ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा अंक 69 में सम्मिलित सभी ग़ज़लों का संकलन (चिन्हित मिसरों के साथ) - Open Books Online2024-03-28T09:55:05Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/69-1?feed=yes&xn_auth=noराणा भाई, एक ग़ुज़ारिश है. मेरी…tag:openbooks.ning.com,2016-06-12:5170231:Comment:7753962016-06-12T08:13:43.637ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>राणा भाई, एक ग़ुज़ारिश है. मेरी प्रस्तुति के मतले के सानी में <strong>औ’</strong> को हटा कर <strong>यों</strong> कर दें. इस तरह वो मिसरा हो जायेगा - </p>
<p><strong>यों मुहब्बत को दिया अर्थ दुबारा उसने</strong></p>
<p></p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p>
<p></p>
<p>राणा भाई, एक ग़ुज़ारिश है. मेरी प्रस्तुति के मतले के सानी में <strong>औ’</strong> को हटा कर <strong>यों</strong> कर दें. इस तरह वो मिसरा हो जायेगा - </p>
<p><strong>यों मुहब्बत को दिया अर्थ दुबारा उसने</strong></p>
<p></p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p>
<p></p> मोहतरम जनाब राणा साहिब ,ओ बी…tag:openbooks.ning.com,2016-06-02:5170231:Comment:7728502016-06-02T15:25:57.088ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooks.ning.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>मोहतरम जनाब राणा साहिब ,ओ बी ओ लाइव तर ही मुशा एरा अंक -६९ के संकलन के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं -----शेर नंबर ३ <br></br> हरे रंग का है ----महरबानी करके उसे इस तरह संशोधित कर दीजिये --- <br></br> <br></br>कम है क्या यह हमें दीवानों में शामिल करके । <br></br>बज़्म में खूब रखा मान हमारा उसने । <br></br> <br></br> <br></br> मोहतरम जनाब राणा साहिब ,ओ बी ओ लाइव तर ही मुशा एरा अंक -६९ के संकलन के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं…</p>
<p>मोहतरम जनाब राणा साहिब ,ओ बी ओ लाइव तर ही मुशा एरा अंक -६९ के संकलन के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं -----शेर नंबर ३ <br/> हरे रंग का है ----महरबानी करके उसे इस तरह संशोधित कर दीजिये --- <br/> <br/>कम है क्या यह हमें दीवानों में शामिल करके । <br/>बज़्म में खूब रखा मान हमारा उसने । <br/> <br/> <br/> मोहतरम जनाब राणा साहिब ,ओ बी ओ लाइव तर ही मुशा एरा अंक -६९ के संकलन के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं -----शेर नंबर ३ <br/> हरे रंग का है ----महरबानी करके उसे इस तरह संशोधित कर दीजिये --- <br/> <br/>कम है क्या यह हमें दीवानों में शामिल करके । <br/>बज़्म में खूब रखा मान हमारा उसने । <br/> <br/> <br/> </p> आदरनीय राणा भाई ,मैनें चिह्न…tag:openbooks.ning.com,2016-06-02:5170231:Comment:7726012016-06-02T11:20:20.251Zमोहन बेगोवालhttp://openbooks.ning.com/profile/DrMohanlal
<p> आदरनीय राणा भाई ,मैनें <span>चिह्नित मिसरों को दरुस्त करने का प्रयास किया है,</span></p>
<p><span><span> </span></span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">जब बहाने से मेरा नाम पुकारा उसने</span><span><br></br></span> <span lang="HI" xml:lang="HI">तब दिखाया कोई दिल खास नज़ारा उसने</span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">वो दिखाता था अभी दूर है मंजिल तेरी</span><span><br></br></span> <span lang="HI" xml:lang="HI">चल पड़ा जब नहीं पूछा था दुबारा उसने…</span></p>
<p></p>
<p> आदरनीय राणा भाई ,मैनें <span>चिह्नित मिसरों को दरुस्त करने का प्रयास किया है,</span></p>
<p><span><span> </span></span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">जब बहाने से मेरा नाम पुकारा उसने</span><span><br/></span> <span lang="HI" xml:lang="HI">तब दिखाया कोई दिल खास नज़ारा उसने</span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">वो दिखाता था अभी दूर है मंजिल तेरी</span><span><br/></span> <span lang="HI" xml:lang="HI">चल पड़ा जब नहीं पूछा था दुबारा उसने</span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">जब रहे साथ तेरे हम को बताया होता</span><span><br/></span> <span lang="HI" xml:lang="HI">जीतने के तेरे कुछ राह संवारा उसने</span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI"><span>कौन अपना है पराया कोई कहता है कब </span><span><br/></span> <span lang="HI" xml:lang="HI">दौर बदला है मगर साथ गुजारा उसने</span></span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">जो जमाने के लिए जीत गया लड़ता खुद</span><span class="apple-converted-space"><span> </span></span><span><br/></span> <span lang="HI" xml:lang="HI"><span>दर्द का घर में उतारा ये शिकारा उसने </span></span></p>
<p>कुर्पा इन बारे राए देना , मेहरबानी होगी </p> वाह सभी ग़ज़लें पढ़ी. बहुत सुन्द…tag:openbooks.ning.com,2016-06-01:5170231:Comment:7724682016-06-01T19:31:59.586Zआशीष नैथानी 'सलिल'http://openbooks.ning.com/profile/AshishNaithaniSalil
<p>वाह सभी ग़ज़लें पढ़ी. बहुत सुन्दर आयोजन !</p>
<p>वाह सभी ग़ज़लें पढ़ी. बहुत सुन्दर आयोजन !</p> आपनी अति व्यस्तता के बावज़ूद आ…tag:openbooks.ning.com,2016-06-01:5170231:Comment:7723842016-06-01T17:09:47.528ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आपनी अति व्यस्तता के बावज़ूद आपका संकग्न रहना आश्वस्त रखता है, राणा भाई. चिह्नित मिसरों वाले संकलन केलिए हार्दिक धन्यवाद. बन सके तो सद्यः समाप्त हुए तरही मुशायरे की ग़ज़लों का संकलन भी प्रस्तुत कर दें. </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p>
<p>आपनी अति व्यस्तता के बावज़ूद आपका संकग्न रहना आश्वस्त रखता है, राणा भाई. चिह्नित मिसरों वाले संकलन केलिए हार्दिक धन्यवाद. बन सके तो सद्यः समाप्त हुए तरही मुशायरे की ग़ज़लों का संकलन भी प्रस्तुत कर दें. </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p> बहुत दिनों से इस संकलन का इंत…tag:openbooks.ning.com,2016-06-01:5170231:Comment:7724622016-06-01T16:41:10.648Zkanta royhttp://openbooks.ning.com/profile/kantaroy
बहुत दिनों से इस संकलन का इंतज़ार था । बहुत बहुत बधाई आप सभी आदरजनों को ।
बहुत दिनों से इस संकलन का इंतज़ार था । बहुत बहुत बधाई आप सभी आदरजनों को ।