For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बेटी आ बहिनक मनोरथ के बारे में सेहो सोचु (लघुकथा)

अपना विवाह में बहुत राश संगी साथी के बरियाती जयबाक लेल कहलियनि , एबो केलाह , मुदा एकटा मित्र कहलाह जे जायब त लेकिन दारू पिबे टा करब । हम कहलियनि जे आहा पिबे करब आ पिब क' ताण्डव करबे करब, त' कहलाह जे इहो भ' सकैत अछि । हम कहलियनि जे आहाँ नै जाऊ, कारन आहां हमर प्रतिष्ठा आ अप्पन गामक प्रतिष्ठा दुनु के ख़राब करब, तैं नै जाऊ, कहलाह ठीक छैक । संगही जतेक मित्र लोकनि छलाह सब गोटा के सूचित क' देलियनि जे कोनो तरहक एहन काज कियो गोटा नै करब जाही स हमरा संग संग हमर गामक प्रतिष्ठा पर आँच आबय, आ यदि मोन में बिपरीत भावना होबय त' नहि जाऊ इ कष्ट हम बर्दास्त क' लेब । एकटा मित्र कहलाह जे कनि - मनि मजाक अगर भ' जेतेई त की हेतै ? हम कलियनी जे जिनका ओहिठाम आहाँ जाई छी , ओ हमर सम्बन्धी होबै जा रहल छथि । त' आहाँ ओहिठाम अगर कोनो अनुचित व्यवहार करब तकर माने आंहाँ हमरा संगे अनुचित व्यवहार करब । कहु की ई बर्दास्त करबा योग्य होयत ? जहिना अहाँ स हमरा स्नेहवत सम्बन्ध अछि तहिना ओतौ स रखबाक में आंहाँ सब सँ सहयोगक अपेछा राखैत छी । सब गोटे सहमत भेलाह आ बड्ड प्रतिष्ठा अर्जन क बरियाती सँ वापिस अयलाह ।

कारन हमरा ई बात के बड्ड कष्ट अछि जे हमर विवाह में देश - विदेश सँ संगी - साथी आबथि, मुदा जाहि लड़की के विवाह होई तकर मित्र देश - विदेश सँ त' काsत जाऊ अड़ोस - परोश तथा सगा - सम्बन्धी के सेहओ एनाई उचित नहि बुझैछथिन । सबहक पिताजी, भाईजी सब कहै छथिन नै जाऊ आब बरियाती सभ्य नहि अबैत अछि । की हमरा सब अपने टा मनोरथ बुझै छी ? ओ बेटी आ बहिनक मनोरथ के बारे में सेहो सोचु जे विवाहोपरान्त अप्पन माय - बाप संगी - सहेली के छोड़ि कतेक दूर भ' जाइत छथि ।

"मौलिक आ अप्रकाशित"

Views: 914

Replies to This Discussion

आदरणीय संजय जी बात बड्ड नीक लिखलहूँ आँहा मिथिला के बरियाती सबहक नंगटपना सोच के ऊपर । बेटी बला के सम्मान हनन केनाई हुनका सबके जन्मसिद्ध अधिकार बुझाईत छैन्ह । वैह जहन अपना पर पलैट कय पडै छैन्ह तय अप्पन केलहा सब बिसैर जाईत छथिन । बहुत नीक समस्या पर कलम चलेलहूँ ताहि लेल आँहाक बहुत बहुत बधाई । ई क्रांतिकारी सोच जरूर मिथिला के रूढ़िवादी परम्परा पर प्रहार करय में प्रभावी होयत ।
लेकिन आँहा जे ई रचना के लघुकथा कहलहूँ ताहि सय हम संतुष्ट नई छी । ई रचना में आँहाक सोच अछी अभिव्यक्ति स्वरूप । ई लघुकथा नई भेल ।
लघुकथा एक बहुत महीन विधा अछी जाहि में कथानक पर पात्र के माध्यम सय यथार्थ के तथ्य सय परिपूर्ण एकटा घटल क्षण के व्यक्त कैल जाईत छै । कथा में प्रयुक्त कैल ओही परिस्थिति के आधार बनाय कय पात्र के मुँहे सब संदेश उद्घृत कैल जाईत अछि । कनि विधा पर आँहा जानकारी बढाऊ । आँहाक लेखन और सोच दुनु सय हम बेहद प्रभावित भेल छी । मिथिला में आँहाक सन के क्रांतिकारी सोच बला लेखक के बहुत दरकार अछी । एही ओबीओ मंच पर " लघुकथा के कक्षा " समूह अछी । तकरा ज्वाइन करू और ओम्हर प्रयुक्त लघुकथा निर्माण सामग्री के पढी और विचार विमर्श कय सह लेखक सब संग तकनीक के लाभ लिअ ई हमर विनम्र आग्रह । सादर

आदरणीया कांता जी सादर नमन , अपनेक प्रतिक्रिया देखि मोन हर्षित भेल। हाँ , हमरा सँ इ लिखबा में गलती भेल जे लघुकथा थिक , वास्तविक में इ से छी नै , जकरा अपने प्रत्यक्ष रुप सँ कहलहुँ मोन में बेसी ख़ुशी भेल। आई - काल्हि सत्यो बजनाए लोक जे छोड़ि देने छैक। तथापि अपनेक प्रतिक्रिया हमरा बड्ड निक लागल आशा नहीं अपितु पूर्ण विस्श्वास अछि अपने स्नेह बना सदिखन उचित , अनुचितक मार्ग दर्शन करबैत रहब। स्नेहाकांक्षी सतत। संजय झा "नागदह"

सदा स्वागत आँहाके आदरणीय संजय जी ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  चित्र  पर बहुत कुछ लिख गए | प्रयास सराहनीय है | पर छंद के नियमों का…"
5 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका  "
26 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी,  ये टिप्पणी प्रसाद है, भाईजी धन्यवाद है, सीख पाया जितना भी, उसका ये…"
29 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भा ई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
56 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी _________ लो कुंभ का मेला जमा,भाव भक्ति मन रमा,धर्म का झंडा उठाये,भीड़ में उमंग…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को उकेरते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"कुम्भ लगा प्रयाग में, संतो का जमघट है,आमजन भी आ जुटे, मुक्ति स्नान करने।पर्व सनातन का है,…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी,  आपके प्रयास की वाह-वाह भूरि-भूरि, कठिन है किंतु पद, आपने लगा…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी,  कवित्त है शुद्ध शुद्ध, कवि मन से प्रबुद्ध, पद पढ़ बार-बार, रस में…"
14 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   बरसों बाद मेला है, खूब ठेलम ठेला है, भीड़ बहुत भारी है,…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"सुगढ़ कवित्त प्रस्तुति, आदरणीय अशोक भाईजी  मैं पुन: उपस्थित होता हूँ। "
21 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   संगम  के  तट  पर, संतो  का  जमावड़ा  है, एक…"
23 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service