"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-81 - Open Books Online2024-03-29T05:03:16Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/81-2?feed=yes&xn_auth=noतुक भाव और विषयानुरूप कथ्य के…tag:openbooks.ning.com,2017-07-15:5170231:Comment:8668532017-07-15T18:23:48.257ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>तुक भाव और विषयानुरूप कथ्य के कारण यह रचना भी अत्यंत सहज बन पड़ी है. हृदयतल से शुभकामनाएँ आदरणीय सतविन्द्र जी. </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
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<p>तुक भाव और विषयानुरूप कथ्य के कारण यह रचना भी अत्यंत सहज बन पड़ी है. हृदयतल से शुभकामनाएँ आदरणीय सतविन्द्र जी. </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
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<p></p> आदरणीय, भावपक्ष से अत्यंत सबल…tag:openbooks.ning.com,2017-07-15:5170231:Comment:8667672017-07-15T18:21:20.508ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय, भावपक्ष से अत्यंत सबल आपकी द्वितीय प्रस्तुति को और समय मिलना था. बहरहाल, हार्दिक शुभकामनाएँ </p>
<p>आदरणीय, भावपक्ष से अत्यंत सबल आपकी द्वितीय प्रस्तुति को और समय मिलना था. बहरहाल, हार्दिक शुभकामनाएँ </p> आदरणीया नयना जी, आपकी रचना गी…tag:openbooks.ning.com,2017-07-15:5170231:Comment:8669422017-07-15T18:06:35.147ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीया नयना जी, आपकी रचना गीति विधा की संवाहक है. प्रयास अच्छा लगा. आपका प्रयास सतत बना रहे. हार्दिक बधाइयाँ. </p>
<p>वैसे गीत की विशेषता अंतरलय के होने से बहुमुखी हो जाती है. इसके प्रति ध्यान बना रहे. </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
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<p>आदरणीया नयना जी, आपकी रचना गीति विधा की संवाहक है. प्रयास अच्छा लगा. आपका प्रयास सतत बना रहे. हार्दिक बधाइयाँ. </p>
<p>वैसे गीत की विशेषता अंतरलय के होने से बहुमुखी हो जाती है. इसके प्रति ध्यान बना रहे. </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p> हलके होते हैं वे सचमुच जो भीत…tag:openbooks.ning.com,2017-07-15:5170231:Comment:8668512017-07-15T18:01:58.111ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p><span>हलके होते हैं वे सचमुच जो भीतर से रीते हैं</span></p>
<p><span>भारी-भरकम ही दुनिया में शीश उठा के जीते हैं </span></p>
<p></p>
<p><span>कमाल कमाल कमाल ! आपकी प्रस्तुति ने आयोजन के स्तर को ऊँचा किया है आदरणीय गोपाल नारायन जी. बहुत खूब !</span></p>
<p><span>सादर</span></p>
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<p><span>हलके होते हैं वे सचमुच जो भीतर से रीते हैं</span></p>
<p><span>भारी-भरकम ही दुनिया में शीश उठा के जीते हैं </span></p>
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<p><span>कमाल कमाल कमाल ! आपकी प्रस्तुति ने आयोजन के स्तर को ऊँचा किया है आदरणीय गोपाल नारायन जी. बहुत खूब !</span></p>
<p><span>सादर</span></p>
<p></p> आदरणीय सतीश मापतपुरी जी, आपकी…tag:openbooks.ning.com,2017-07-15:5170231:Comment:8667662017-07-15T17:57:14.492ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय सतीश मापतपुरी जी, आपकी प्रस्तुतियाँ आयोजनों का अनिवार्य हिस्सा-सी हुआ करती हैं. मंच के प्रति आपके भावनात्मक लगाव से हम भी नत हैं. आपका सदा स्वागत है. सादर धन्यवाद और अशेष शुभकामनाएँ </p>
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<p>आदरणीय सतीश मापतपुरी जी, आपकी प्रस्तुतियाँ आयोजनों का अनिवार्य हिस्सा-सी हुआ करती हैं. मंच के प्रति आपके भावनात्मक लगाव से हम भी नत हैं. आपका सदा स्वागत है. सादर धन्यवाद और अशेष शुभकामनाएँ </p>
<p></p> सावन के विभिन्न स्वरूपों की ब…tag:openbooks.ning.com,2017-07-15:5170231:Comment:8667652017-07-15T17:53:42.633ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>सावन के विभिन्न स्वरूपों की बात करती यह प्रस्तुति प्रदत्त विषय के साथ न्याय करती आगे बढ़ती जाती है. इस प्रयास हेतु हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें, आदरणीय विनय जी. व्याकरणीय त्रुटियों की तरफ़ सुधीजनों ने ध्यान दिलाया ही होगा. </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
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<p>सावन के विभिन्न स्वरूपों की बात करती यह प्रस्तुति प्रदत्त विषय के साथ न्याय करती आगे बढ़ती जाती है. इस प्रयास हेतु हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें, आदरणीय विनय जी. व्याकरणीय त्रुटियों की तरफ़ सुधीजनों ने ध्यान दिलाया ही होगा. </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p> बहुत खूब ! बहुत खूब !!
आदरणी…tag:openbooks.ning.com,2017-07-15:5170231:Comment:8669412017-07-15T17:46:17.461ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>बहुत खूब ! बहुत खूब !! </p>
<p>आदरणीय कुशक्षत्रप जी, आपकी प्रस्तुति अत्यंत विशिष्ट है. आपके इस प्रयास पर मन मुग्ध है. हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ ..</p>
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<p>बहुत खूब ! बहुत खूब !! </p>
<p>आदरणीय कुशक्षत्रप जी, आपकी प्रस्तुति अत्यंत विशिष्ट है. आपके इस प्रयास पर मन मुग्ध है. हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ ..</p>
<p></p> आ. भाई अशोक जी, इस स्नेह के ल…tag:openbooks.ning.com,2017-07-15:5170231:Comment:8667642017-07-15T17:43:13.459Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
आ. भाई अशोक जी, इस स्नेह के लिए हार्दिक आभार ।
आ. भाई अशोक जी, इस स्नेह के लिए हार्दिक आभार । आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी साद…tag:openbooks.ning.com,2017-07-15:5170231:Comment:8669402017-07-15T17:37:24.342ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी सादर, प्रदत्त विषय पर बहुत सुंदर बाल रचना हुई है. फिरभी थोड़ा और समय दें तो कुछ और निखार इस रचना में आयेगा.</p>
<p>कागज़ की हम नाव बनाते<br></br> फिर पानी पे उसे चलाते।.........यहाँ यदि कौनसे पानी में चलाते आ जाए जैसे वर्षा जल,पोखर आँगन में भर आया पानी कहें तो कहन प्रभावशाली लगेगी.</p>
<p>स्कूल चलें हम लेकर छाता<br></br> कीचड़ हमको नहीं सुहाता.............यहाँ पहली पंक्ति में छाते का जिक्र आया है किन्तु बाद की तीनों पंक्तियाँ कीचड पर लिख दी हैं. यदि छाता ले जाने का कारण भी…</p>
<p>आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी सादर, प्रदत्त विषय पर बहुत सुंदर बाल रचना हुई है. फिरभी थोड़ा और समय दें तो कुछ और निखार इस रचना में आयेगा.</p>
<p>कागज़ की हम नाव बनाते<br/> फिर पानी पे उसे चलाते।.........यहाँ यदि कौनसे पानी में चलाते आ जाए जैसे वर्षा जल,पोखर आँगन में भर आया पानी कहें तो कहन प्रभावशाली लगेगी.</p>
<p>स्कूल चलें हम लेकर छाता<br/> कीचड़ हमको नहीं सुहाता.............यहाँ पहली पंक्ति में छाते का जिक्र आया है किन्तु बाद की तीनों पंक्तियाँ कीचड पर लिख दी हैं. यदि छाता ले जाने का कारण भी अगली पंक्ति में आया होता तो उत्तम होता. सादर.</p> आदरणीय ब्रजेन्द्र नाथ मिश्रा…tag:openbooks.ning.com,2017-07-15:5170231:Comment:8667632017-07-15T17:33:46.194ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय ब्रजेन्द्र नाथ मिश्रा जी, आपके प्रयास के लिए हार्दिक बधाइयाँ. अनवरत लिखते रहें. आपको प्रस्तुतीकरण हेतु आवश्यक अवयवों की जानकारी है. सहभागित हेतु धन्यवाद </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
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<p>आदरणीय ब्रजेन्द्र नाथ मिश्रा जी, आपके प्रयास के लिए हार्दिक बधाइयाँ. अनवरत लिखते रहें. आपको प्रस्तुतीकरण हेतु आवश्यक अवयवों की जानकारी है. सहभागित हेतु धन्यवाद </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
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