"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-73 (विषय: आदर्श) - Open Books Online2024-03-29T15:12:24Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/73-4?feed=yes&xn_auth=noइस गोष्ठी में भी हमें बढ़िया ल…tag:openbooks.ning.com,2021-04-30:5170231:Comment:10594932021-04-30T17:35:52.686ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>इस गोष्ठी में भी हमें बढ़िया लघुकथाएं और मार्गदर्शन हासिल हो सका है। हम इसी तरह सक्रीय रहें साहित्यिक गतिविधियों में। यही सच्ची विनम्र श्रद्धांजलि होगी उन महान साहित्यकारों के प्रति जो हमें दायित्व सौंप कर इस महामारी काल में हमें छोड़कर स्वर्गवासी हो गये। उन्हें हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।</p>
<p>इस गोष्ठी में भी हमें बढ़िया लघुकथाएं और मार्गदर्शन हासिल हो सका है। हम इसी तरह सक्रीय रहें साहित्यिक गतिविधियों में। यही सच्ची विनम्र श्रद्धांजलि होगी उन महान साहित्यकारों के प्रति जो हमें दायित्व सौंप कर इस महामारी काल में हमें छोड़कर स्वर्गवासी हो गये। उन्हें हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।</p> जी। पहले उसे सुधारने की कोशिश…tag:openbooks.ning.com,2021-04-30:5170231:Comment:10596622021-04-30T17:29:52.367ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>जी। पहले उसे सुधारने की कोशिश करना है।</p>
<p>जी। पहले उसे सुधारने की कोशिश करना है।</p> दूसरी कथा को सामान्य पोस्ट मे…tag:openbooks.ning.com,2021-04-30:5170231:Comment:10593932021-04-30T14:58:45.136Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>दूसरी कथा को सामान्य पोस्ट में डालिएगा। उसका भी आनंद मिले। सादर..</p>
<p>दूसरी कथा को सामान्य पोस्ट में डालिएगा। उसका भी आनंद मिले। सादर..</p> आदरणीय मननकुमार जी आपके इस शा…tag:openbooks.ning.com,2021-04-30:5170231:Comment:10595772021-04-30T14:53:34.341ZOmprakash Kshatriyahttp://openbooks.ning.com/profile/OmprakashKshatriya
<p>आदरणीय मननकुमार जी आपके इस शानदार सुझाव के लिए हार्दिक आभार </p>
<p>आदरणीय मननकुमार जी आपके इस शानदार सुझाव के लिए हार्दिक आभार </p> जी, सही सुझाव दिया है आपने भा…tag:openbooks.ning.com,2021-04-30:5170231:Comment:10595762021-04-30T14:12:57.222Zशुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप"http://openbooks.ning.com/profile/suchisandeepagarwaal
<p>जी, सही सुझाव दिया है आपने भाई शेख जी। </p>
<p>जी, सही सुझाव दिया है आपने भाई शेख जी। </p> उत्साहवर्धन हेतु अतिशय आभार भ…tag:openbooks.ning.com,2021-04-30:5170231:Comment:10596602021-04-30T14:10:55.579Zशुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप"http://openbooks.ning.com/profile/suchisandeepagarwaal
<p>उत्साहवर्धन हेतु अतिशय आभार भाई लक्ष्मण जी।</p>
<p>उत्साहवर्धन हेतु अतिशय आभार भाई लक्ष्मण जी।</p> प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार…tag:openbooks.ning.com,2021-04-30:5170231:Comment:10596592021-04-30T14:10:00.411Zशुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप"http://openbooks.ning.com/profile/suchisandeepagarwaal
<p>प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार बबिता जी।</p>
<p>प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार बबिता जी।</p> जी। बेहतरीन मार्गदर्शन हमें प…tag:openbooks.ning.com,2021-04-30:5170231:Comment:10596582021-04-30T13:33:07.195ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>जी। बेहतरीन मार्गदर्शन हमें प्रदान करने हेतु बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब। बोलचाल के संवाद की वज़ह से कम शब्दों में लिख गया था।</p>
<p>जी। बेहतरीन मार्गदर्शन हमें प्रदान करने हेतु बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब। बोलचाल के संवाद की वज़ह से कम शब्दों में लिख गया था।</p> आ. ओम जी,लघुकथा हेतु बधाई लीज…tag:openbooks.ning.com,2021-04-30:5170231:Comment:10595742021-04-30T12:37:08.282ZManan Kumar singhhttp://openbooks.ning.com/profile/MananKumarsingh
<p>आ. ओम जी,लघुकथा हेतु बधाई लीजिए।'काम अपनी गति से होता है और बस समझो,हो गया।' हो जाए, तो शायद ज्यादा उपयुक्त हो।महज एक अल्पविराम की बात है।हो सकता है, टंकण में रह गया हो।</p>
<p>दूसरी बात,...तुम आजकल काम करवा कर लौटोगे या आज काम करवा कर लौटोगे?' कुछ दुविधा की स्थिति प्रकट हुई,इसलिए जानना चाहा।</p>
<p>वैसे लघुकथा के माध्यम से व्यवस्था पर जोर की चोट धीरे से लगाई गई है।</p>
<p>आ. ओम जी,लघुकथा हेतु बधाई लीजिए।'काम अपनी गति से होता है और बस समझो,हो गया।' हो जाए, तो शायद ज्यादा उपयुक्त हो।महज एक अल्पविराम की बात है।हो सकता है, टंकण में रह गया हो।</p>
<p>दूसरी बात,...तुम आजकल काम करवा कर लौटोगे या आज काम करवा कर लौटोगे?' कुछ दुविधा की स्थिति प्रकट हुई,इसलिए जानना चाहा।</p>
<p>वैसे लघुकथा के माध्यम से व्यवस्था पर जोर की चोट धीरे से लगाई गई है।</p> आ. बबीता जी,अपनी लघुकथा का पु…tag:openbooks.ning.com,2021-04-30:5170231:Comment:10594912021-04-30T12:20:49.883ZManan Kumar singhhttp://openbooks.ning.com/profile/MananKumarsingh
<p>आ. बबीता जी,अपनी लघुकथा का पुनर्पाठ कीजिए,तब स्वत ज्ञात होगा कि इसमें कुछ अवांछित त्रुटियां घर कर गई हैं। प्रथमतः, विराम चिन्हों पर गौर करना लाजिमी है।द्वितीय, कुछ ऐसे शब्दांश हैं जो भ्रम पैदा करते हैं,जैसे:प्रश्नसूचक दृष्टि से अपनी ओर देखकर.....। फिर हकलाते हुए कहा....यह किसने कहा,पता नही चलता है।</p>
<p>सरंशतः,लघुकथा का लेखिका द्वारा पुनः पठान कर वांछित परिमार्जन करने की मेरी सलाह है।मानना या न मानना लेखिका का अधिकार है।</p>
<p>आ. बबीता जी,अपनी लघुकथा का पुनर्पाठ कीजिए,तब स्वत ज्ञात होगा कि इसमें कुछ अवांछित त्रुटियां घर कर गई हैं। प्रथमतः, विराम चिन्हों पर गौर करना लाजिमी है।द्वितीय, कुछ ऐसे शब्दांश हैं जो भ्रम पैदा करते हैं,जैसे:प्रश्नसूचक दृष्टि से अपनी ओर देखकर.....। फिर हकलाते हुए कहा....यह किसने कहा,पता नही चलता है।</p>
<p>सरंशतः,लघुकथा का लेखिका द्वारा पुनः पठान कर वांछित परिमार्जन करने की मेरी सलाह है।मानना या न मानना लेखिका का अधिकार है।</p>