"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 134 - Open Books Online2024-03-29T14:51:57Zhttp://openbooks.ning.com/group/pop/forum/topics/134?commentId=5170231%3AComment%3A1085580&feed=yes&xn_auth=noआदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्त…tag:openbooks.ning.com,2022-06-19:5170231:Comment:10858282022-06-19T17:38:52.037ZDayaram Methanihttp://openbooks.ning.com/profile/DayaramMethani
<p>आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।</p>
<p>आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।</p> आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत…tag:openbooks.ning.com,2022-06-19:5170231:Comment:10856842022-06-19T17:37:21.988ZDayaram Methanihttp://openbooks.ning.com/profile/DayaramMethani
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।</p>
<p></p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।</p>
<p></p> आदरणीय अशोक भाईजी
चित्र के…tag:openbooks.ning.com,2022-06-19:5170231:Comment:10857302022-06-19T15:55:21.396Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooks.ning.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p> आदरणीय अशोक भाईजी </p>
<p>चित्र के अनुरूप बढ़िया छंद | हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए|</p>
<p><span>दे सकोगे तब ............. <strong>तब दे सकोगे</strong> कर लीजिए </span></p>
<p> आदरणीय अशोक भाईजी </p>
<p>चित्र के अनुरूप बढ़िया छंद | हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए|</p>
<p><span>दे सकोगे तब ............. <strong>तब दे सकोगे</strong> कर लीजिए </span></p> आदरणीय दयाराम भाईजी
बहुत सुन…tag:openbooks.ning.com,2022-06-19:5170231:Comment:10858272022-06-19T15:42:55.968Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooks.ning.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p><span>आदरणीय दयाराम </span>भाईजी </p>
<p>बहुत सुन्दर, हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए|</p>
<p><span>आदरणीय दयाराम </span>भाईजी </p>
<p>बहुत सुन्दर, हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए|</p> आदरणीय अशोक भाईजी
रचना की प्…tag:openbooks.ning.com,2022-06-19:5170231:Comment:10855842022-06-19T15:35:05.260Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooks.ning.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p>आदरणीय अशोक भाईजी</p>
<p>रचना की प्रशंसा के लिये <span>हार्दिक धन्यवाद आभार आपका|</span></p>
<p>आदरणीय अशोक भाईजी</p>
<p>रचना की प्रशंसा के लिये <span>हार्दिक धन्यवाद आभार आपका|</span></p> आदरणीय lलक्षम्ण भाईजी
रचना की…tag:openbooks.ning.com,2022-06-19:5170231:Comment:10856832022-06-19T15:34:53.302Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooks.ning.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p>आदरणीय lलक्षम्ण भाईजी</p>
<p>रचना की प्रशंसा के लिये <span>हार्दिक धन्यवाद आभार आपका|</span></p>
<p>आदरणीय lलक्षम्ण भाईजी</p>
<p>रचना की प्रशंसा के लिये <span>हार्दिक धन्यवाद आभार आपका|</span></p> आदरणीय दयाराम भाईजी
रचना की …tag:openbooks.ning.com,2022-06-19:5170231:Comment:10857292022-06-19T15:33:06.529Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooks.ning.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p>आदरणीय दयाराम भाईजी</p>
<p>रचना की प्रशंसा के लिये <span>हार्दिक धन्यवाद आभार आपका|</span></p>
<p>आदरणीय दयाराम भाईजी</p>
<p>रचना की प्रशंसा के लिये <span>हार्दिक धन्यवाद आभार आपका|</span></p> आदरणीय सौरभ भाईजी
तृतीय चरण…tag:openbooks.ning.com,2022-06-19:5170231:Comment:10857282022-06-19T15:29:50.442Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooks.ning.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p>आदरणीय सौरभ भाईजी</p>
<p>तृतीय चरण के प्रारंभ में गुरु लघु या लघु गुरु [ त्रिकल ] को आत्मसात कर लिया था इसलिए गेयता की ओर ध्यान ही नहीं गया| 111 से तृतीय चरण का प्रारंभ होना मैं विधा के अनुरूप नहीं है मानता था| ........हार्दिक धन्यवाद इस सुझाव के लिये|</p>
<p>अंतिम छंद को पहले ..... <span><strong>माता पिता हो, जानते सब , हो नहीं नादान|| ..</strong>.. लिखकर अंतिम समय में संशोधन किया था|</span></p>
<p>पुनः हार्दिक धन्यवाद आभार आपका|</p>
<p>आदरणीय सौरभ भाईजी</p>
<p>तृतीय चरण के प्रारंभ में गुरु लघु या लघु गुरु [ त्रिकल ] को आत्मसात कर लिया था इसलिए गेयता की ओर ध्यान ही नहीं गया| 111 से तृतीय चरण का प्रारंभ होना मैं विधा के अनुरूप नहीं है मानता था| ........हार्दिक धन्यवाद इस सुझाव के लिये|</p>
<p>अंतिम छंद को पहले ..... <span><strong>माता पिता हो, जानते सब , हो नहीं नादान|| ..</strong>.. लिखकर अंतिम समय में संशोधन किया था|</span></p>
<p>पुनः हार्दिक धन्यवाद आभार आपका|</p> आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवाद…tag:openbooks.ning.com,2022-06-19:5170231:Comment:10858262022-06-19T13:57:23.569Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्रानुरूप सुन्दर छन्द हुए हैं । हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्रानुरूप सुन्दर छन्द हुए हैं । हार्दिक बधाई।</p> आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवाद…tag:openbooks.ning.com,2022-06-19:5170231:Comment:10857252022-06-19T13:37:59.238Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर छन्द हुए हैं। हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर छन्द हुए हैं। हार्दिक बधाई।</p>