"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-106 - Open Books Online2024-03-29T11:25:58Zhttp://openbooks.ning.com/group/pop/forum/topics/106?groupUrl=pop&id=5170231%3ATopic%3A1000836&feed=yes&xn_auth=noहृदयतल से आभार आदरणीय ,रचना क…tag:openbooks.ning.com,2020-02-16:5170231:Comment:10010502020-02-16T18:08:48.745Zsunanda jha http://openbooks.ning.com/profile/sunandajha840
<p>हृदयतल से आभार आदरणीय ,रचना को इतनी बारीकी से पढ़कर उसकी सटीक समीक्षा के लिए ।प्रयास करुँगी उचित संशोधन करने का सादर ।</p>
<p>हृदयतल से आभार आदरणीय ,रचना को इतनी बारीकी से पढ़कर उसकी सटीक समीक्षा के लिए ।प्रयास करुँगी उचित संशोधन करने का सादर ।</p> हृदयतल से आभार आदरणीय मेरा हौ…tag:openbooks.ning.com,2020-02-16:5170231:Comment:10011322020-02-16T18:05:49.856Zsunanda jha http://openbooks.ning.com/profile/sunandajha840
<p>हृदयतल से आभार आदरणीय मेरा हौसला बढ़ाने के लिए ।</p>
<p>हृदयतल से आभार आदरणीय मेरा हौसला बढ़ाने के लिए ।</p> आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प…tag:openbooks.ning.com,2020-02-16:5170231:Comment:10010492020-02-16T17:53:20.049ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रदत्त चित्र पर रचे उल्लाला छंदों को आपका आशीष मिला. रचना कर्म सार्थक हुआ. हार्दिक आभार आपका.सादर.</p>
<p>आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रदत्त चित्र पर रचे उल्लाला छंदों को आपका आशीष मिला. रचना कर्म सार्थक हुआ. हार्दिक आभार आपका.सादर.</p> आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सादर,…tag:openbooks.ning.com,2020-02-16:5170231:Comment:10010012020-02-16T17:52:02.001ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत छंदों को सराहने के लिए आपका दिल से आभार. सादर.</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत छंदों को सराहने के लिए आपका दिल से आभार. सादर.</p> आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्त…tag:openbooks.ning.com,2020-02-16:5170231:Comment:10010002020-02-16T17:51:30.271ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र पर रचे छंद आपको अच्छे लगे इसके लिए आपका हृदय से आभार. सादर. </p>
<p>आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र पर रचे छंद आपको अच्छे लगे इसके लिए आपका हृदय से आभार. सादर. </p> आदरणीय, मुझे भान है कि आपकी भ…tag:openbooks.ning.com,2020-02-16:5170231:Comment:10011312020-02-16T17:50:18.537ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय, मुझे भान है कि आपकी भाषा का मर्म उर्दूपगा है जिस हेतु आपने लिपि के तौर पर देवनागरी को प्रश्रय दिया हुआ है. वस्तुत: हिंदी भाषाई रचनाकर्म में मात्राओं की तुकांतता नेेेेष्ट हैै. जैसी कि, आपने 'ली' और 'दी' की तुकांतता साधी हैै. </p>
<p>आदरणीय, मुझे भान है कि आपकी भाषा का मर्म उर्दूपगा है जिस हेतु आपने लिपि के तौर पर देवनागरी को प्रश्रय दिया हुआ है. वस्तुत: हिंदी भाषाई रचनाकर्म में मात्राओं की तुकांतता नेेेेष्ट हैै. जैसी कि, आपने 'ली' और 'दी' की तुकांतता साधी हैै. </p> आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन…tag:openbooks.ning.com,2020-02-16:5170231:Comment:10009972020-02-16T17:39:37.319Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन । रचना पर सारगर्भित टिप्पणी से सहज मार्गदर्शन के लिए आभार । आपका कथन सत्य है , कई बार मात्रा गणना में भ्रम हो जाता है । इस पर नियंत्रण का प्रयास करूँगा । शेष शुभ शुभ..</p>
<p>आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन । रचना पर सारगर्भित टिप्पणी से सहज मार्गदर्शन के लिए आभार । आपका कथन सत्य है , कई बार मात्रा गणना में भ्रम हो जाता है । इस पर नियंत्रण का प्रयास करूँगा । शेष शुभ शुभ..</p>
जुड़े हाथ गरदन घुसी, और नहीं…tag:openbooks.ning.com,2020-02-16:5170231:Comment:10009042020-02-16T17:29:58.448ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p> </p>
<h2><em>जुड़े हाथ गरदन घुसी, और नहीं कुछ बात है ।</em></h2>
<h2><em>सुबह-सुबह के स्नान से, काँप रहा शिशु गात है</em><span> </span></h2>
<p></p>
<p><span>बहुत खूब ! .. आदरणीय अशोक भाई जी. वाह !!</span></p>
<p><span>चित्र के शाब्दिक-विन्यास में आपकी सिद्धहस्तता प्रभावी है. </span></p>
<p><span>हार्दिक बधाइयाँ ..</span></p>
<p><span>शुभ-शुभ</span></p>
<p> </p>
<h2><em>जुड़े हाथ गरदन घुसी, और नहीं कुछ बात है ।</em></h2>
<h2><em>सुबह-सुबह के स्नान से, काँप रहा शिशु गात है</em><span> </span></h2>
<p></p>
<p><span>बहुत खूब ! .. आदरणीय अशोक भाई जी. वाह !!</span></p>
<p><span>चित्र के शाब्दिक-विन्यास में आपकी सिद्धहस्तता प्रभावी है. </span></p>
<p><span>हार्दिक बधाइयाँ ..</span></p>
<p><span>शुभ-शुभ</span></p> आ. भाई सतविन्द्र जी, हार्दिक…tag:openbooks.ning.com,2020-02-16:5170231:Comment:10011302020-02-16T17:29:30.685Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सतविन्द्र जी, हार्दिक धन्यवाद।</p>
<p>आ. भाई सतविन्द्र जी, हार्दिक धन्यवाद।</p> आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन…tag:openbooks.ning.com,2020-02-16:5170231:Comment:10011292020-02-16T17:28:37.634Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन एवं हार्दिक धन्यवाद।इंगित छंद के अतिम चरण को इस प्रकार देखें -</p>
<p>सभी प्रार्थना शोर में।</p>
<p>आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन एवं हार्दिक धन्यवाद।इंगित छंद के अतिम चरण को इस प्रकार देखें -</p>
<p>सभी प्रार्थना शोर में।</p>