"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-81 - Open Books Online2024-03-29T05:36:07Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/81?commentId=5170231%3AComment%3A844562&feed=yes&xn_auth=noआदरणीय गुमनाम भाई ग़जल बेशक अच…tag:openbooks.ning.com,2017-03-25:5170231:Comment:8449612017-03-25T18:28:26.179Zभुवन निस्तेजhttp://openbooks.ning.com/profile/BHUWANNISTEJ
<p>आदरणीय गुमनाम भाई ग़जल बेशक अच्छी हुई है, पर गिरह का शेर भी नदारद है और रदीफ़ की क्रिया भी एक वचन हो गई है. हो सकता है ये आयोजन के नियम सांगत न हो . पर भाई दाद तो बनती है.</p>
<p>आदरणीय गुमनाम भाई ग़जल बेशक अच्छी हुई है, पर गिरह का शेर भी नदारद है और रदीफ़ की क्रिया भी एक वचन हो गई है. हो सकता है ये आयोजन के नियम सांगत न हो . पर भाई दाद तो बनती है.</p> आदरणीय भाई.... कृपया मेरी बात…tag:openbooks.ning.com,2017-03-25:5170231:Comment:8447912017-03-25T18:26:28.625Zअजीत शर्मा 'आकाश'http://openbooks.ning.com/profile/AjeetSharmaAakash
<p>आदरणीय भाई.... कृपया मेरी बात को हल्की-फुल्की टिप्पणी के रूप में लीजिए !!!</p>
<p>आदरणीय भाई.... कृपया मेरी बात को हल्की-फुल्की टिप्पणी के रूप में लीजिए !!!</p> सभी अशआर बस मन को भा गए. और ब…tag:openbooks.ning.com,2017-03-25:5170231:Comment:8450362017-03-25T18:23:45.648Zभुवन निस्तेजhttp://openbooks.ning.com/profile/BHUWANNISTEJ
<p>सभी अशआर बस मन को भा गए. और बाबा जुकर वाले शेर का तो बस...</p>
<p>बधाई हो आदरणीय...</p>
<p>सभी अशआर बस मन को भा गए. और बाबा जुकर वाले शेर का तो बस...</p>
<p>बधाई हो आदरणीय...</p> वर्तमान के प्रति आपकी चिन्ता…tag:openbooks.ning.com,2017-03-25:5170231:Comment:8449592017-03-25T18:20:48.330Zभुवन निस्तेजhttp://openbooks.ning.com/profile/BHUWANNISTEJ
<p>वर्तमान के प्रति आपकी चिन्ता इस ग़ज़ल में बखूबी झलक रही है आ० राजेश दीदी. कृप्या दाद कबूल करें .</p>
<p>वर्तमान के प्रति आपकी चिन्ता इस ग़ज़ल में बखूबी झलक रही है आ० राजेश दीदी. कृप्या दाद कबूल करें .</p> बहुत आभार नादिर भाई !!!tag:openbooks.ning.com,2017-03-25:5170231:Comment:8448902017-03-25T18:19:35.041Zअजीत शर्मा 'आकाश'http://openbooks.ning.com/profile/AjeetSharmaAakash
<p>बहुत आभार नादिर भाई !!!</p>
<p>बहुत आभार नादिर भाई !!!</p> Like.... bhaai !!!
tag:openbooks.ning.com,2017-03-25:5170231:Comment:8449582017-03-25T18:18:37.720Zअजीत शर्मा 'आकाश'http://openbooks.ning.com/profile/AjeetSharmaAakash
<p>Like.... bhaai !!!</p>
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<p>Like.... bhaai !!!</p>
<p> </p> जी, सर.... आप सामने आये, मैं…tag:openbooks.ning.com,2017-03-25:5170231:Comment:8449572017-03-25T18:17:46.064Zअजीत शर्मा 'आकाश'http://openbooks.ning.com/profile/AjeetSharmaAakash
<p>जी, सर.... आप सामने आये, मैं होश में आ गया.... अत्यन्त आभार आपका आदरणीय समर साहब.... बरसी में अनुस्वार छूट गया..... आपके आशीष ने बहुतों को दिशा-निर्देश दिया..... मुझे भी.... क्षमा बड़ेन को चाहिए.... हा हा हा !!!</p>
<p>जी, सर.... आप सामने आये, मैं होश में आ गया.... अत्यन्त आभार आपका आदरणीय समर साहब.... बरसी में अनुस्वार छूट गया..... आपके आशीष ने बहुतों को दिशा-निर्देश दिया..... मुझे भी.... क्षमा बड़ेन को चाहिए.... हा हा हा !!!</p> हा हा हा !!!tag:openbooks.ning.com,2017-03-25:5170231:Comment:8450352017-03-25T18:12:12.981Zअजीत शर्मा 'आकाश'http://openbooks.ning.com/profile/AjeetSharmaAakash
<p>हा हा हा !!!</p>
<p>हा हा हा !!!</p> बहुत शुक्रिया भाई मिथिलेश वाम…tag:openbooks.ning.com,2017-03-25:5170231:Comment:8447892017-03-25T18:11:04.410Zअजीत शर्मा 'आकाश'http://openbooks.ning.com/profile/AjeetSharmaAakash
<p>बहुत शुक्रिया भाई मिथिलेश वामनकर जी !!!</p>
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<p>बहुत शुक्रिया भाई मिथिलेश वामनकर जी !!!</p>
<p></p> आदरणीय मुनीश तन्हा जी धन्यवाद…tag:openbooks.ning.com,2017-03-25:5170231:Comment:8449552017-03-25T18:09:31.014Zभुवन निस्तेजhttp://openbooks.ning.com/profile/BHUWANNISTEJ
<p>आदरणीय मुनीश तन्हा जी धन्यवाद...</p>
<p>आदरणीय मुनीश तन्हा जी धन्यवाद...</p>