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गीतई जे साँझ परलै मैया की हमरे जीवनमे मुनल आँखि तकबै कहिया हमरो जीवनमे।। सगर दुनियाँकेँ चिलका माएक आँचर तर हम अभागल कोना भटकै छी दर-दर।। घुर… Started by जगदानन्द झा 'मनु' |
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Aug 10, 2015 Reply by kanta roy |
मैयाक गीतमैया भवानी अलख जगेथीन अन्न धन देथीन हमरो घर ना नै हम रहबै लेने खाली दूबि धान माँगै छी मैयासँ माँगक सेनूर लाले लाल अचरीक दान मैया करथीन… Started by जगदानन्द झा 'मनु' |
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Oct 11, 2013 Reply by जगदानन्द झा 'मनु' |
गजलमाँ शारदे वरदान दिअ हमरो हृदयमे ज्ञान दिअ हरि ली सभक अन्हार हम एहन इजोतक दान दिअ सुनि दोख हम कखनो अपन दुख नै हुए ओ कान दिअ गाबी अहीँ… Started by जगदानन्द झा 'मनु' |
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Apr 15, 2013 Reply by Saurabh Pandey |
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