ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-128 - Open Books Online2024-03-29T07:06:04Zhttp://openbooks.ning.com/group/pop/forum/topics/128?commentId=5170231%3AComment%3A1075391&feed=yes&xn_auth=noआ. भाई अशोक जी, सादर आभार..tag:openbooks.ning.com,2021-12-26:5170231:Comment:10755712021-12-26T17:24:54.576Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई अशोक जी, सादर आभार..</p>
<p>आ. भाई अशोक जी, सादर आभार..</p> आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, ज…tag:openbooks.ning.com,2021-12-26:5170231:Comment:10755702021-12-26T16:53:28.379ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! उत्तम सुझाव है आपका. मैंने अपनी रचना में यह परिवर्तन कर लिया है. प्रस्तुत गीत रचना पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार. सादर</p>
<p>आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! उत्तम सुझाव है आपका. मैंने अपनी रचना में यह परिवर्तन कर लिया है. प्रस्तुत गीत रचना पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार. सादर</p> आदरणीय अशोक भाईजी, आपके प्रस्…tag:openbooks.ning.com,2021-12-26:5170231:Comment:10754722021-12-26T15:53:08.489ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय अशोक भाईजी, आपके प्रस्तुत गीत से शब्दश: चू पड़ती सकारात्मकता प्रभावी है. सकारात्मक सोच ही कर्म और तदनुरूप प्रतिफल की दशाएँ निश्चित करती है. प्रदत्त चित्र से निस्सृत भयावहता किसी को झकझोर देने के लिए काफी है. किंतु यह भी सही है कि दृढ़ निश्चय भावी को साध लेने का दम रखता है.</p>
<p></p>
<p>आपकी इस उत्कृष्ट प्रस्तुति पर हार्दिक बधाइयाँ. </p>
<p></p>
<p></p>
<p>एक बात : </p>
<h2><span>लगी एक हर दिन यही आस है ।</span></h2>
<h2><span>कभी तो बुझेगी भले प्यास है । </span></h2>
<p><span>इस…</span></p>
<p>आदरणीय अशोक भाईजी, आपके प्रस्तुत गीत से शब्दश: चू पड़ती सकारात्मकता प्रभावी है. सकारात्मक सोच ही कर्म और तदनुरूप प्रतिफल की दशाएँ निश्चित करती है. प्रदत्त चित्र से निस्सृत भयावहता किसी को झकझोर देने के लिए काफी है. किंतु यह भी सही है कि दृढ़ निश्चय भावी को साध लेने का दम रखता है.</p>
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<p>आपकी इस उत्कृष्ट प्रस्तुति पर हार्दिक बधाइयाँ. </p>
<p></p>
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<p>एक बात : </p>
<h2><span>लगी एक हर दिन यही आस है ।</span></h2>
<h2><span>कभी तो बुझेगी भले प्यास है । </span></h2>
<p><span>इस मुखड़े में 'भले' को क्या 'अगर' कर दिया जाय ? क्या कोई नया आयाम प्रतीत होता है ? हालाँकि भले भी आवश्यक भाव को शाब्दिक करता प्रतीत हो रहा है. परंतु मुझे ऐसा भान हो रहा है कि 'अगर' जैसा अव्यय प्यास के वजूद को अधिक चुनौती देता लग रहा है. अर्थात्, 'अगर' यह प्यास है तो क्या, है तो प्यास ही, समय आएगा कि ये बुझेगी. मैं इस नजरिये से देख रहा था. </span></p>
<p></p>
<p><span>इस समर्थ गीत के लिए पुन: हार्दिक बधाई. </span></p> आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपका स…tag:openbooks.ning.com,2021-12-26:5170231:Comment:10754712021-12-26T15:36:34.711ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपका सतत प्रयास प्रेरक है. अभी लगता होगा, कि भावों को शाब्दिक करने में विन्यास भटक जाता है. तो विन्यास को साधने में भाव और शब्द बिदक जाते हैं. परंतु, यह सब प्रारंभिक दशाएँ हैं. </p>
<p>आपका प्रयास सतत बना रहे. मैं आपको इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाइयाँ देता हूँ. </p>
<p>शुभातिशुभ </p>
<p></p>
<p>आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपका सतत प्रयास प्रेरक है. अभी लगता होगा, कि भावों को शाब्दिक करने में विन्यास भटक जाता है. तो विन्यास को साधने में भाव और शब्द बिदक जाते हैं. परंतु, यह सब प्रारंभिक दशाएँ हैं. </p>
<p>आपका प्रयास सतत बना रहे. मैं आपको इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाइयाँ देता हूँ. </p>
<p>शुभातिशुभ </p>
<p></p> आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी प्र…tag:openbooks.ning.com,2021-12-26:5170231:Comment:10755692021-12-26T15:28:00.109ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी प्रस्तुत गीत रचना पर उत्साहवर्धन हेतु हृदय से आभार आपका. सादर</p>
<p></p>
<p>आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी प्रस्तुत गीत रचना पर उत्साहवर्धन हेतु हृदय से आभार आपका. सादर</p>
<p></p> आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, प…tag:openbooks.ning.com,2021-12-26:5170231:Comment:10753912021-12-26T15:26:36.157ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, प्रदत्त चित्र को भावों पर सुंदर सृजन हुआ है आपका. बहुत बधाई स्वीकारें. किन्तु तुक पर अभी कार्य किये जाने की महती आवश्यता है. सादर</p>
<p>आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, प्रदत्त चित्र को भावों पर सुंदर सृजन हुआ है आपका. बहुत बधाई स्वीकारें. किन्तु तुक पर अभी कार्य किये जाने की महती आवश्यता है. सादर</p> थकन से भरा पर
न कुछ खा रहा
न…tag:openbooks.ning.com,2021-12-26:5170231:Comment:10753902021-12-26T15:23:41.653ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<div dir="auto">थकन से भरा पर </div>
<div dir="auto">न कुछ खा रहा</div>
<div dir="auto">निवाला लिये हाथ </div>
<div dir="auto">क्यों जम गये..................वाह ! शब्द-शब्द चित्र को परिभाषित करता शक्ति छंद आधारित सुंदर गीत रचा है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीया प्रतिभा पांडे जी. सादर</div>
<div dir="auto">थकन से भरा पर </div>
<div dir="auto">न कुछ खा रहा</div>
<div dir="auto">निवाला लिये हाथ </div>
<div dir="auto">क्यों जम गये..................वाह ! शब्द-शब्द चित्र को परिभाषित करता शक्ति छंद आधारित सुंदर गीत रचा है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीया प्रतिभा पांडे जी. सादर</div> किरन भोर की क्यों निकलती नहीं…tag:openbooks.ning.com,2021-12-26:5170231:Comment:10753892021-12-26T15:20:47.753ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>किरन भोर की क्यों निकलती नहीं।<br/>कि तकदीर क्यों कर बदलती नहीं।।<br/>यही सोच रोटी निगलती नहीं।<br/>रुँधा कण्ठ पर आँख बहती नहीं।।...........प्रदत्त चित्र के माध्यम से कृषकों की पीड़ा को शब्द देते सुन्दर छंद रचे हैं आपने आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर</p>
<p>किरन भोर की क्यों निकलती नहीं।<br/>कि तकदीर क्यों कर बदलती नहीं।।<br/>यही सोच रोटी निगलती नहीं।<br/>रुँधा कण्ठ पर आँख बहती नहीं।।...........प्रदत्त चित्र के माध्यम से कृषकों की पीड़ा को शब्द देते सुन्दर छंद रचे हैं आपने आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर</p> आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन।…tag:openbooks.ning.com,2021-12-26:5170231:Comment:10753002021-12-26T15:20:41.003Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुन्दर गीत हुआ है हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुन्दर गीत हुआ है हार्दिक बधाई।</p> शक्ति छंद आधारित गीत
लगी एक…tag:openbooks.ning.com,2021-12-26:5170231:Comment:10753862021-12-26T15:08:22.778ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<h2><span style="font-size: 18pt;">शक्ति छंद आधारित गीत</span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;"> </span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;">लगी एक हर दिन यही आस है ।</span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;">कभी तो बुझेगी भले प्यास है । </span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;">*</span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;">निवाला गले से उतरता नहीं,</span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;">बुरा दौर जल्दी गुज़रता नहीं ।…</span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;">शक्ति छंद आधारित गीत</span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;"> </span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;">लगी एक हर दिन यही आस है ।</span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;">कभी तो बुझेगी भले प्यास है । </span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;">*</span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;">निवाला गले से उतरता नहीं,</span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;">बुरा दौर जल्दी गुज़रता नहीं ।</span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;">उजाला खड़ा</span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;">श्रम</span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;">बना पास है ।</span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;">*</span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;">मिली भूमि बंजर कहें खेत क्या,</span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;">पड़े ढेर पत्थर कहें रेत क्या ।</span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;">उगेंगे यहाँ</span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;">पुष्प</span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;">विश्वास है ।</span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;">*</span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;">लकीरें खिंची हैं कई भाल पर,</span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;">उड़ाता हँसी वक्त भी हाल पर ।</span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;">इन्हें क्या पता</span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;">शेष</span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;">उल्लास है ।</span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;"> </span></h2>
<h2><span style="font-size: 18pt;">मौलिक/अप्रकाशित.</span></h2>