"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-68 - Open Books Online2024-03-29T05:27:12Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/68-2?commentId=5170231%3AComment%3A774900&feed=yes&xn_auth=no"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-6…tag:openbooks.ning.com,2016-06-11:5170231:Comment:7753902016-06-11T18:29:18.000Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooks.ning.com/profile/mw
<p><strong>"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-68 की सफलता हेतु सभी सदस्यों को हार्दिक बधाई एवं आयोजन के इस अंक को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद.</strong></p>
<p><strong>जय ओबीओ !</strong></p>
<p><strong>"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-68 की सफलता हेतु सभी सदस्यों को हार्दिक बधाई एवं आयोजन के इस अंक को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद.</strong></p>
<p><strong>जय ओबीओ !</strong></p> हार्दिक धन्यवाद आपका tag:openbooks.ning.com,2016-06-11:5170231:Comment:7755502016-06-11T18:23:13.704Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>हार्दिक धन्यवाद आपका </p>
<p>हार्दिक धन्यवाद आपका </p> ब्यंग्य के पुट से कविता और भी…tag:openbooks.ning.com,2016-06-11:5170231:Comment:7756332016-06-11T18:17:23.546ZBrajendra Nath Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/BrajendraNathMishra
<p>ब्यंग्य के पुट से कविता और भी प्रभावोत्पादक हो गई है...</p>
<p>ब्यंग्य के पुट से कविता और भी प्रभावोत्पादक हो गई है...</p> मेरी अब तक की जानकारी में दो…tag:openbooks.ning.com,2016-06-11:5170231:Comment:7756322016-06-11T18:11:29.978ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
मेरी अब तक की जानकारी में दो तीन तरह के नियम बताये जा रहे हैं। इसमें भी कुछ कहा, बहुत कुछ अनकहा काव्यमय भावाव्यक्ति होती है। 5-7-5 वर्ण व्यवस्था में। किन्हीं दो पंक्तियों में समान तुकांत हो सकते हैं, तीनों स्वतंत्र पंक्तियाँ होती हैं। दूसरी नियमावली (मूल जापानी) अनुसार {5-12(=५+७)}या {12(=५+७)-5} में दो बिम्बों से कोई भाव/संदेश सम्प्रेषित किया जाता है! कृपया बताइयेगा कि क्या त्रुटि हुई मुझसे?
मेरी अब तक की जानकारी में दो तीन तरह के नियम बताये जा रहे हैं। इसमें भी कुछ कहा, बहुत कुछ अनकहा काव्यमय भावाव्यक्ति होती है। 5-7-5 वर्ण व्यवस्था में। किन्हीं दो पंक्तियों में समान तुकांत हो सकते हैं, तीनों स्वतंत्र पंक्तियाँ होती हैं। दूसरी नियमावली (मूल जापानी) अनुसार {5-12(=५+७)}या {12(=५+७)-5} में दो बिम्बों से कोई भाव/संदेश सम्प्रेषित किया जाता है! कृपया बताइयेगा कि क्या त्रुटि हुई मुझसे? आभार आ. गोपाल भाईजी!
यह गजल क…tag:openbooks.ning.com,2016-06-11:5170231:Comment:7755482016-06-11T18:02:14.334ZManan Kumar singhhttp://openbooks.ning.com/profile/MananKumarsingh
आभार आ. गोपाल भाईजी!<br/>
यह गजल का इक चरण<br/>
आप कहते मनहरण।<br/>
भाव मन का भाँपती<br/>
कर रही है परिभ्रमण।
आभार आ. गोपाल भाईजी!<br/>
यह गजल का इक चरण<br/>
आप कहते मनहरण।<br/>
भाव मन का भाँपती<br/>
कर रही है परिभ्रमण। आदरणीय सुधेन्दु ओझा जी,दोनों…tag:openbooks.ning.com,2016-06-11:5170231:Comment:7755462016-06-11T17:56:35.937ZBrajendra Nath Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/BrajendraNathMishra
<p><br/>आदरणीय सुधेन्दु ओझा जी,<br/>दोनों ही रचनाएं सुन्दर बन पडी हैं. विषय अनुकूल और सार्थक.</p>
<p><br/>आदरणीय सुधेन्दु ओझा जी,<br/>दोनों ही रचनाएं सुन्दर बन पडी हैं. विषय अनुकूल और सार्थक.</p> आभार जनाब तसदीक जी।tag:openbooks.ning.com,2016-06-11:5170231:Comment:7755452016-06-11T17:53:25.911ZManan Kumar singhhttp://openbooks.ning.com/profile/MananKumarsingh
आभार जनाब तसदीक जी।
आभार जनाब तसदीक जी। पेड़-पौधों के रख-रखाव पर बल दि…tag:openbooks.ning.com,2016-06-11:5170231:Comment:7756312016-06-11T17:52:33.262ZManan Kumar singhhttp://openbooks.ning.com/profile/MananKumarsingh
पेड़-पौधों के रख-रखाव पर बल दिया गया है,आ. मिथिलेश जी।
पेड़-पौधों के रख-रखाव पर बल दिया गया है,आ. मिथिलेश जी। आभार आ. रमेश जी।tag:openbooks.ning.com,2016-06-11:5170231:Comment:7754392016-06-11T17:50:18.892ZManan Kumar singhhttp://openbooks.ning.com/profile/MananKumarsingh
आभार आ. रमेश जी।
आभार आ. रमेश जी। मेरी इस प्रविष्ठी पर समय देकर…tag:openbooks.ning.com,2016-06-11:5170231:Comment:7753892016-06-11T17:50:11.835ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
मेरी इस प्रविष्ठी पर समय देकर अनुमोदन करने व स्नेहिल हौसला अफ़ज़ाई हेतु हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी।
मेरी इस प्रविष्ठी पर समय देकर अनुमोदन करने व स्नेहिल हौसला अफ़ज़ाई हेतु हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी।