"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-45 (Now Closed) - Open Books Online2024-03-29T11:37:03Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/mus45?x=1&id=5170231%3ATopic%3A517607&feed=yes&xn_auth=noजय हो...
ओ बी ओ लाइव तरही मुश…tag:openbooks.ning.com,2014-03-30:5170231:Comment:5266122014-03-30T18:30:03.552ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>जय हो...</p>
<p>ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-45 की आशातीत सफलता के लिए सभी सदस्यों को हार्दिक बधाई.<br/>सादर<br/><br/></p>
<p>जय हो...</p>
<p>ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-45 की आशातीत सफलता के लिए सभी सदस्यों को हार्दिक बधाई.<br/>सादर<br/><br/></p> आप सबकी मुहब्बतों का नतीजा है…tag:openbooks.ning.com,2014-03-30:5170231:Comment:5264622014-03-30T18:29:38.979ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आप सबकी मुहब्बतों का नतीजा है, आदरणीय सुरींदर साहिब</p>
<p>सादर</p>
<p>आप सबकी मुहब्बतों का नतीजा है, आदरणीय सुरींदर साहिब</p>
<p>सादर</p> आज पेजेस बहुत जम्प हो रहे है…tag:openbooks.ning.com,2014-03-30:5170231:Comment:5263912014-03-30T18:29:29.811Zshashi purwarhttp://openbooks.ning.com/profile/shashipurwar
<p>आज पेजेस बहुत जम्प हो रहे है सभी की गजल बहुत अच्छी लगी सभी रचनाकारो को हार्दिक बधाई , मोबाइल से एक साथ पढ़ ली गजले पर यहाँ कमेंट्स नहीं कर पा रही हहूँ शानदार रही सभी की गजले पुनः सभी को हार्दिक बधाई , बहुत सी गजलो तक नहीं पहुच सकी लिखने</p>
<p>आज पेजेस बहुत जम्प हो रहे है सभी की गजल बहुत अच्छी लगी सभी रचनाकारो को हार्दिक बधाई , मोबाइल से एक साथ पढ़ ली गजले पर यहाँ कमेंट्स नहीं कर पा रही हहूँ शानदार रही सभी की गजले पुनः सभी को हार्दिक बधाई , बहुत सी गजलो तक नहीं पहुच सकी लिखने</p> हार्दिक धन्यवाद आदरणीया शशिजी…tag:openbooks.ning.com,2014-03-30:5170231:Comment:5266112014-03-30T18:28:54.186ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>हार्दिक धन्यवाद आदरणीया शशिजी.</p>
<p>सादर</p>
<p></p>
<p>हार्दिक धन्यवाद आदरणीया शशिजी.</p>
<p>सादर</p>
<p></p> सादर धन्यवाद आदरणीय भुवनजी.
tag:openbooks.ning.com,2014-03-30:5170231:Comment:5266102014-03-30T18:28:14.411ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>सादर धन्यवाद आदरणीय भुवनजी.</p>
<p></p>
<p>सादर धन्यवाद आदरणीय भुवनजी.</p>
<p></p> //आप जन्नत की इक परी हो क्या…tag:openbooks.ning.com,2014-03-30:5170231:Comment:5264612014-03-30T18:28:11.259ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
<p>//<span style="text-decoration: underline;">आप</span> जन्नत की इक परी <span style="text-decoration: underline;">हो</span> क्या<br/> सूने जीवन में रोशनी हो क्या</p>
<p>आप के साथ हो ?</p>
<p>वैसे अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी, बधाई हो।</p>
<p>//<span style="text-decoration: underline;">आप</span> जन्नत की इक परी <span style="text-decoration: underline;">हो</span> क्या<br/> सूने जीवन में रोशनी हो क्या</p>
<p>आप के साथ हो ?</p>
<p>वैसे अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी, बधाई हो।</p> आदरणीया शशिजी, काफ़िया आपने गल…tag:openbooks.ning.com,2014-03-30:5170231:Comment:5264602014-03-30T18:26:14.686ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीया शशिजी, काफ़िया आपने गलत लिया है और इस कारण पूरी ग़ज़ल गलत होगयी है.</p>
<p>सादर</p>
<p></p>
<p>आदरणीया शशिजी, काफ़िया आपने गलत लिया है और इस कारण पूरी ग़ज़ल गलत होगयी है.</p>
<p>सादर</p>
<p></p> भाई शिज्जू - बहुत मज़ा आया , द…tag:openbooks.ning.com,2014-03-30:5170231:Comment:5266092014-03-30T18:25:53.697ZSURINDER RATTIhttp://openbooks.ning.com/profile/SURINDERRATTI
<p>भाई शिज्जू - बहुत मज़ा आया , दाद कुबूल फरमाएं - सुरिन्दर रत्ती <br/><br/>क्यूँ बुझाती हो तुम चराग ऐसे<br/>मेरा लम्हा-ए-आखिरी हो क्या<br/><br/>अब न वो पल रहा न नक्श कोई<br/>तो पलट के यूँ देखती हो क्या<br/><br/> </p>
<p>भाई शिज्जू - बहुत मज़ा आया , दाद कुबूल फरमाएं - सुरिन्दर रत्ती <br/><br/>क्यूँ बुझाती हो तुम चराग ऐसे<br/>मेरा लम्हा-ए-आखिरी हो क्या<br/><br/>अब न वो पल रहा न नक्श कोई<br/>तो पलट के यूँ देखती हो क्या<br/><br/> </p> आदरणीय मनोज जी आभार आपको गजल…tag:openbooks.ning.com,2014-03-30:5170231:Comment:5265162014-03-30T18:25:19.770Zshashi purwarhttp://openbooks.ning.com/profile/shashipurwar
<p>आदरणीय मनोज जी आभार आपको गजल पसंद आयी , गलती से आपने शशि की जगह वंदना लिख दिया :)) आभार</p>
<p>आदरणीय मनोज जी आभार आपको गजल पसंद आयी , गलती से आपने शशि की जगह वंदना लिख दिया :)) आभार</p> दर्द बहने लगा नदी बनकर पार सा…tag:openbooks.ning.com,2014-03-30:5170231:Comment:5266082014-03-30T18:24:03.796Zमनोज कुमार सिंह 'मयंक'http://openbooks.ning.com/profile/2pfvid8pxd2o7
<p>दर्द बहने लगा नदी बनकर<br/> पार सागर बनी खड़ी हो क्या.......बहुत खूब...बधाई हो आदरणीया..</p>
<p>आज खामोश हो गयी कितनी<br/> मुझसे मिलकर उदास भी हो क्या..खूबसूरत गिरह लगाई है..दिली दाद कबूल फरमाए आदरणीया शशि पूर्वार जी</p>
<p>दर्द बहने लगा नदी बनकर<br/> पार सागर बनी खड़ी हो क्या.......बहुत खूब...बधाई हो आदरणीया..</p>
<p>आज खामोश हो गयी कितनी<br/> मुझसे मिलकर उदास भी हो क्या..खूबसूरत गिरह लगाई है..दिली दाद कबूल फरमाए आदरणीया शशि पूर्वार जी</p>