:openbooks.ning.com,2022-09-25:5170231:Comment:10898522022-09-25T16:34:18.298Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>जी, प्रथम छंद की तुकांतता पर विचार करें । सादर...</p>
<p>जी, प्रथम छंद की तुकांतता पर विचार करें । सादर...</p> आ. भाई अखिलेश जी, उपस्थिति व…tag:openbooks.ning.com,2022-09-25:5170231:Comment:10898512022-09-25T16:32:15.821Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई अखिलेश जी, उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार।</p>
<p>आ. भाई अखिलेश जी, उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार।</p> आ. प्रतिभा बहन , छंदो की प्रश…tag:openbooks.ning.com,2022-09-25:5170231:Comment:10898502022-09-25T16:28:39.272Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. प्रतिभा बहन , छंदो की प्रशंसा के लिए आभार।</p>
<p>आ. प्रतिभा बहन , छंदो की प्रशंसा के लिए आभार।</p>