"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-90 - Open Books Online2024-03-29T02:06:29Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/90?commentId=5170231%3AComment%3A904812&feed=yes&xn_auth=noतरही मुशायरा अंक 90 को सफ़ल बन…tag:openbooks.ning.com,2017-12-23:5170231:Comment:9053942017-12-23T18:25:56.888ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>तरही मुशायरा अंक 90 को सफ़ल बनाने के लिये तमाम ग़ज़लकारों और पाठकों का तहे दिल से शुक्रिया ।</p>
<p>तरही मुशायरा अंक 90 को सफ़ल बनाने के लिये तमाम ग़ज़लकारों और पाठकों का तहे दिल से शुक्रिया ।</p> आपका आभार आदरणीय सतविंदर जी।tag:openbooks.ning.com,2017-12-23:5170231:Comment:9056202017-12-23T17:46:47.953ZManan Kumar singhhttp://openbooks.ning.com/profile/MananKumarsingh
<p>आपका आभार आदरणीय सतविंदर जी।</p>
<p>आपका आभार आदरणीय सतविंदर जी।</p> आपका आभार आदरणीय महेंद्र जी।tag:openbooks.ning.com,2017-12-23:5170231:Comment:9054472017-12-23T17:45:48.254ZManan Kumar singhhttp://openbooks.ning.com/profile/MananKumarsingh
<p>आपका आभार आदरणीय महेंद्र जी।</p>
<p>आपका आभार आदरणीय महेंद्र जी।</p> आपका हार्दिक आभार आदरणीय मुनी…tag:openbooks.ning.com,2017-12-23:5170231:Comment:9053932017-12-23T17:45:10.256ZManan Kumar singhhttp://openbooks.ning.com/profile/MananKumarsingh
<p>आपका हार्दिक आभार आदरणीय मुनीश तनहा जी।</p>
<p>आपका हार्दिक आभार आदरणीय मुनीश तनहा जी।</p> आदरणीय आरिफ साहब, हार्दिक धन्…tag:openbooks.ning.com,2017-12-23:5170231:Comment:9056182017-12-23T17:22:43.013ZAjay Tiwarihttp://openbooks.ning.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय आरिफ साहब, हार्दिक धन्यवाद. </p>
<p>आदरणीय आरिफ साहब, हार्दिक धन्यवाद. </p> बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय ति…tag:openbooks.ning.com,2017-12-23:5170231:Comment:9055422017-12-23T17:21:58.029ZManan Kumar singhhttp://openbooks.ning.com/profile/MananKumarsingh
<p>बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय तिवारी जी।</p>
<p>बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय तिवारी जी।</p> आदरणिया महिमा जी ग़ज़ल का प्र…tag:openbooks.ning.com,2017-12-23:5170231:Comment:9055412017-12-23T17:21:14.839ZAfroz 'sahr'http://openbooks.ning.com/profile/Afrozsahr
<p>आदरणिया महिमा जी ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है।</p>
<p>ग़ज़ल अभी और समय चाहती है । मुशायरे में सहभागिता के लिए आभार,,,</p>
<p>आदरणिया महिमा जी ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है।</p>
<p>ग़ज़ल अभी और समय चाहती है । मुशायरे में सहभागिता के लिए आभार,,,</p> मोहतरमा रक्षिता सिंह जी आदाब,…tag:openbooks.ning.com,2017-12-23:5170231:Comment:9054452017-12-23T17:10:35.916ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>मोहतरमा रक्षिता सिंह जी आदाब,ग़ज़ल आपने अच्छी कही, दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।</p>
<p></p>
<p>गिरह चस्पां नहीं हुई ।</p>
<p>'यूँ ना देखो बेरुख़ी से अब हमें</p>
<p>दिल ये तेरे इश्क़ में बदनाम है'</p>
<p>इस शैर में शुतरगुर्बा का दोष है,ऊला में 'देखो' और सानी में 'तेरे' ।</p>
<p>'अब कहीं जाकरके कुछ आराम है'</p>
<p>इस मिसरे में 'जाकर के'शब्द मुनासिब नहीं लगता ।</p>
<p>आख़री शैर के ऊला में 'इंसान' को "इंसाँ" कर लें,मिसरा बेबह्र हो रहा है ।</p>
<p>मोहतरमा रक्षिता सिंह जी आदाब,ग़ज़ल आपने अच्छी कही, दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।</p>
<p></p>
<p>गिरह चस्पां नहीं हुई ।</p>
<p>'यूँ ना देखो बेरुख़ी से अब हमें</p>
<p>दिल ये तेरे इश्क़ में बदनाम है'</p>
<p>इस शैर में शुतरगुर्बा का दोष है,ऊला में 'देखो' और सानी में 'तेरे' ।</p>
<p>'अब कहीं जाकरके कुछ आराम है'</p>
<p>इस मिसरे में 'जाकर के'शब्द मुनासिब नहीं लगता ।</p>
<p>आख़री शैर के ऊला में 'इंसान' को "इंसाँ" कर लें,मिसरा बेबह्र हो रहा है ।</p> आदरणीय लक्षमण धामी मुसाफ़िर ज…tag:openbooks.ning.com,2017-12-23:5170231:Comment:9056172017-12-23T17:00:34.112ZAfroz 'sahr'http://openbooks.ning.com/profile/Afrozsahr
<p>आदरणीय लक्षमण धामी मुसाफ़िर जी सुख़न नवाज़ी का शुक्रिया</p>
<p>आदरणीय लक्षमण धामी मुसाफ़िर जी सुख़न नवाज़ी का शुक्रिया</p> आदरणीय मोहन बेगोवाल जी सुख़न…tag:openbooks.ning.com,2017-12-23:5170231:Comment:9053902017-12-23T16:58:30.193ZAfroz 'sahr'http://openbooks.ning.com/profile/Afrozsahr
<p>आदरणीय मोहन बेगोवाल जी सुख़न नवाज़ी का शुक्रिया</p>
<p>आदरणीय मोहन बेगोवाल जी सुख़न नवाज़ी का शुक्रिया</p>