"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-92 (विषय: रोटी) - Open Books Online2024-03-29T11:22:47Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/92-2?commentId=5170231%3AComment%3A1094694&feed=yes&xn_auth=noवाह। एक बहुत ही उम्दा सृजन वि…tag:openbooks.ning.com,2022-11-30:5170231:Comment:10947682022-11-30T18:26:56.525ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>वाह। एक बहुत ही उम्दा सृजन विषयांतर्गत। निश्चित रूप से यह एक संस्मरणात्मक शैली की बढ़िया लघुकथा हो जाती यदि इसमें कालखण्ड दोष न होता और कुछ पंक्तियों/शब्दों को हटा दिया जाता।अर्थात इसमें से लगभग आठ-दस वाक्य कम किये जा सकते हैं लघु आकार की संस्मरणात्मक शैली की लघुकथा रूप स्पष्ट करने हेतु मेरे विचार से। (कृपया मेरा टिप्पणी अभ्यास मुहतरमा /स्वतंत्र लेखिका की टिप्पणी के जवाब में दी गई टिप्पणी भी पढ़िएगा।)</p>
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<p><span> मेरा एक अभ्यास जनाब तेजवीर सिंह जी की रचना पर, सादर विचारार्थ…</span></p>
<p>वाह। एक बहुत ही उम्दा सृजन विषयांतर्गत। निश्चित रूप से यह एक संस्मरणात्मक शैली की बढ़िया लघुकथा हो जाती यदि इसमें कालखण्ड दोष न होता और कुछ पंक्तियों/शब्दों को हटा दिया जाता।अर्थात इसमें से लगभग आठ-दस वाक्य कम किये जा सकते हैं लघु आकार की संस्मरणात्मक शैली की लघुकथा रूप स्पष्ट करने हेतु मेरे विचार से। (कृपया मेरा टिप्पणी अभ्यास मुहतरमा /स्वतंत्र लेखिका की टिप्पणी के जवाब में दी गई टिप्पणी भी पढ़िएगा।)</p>
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<p><span> मेरा एक अभ्यास जनाब तेजवीर सिंह जी की रचना पर, सादर विचारार्थ :</span></p>
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<div class="description" id="desc_5170231Comment1094679"><div class="xg_user_generated"><p>असमंजस<span> </span><span><span class="Apple-converted-space"> </span> -<span class="Apple-converted-space"> </span></span><span> </span>लघुकथा<span> </span><span>–</span></p>
<p>यह उन दिनों की बात है जब मैं गाँव में रह रहा था। </p>
<p>मेरी एक प्रतियोगी परीक्षा का केंद्र पास के शहर में पड़ गया, जहाँ मैं अपने पिताजी के बताए अनुसार चाचाजी के घर रुका। पिताजी की हिदायत मुझे याद रही कि "<span>वे लोग शहर के प्रतिष्ठित समुदाय में गिने जाते हैं। इसलिये ध्यान रखना कि ऐसी कोई बात ना हो कि हम लोगों को नीचा देखना पड़े।"</span></p>
<p> चाचा जी का बेटा जो कि मेरा ही हम उम्र था<span>,</span><span> </span>मुझे परीक्षा केंद्र भी दिखा लाया। घर का माहौल बहुत खुशनुमा था।चाचा<span>,</span><span> </span>चाची<span>,</span><span> </span>उनके तीन बच्चे और चाचा जी की माँ<span><span class="Apple-converted-space"> </span></span><span> </span>थीं। कुल छह सदस्य थे।<span><span class="Apple-converted-space"> </span></span></p>
<p>शाम को एक अजीब बात हुई। मैं प्रथम तल पर बने एक कमरे में<span>,</span><span> </span>जिसे वे लोग गेस्ट रूम कहते थे<span>,</span><span> </span>अपनी कल की परीक्षा की तैयारी कर रहा था । तभी चाचा जी की बड़ी बेटी आई<span>,"</span>भैया आप कितनी चपाती खाओगे<span>?"</span></p>
<p>मेरे लिये यह एकदम अप्रत्याशित प्रश्न था।क्योंकि गाँव में हम लोग सदैव चूल्हे के सामने बैठ कर खाने वाले लोग इस तरह के प्रश्न के आदी ही नहीं होते।</p>
<p>मेरी हिचकिचाहट को भाँप कर उसने प्रश्न को थोड़ा संशोधित भाषा में दुहराया<span>,"</span>वो क्या है भैया जी<span>,</span><span> </span>अभी खाना बनाने वाली आई है तो उसे बताना पड़ता है कि कुल कितनी चपाती बनेंगी।<span>"<span class="Apple-converted-space"> </span></span></p>
<p>मैं फिर भी असमंजस में था क्योंकि मुझे खुद भी ज्ञात नहीं था कि मैं कितनी चपाती खाऊँगा। क्योंकि कभी गिन कर खाई ही नहीं।उसने मुझे इस तरह दुविधा में देखा तो खुद ही निर्णयात्मक स्वर में कहा<span>,"</span>चार बोल दूँ<span>?"<span class="Apple-converted-space"> </span></span></p>
<p>मैंने भी खामोशी से सहमति में सिर हिला दिया।उसने आगे पूछा<span>,"</span>आप यहीं कमरे में खाना खायेंगे या सबके साथ डाइनिंग हॉल में<span>?"<span class="Apple-converted-space"> </span></span></p>
<p>मैं पुनः सोचने लगा। उसने खुद ही अपनी बात पूरी कर दी<span>,"</span>अगर हम लोग के साथ खाना हो तो सही आठ बजे नीचे हॉल में आ जाना। नहीं आओगे तो मैं आपकी थाली इधर ही दे जाऊँगी।<span>"</span></p>
<p>मैं आठ बजे हॉल में पहुंच गया।</p>
<p>जब सब खाना खाने बैठे तो मैं चपाती का आकार देख सन्न रह गया। गाँव में तो पूड़ी भी इससे बड़ी होती है। एक बार सोचा कि बोल दूँ कि मैं तो और चपाती लूँगा लेकिन फिर मुझे पिताजी की हिदायत याद आ गई।</p>
<p>मौलिक<span><span class="Apple-converted-space"> </span></span><span> </span>एवं अप्रकाशित</p>
</div>
</div>
<p></p> आदाब। आपकी धारदार रोचक मिश्रि…tag:openbooks.ning.com,2022-11-30:5170231:Comment:10946982022-11-30T17:58:34.321ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। आपकी धारदार रोचक मिश्रित शैली और शिल्प में बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई जनाब मनन कुमार सिंह जी। आप जैसे नियमित सहभागी सुधीजन की प्रविष्टियाँ पढ़कर गोष्ठियों से हम सदैव लाभान्वित होते रहे हैं विधा का आनंद लेते हुए।इस रचना में दल के सदस्यों, रोटी/चूल्हा/तवा और बंदर के माध्यम से परिवेश और संवाद क़ायम रखकर बेहतरीन संकेतात्मक शीर्षक, कटाक्ष और चिंतन अंतिम ज़ोरदार पंक्ति के साथ : //<span>तवे पर रोटी सुलग चुकी थी।उसपर कहीं मक्का,तो कहीं चावल के अधजले आटे छिटके हुए साफ साफ दिख रहे थे।//</span></p>
<p>आदाब। आपकी धारदार रोचक मिश्रित शैली और शिल्प में बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई जनाब मनन कुमार सिंह जी। आप जैसे नियमित सहभागी सुधीजन की प्रविष्टियाँ पढ़कर गोष्ठियों से हम सदैव लाभान्वित होते रहे हैं विधा का आनंद लेते हुए।इस रचना में दल के सदस्यों, रोटी/चूल्हा/तवा और बंदर के माध्यम से परिवेश और संवाद क़ायम रखकर बेहतरीन संकेतात्मक शीर्षक, कटाक्ष और चिंतन अंतिम ज़ोरदार पंक्ति के साथ : //<span>तवे पर रोटी सुलग चुकी थी।उसपर कहीं मक्का,तो कहीं चावल के अधजले आटे छिटके हुए साफ साफ दिख रहे थे।//</span></p> सादर नमस्कार। मेरी जानकारी अन…tag:openbooks.ning.com,2022-11-30:5170231:Comment:10946972022-11-30T17:40:50.924ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>सादर नमस्कार। मेरी जानकारी अनुसार गद्य में 'संस्मरण' सर्वथा एक भिन्न महत्वपूर्ण विधा है और एक पृष्ठ से लेकर अनेक पृष्ठों का आकार ले सकता है एक संस्मरण। इसी तरह एकांकी भी। लेकिन जब लघुकथा विधा की शैली के रूप में 'संस्मरण' और 'एकांकी' आदि गद्य विधाओं को अपनाया जाये, तो वे ऐसी लघुकथा शैलियों के तहत आयेंगी जिनमें लघुकथा विधा के चरित्र, गुण, तासीर, आधारभूत तत्व, मारक क्षमता और सम्प्रेषणीयता आदि अवश्य हों और उनमें लघुकथा के लघु आकार की सीमा भी हो और कालखण्ड दोष से मुक्त हो.... । तब कहा जायेगा कि…</p>
<p>सादर नमस्कार। मेरी जानकारी अनुसार गद्य में 'संस्मरण' सर्वथा एक भिन्न महत्वपूर्ण विधा है और एक पृष्ठ से लेकर अनेक पृष्ठों का आकार ले सकता है एक संस्मरण। इसी तरह एकांकी भी। लेकिन जब लघुकथा विधा की शैली के रूप में 'संस्मरण' और 'एकांकी' आदि गद्य विधाओं को अपनाया जाये, तो वे ऐसी लघुकथा शैलियों के तहत आयेंगी जिनमें लघुकथा विधा के चरित्र, गुण, तासीर, आधारभूत तत्व, मारक क्षमता और सम्प्रेषणीयता आदि अवश्य हों और उनमें लघुकथा के लघु आकार की सीमा भी हो और कालखण्ड दोष से मुक्त हो.... । तब कहा जायेगा कि संस्मरणात्मक शैली की लघुकथा या एकांकी शैली की लघुकथा.... आदि। मैं अभी इतना ही शेअर कर सकूँगा। विस्तृत जानकारी हेतु हमें आदरणीय सर जनाब योगराज प्रभाकर जी, डॉ. चन्द्रेश कुमार छतलानी जी आदि के सोशल मीडिया या ब्लॉग पर जारी नवीन सूचनाओं, आलेखों व उदाहरणों का हमें अध्ययन करते रहना चाहिए लघुकथाओं की पुस्तकों के अलावा। एक लिंक</p>
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<p></p> आदाब। हार्दिक स्वागत। पंक्ति…tag:openbooks.ning.com,2022-11-30:5170231:Comment:10948752022-11-30T17:25:59.017ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। हार्दिक स्वागत। पंक्ति इंगित करते हुए कम शब्दों में सारगर्भित समीक्षात्मक टिप्पणी, राय और हौसला अफ़ज़ाई हेतु हार्दिक धन्यवाद मुहतरमा डॉ. प्राची सिंह साहिबा।</p>
<p>आदाब। हार्दिक स्वागत। पंक्ति इंगित करते हुए कम शब्दों में सारगर्भित समीक्षात्मक टिप्पणी, राय और हौसला अफ़ज़ाई हेतु हार्दिक धन्यवाद मुहतरमा डॉ. प्राची सिंह साहिबा।</p> आ. भाई नाथ सोनांचली जी, अभिवा…tag:openbooks.ning.com,2022-11-30:5170231:Comment:10949212022-11-30T16:51:46.684Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई नाथ सोनांचली जी, अभिवादन। अच्छी लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई नाथ सोनांचली जी, अभिवादन। अच्छी लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।</p> आपको रचना पर देखना सुखद है।हा…tag:openbooks.ning.com,2022-11-30:5170231:Comment:10946962022-11-30T15:38:33.892Zpratibha pandehttp://openbooks.ning.com/profile/pratibhapande
<p>आपको रचना पर देखना सुखद है।हार्दिक आभार आदरणीया प्राची जी</p>
<p>आपको रचना पर देखना सुखद है।हार्दिक आभार आदरणीया प्राची जी</p> हार्दिक आभार आदरणीय tag:openbooks.ning.com,2022-11-30:5170231:Comment:10948732022-11-30T15:37:36.660Zpratibha pandehttp://openbooks.ning.com/profile/pratibhapande
<p>हार्दिक आभार आदरणीय </p>
<p>हार्दिक आभार आदरणीय </p> हार्दिक आभार आदरणीय तेज वीर स…tag:openbooks.ning.com,2022-11-30:5170231:Comment:10948722022-11-30T15:36:53.443Zpratibha pandehttp://openbooks.ning.com/profile/pratibhapande
<p>हार्दिक आभार आदरणीय तेज वीर सिंह जी</p>
<p>हार्दिक आभार आदरणीय तेज वीर सिंह जी</p> ओह आजकल आधुनिक परिवेश में चपा…tag:openbooks.ning.com,2022-11-30:5170231:Comment:10946952022-11-30T15:20:53.141ZDr.Prachi Singhhttp://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>ओह आजकल आधुनिक परिवेश में चपातियों का गिन कर बनाया जाना और सबका अलग अलग कमरों में भी खाना अकेले खा लेना...<br/>लेकिन नीचा न देखना पड़े इसलिए खामोश रह जाना... कितना बड़ा प्रश्नचिह्न है ग्लानि कहाँ होनी चाहिए और कहाँ है </p>
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<p>सुंदर कहानी </p>
<p>बधाई स्वीकार करें आ० तेज वीर सिंह जी </p>
<p>ओह आजकल आधुनिक परिवेश में चपातियों का गिन कर बनाया जाना और सबका अलग अलग कमरों में भी खाना अकेले खा लेना...<br/>लेकिन नीचा न देखना पड़े इसलिए खामोश रह जाना... कितना बड़ा प्रश्नचिह्न है ग्लानि कहाँ होनी चाहिए और कहाँ है </p>
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<p>सुंदर कहानी </p>
<p>बधाई स्वीकार करें आ० तेज वीर सिंह जी </p> आपके प्रश्न का अपनी समझ के अन…tag:openbooks.ning.com,2022-11-30:5170231:Comment:10948712022-11-30T15:15:36.863Zpratibha pandehttp://openbooks.ning.com/profile/pratibhapande
<p>आपके प्रश्न का अपनी समझ के अनुसार उत्तर देने की कोशिश की है आदरणीया </p>
<p>आपके प्रश्न का अपनी समझ के अनुसार उत्तर देने की कोशिश की है आदरणीया </p>