ओबीओ लाइव महोत्सव अंक 59 की समस्त रचनाओं का संकलन - Open Books Online2024-03-29T11:29:48Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/59-2?feed=yes&xn_auth=noनमस्कार आ० शेख उस्मानी जी
सं…tag:openbooks.ning.com,2015-10-08:5170231:Comment:7054742015-10-08T17:23:00.714ZDr.Prachi Singhhttp://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>नमस्कार आ० शेख उस्मानी जी </p>
<p>संकलन के पन्नों का रसास्वादन करने पर बधाई.... सहर्ष स्वागत है आपका.</p>
<p>क्षमा कीजियेगा आपकी टिप्पणी आज ही देख पायी... अगला महोत्सव आयोजन आज रात्रि १२:०० बजे से आरम्भ होगा व आयोजन में रचनाओं के लिए इस बार का विषय 'आस/उम्मीद' रखा गया है. </p>
<p>नमस्कार आ० शेख उस्मानी जी </p>
<p>संकलन के पन्नों का रसास्वादन करने पर बधाई.... सहर्ष स्वागत है आपका.</p>
<p>क्षमा कीजियेगा आपकी टिप्पणी आज ही देख पायी... अगला महोत्सव आयोजन आज रात्रि १२:०० बजे से आरम्भ होगा व आयोजन में रचनाओं के लिए इस बार का विषय 'आस/उम्मीद' रखा गया है. </p> ये सभी रचनाएँ पढ़कर बहुत खुशी…tag:openbooks.ning.com,2015-10-03:5170231:Comment:7047092015-10-03T02:34:04.022ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
ये सभी रचनाएँ पढ़कर बहुत खुशी हुई। सभी सम्मान्य प्रतिभागी रचनाकारों को व सम्मान्य डॉ.प्राची सिंह को तहे दिल बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ। अगला आयोजन कब होगा तथा विषय क्या रहेगा, जानना चाहता हूँ ताकि हम नये रचनाकार भी अपना अभ्यास इस माध्यम से कर सकें।
ये सभी रचनाएँ पढ़कर बहुत खुशी हुई। सभी सम्मान्य प्रतिभागी रचनाकारों को व सम्मान्य डॉ.प्राची सिंह को तहे दिल बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ। अगला आयोजन कब होगा तथा विषय क्या रहेगा, जानना चाहता हूँ ताकि हम नये रचनाकार भी अपना अभ्यास इस माध्यम से कर सकें। आपके बिना आदरणीय सौरभ जी , मं…tag:openbooks.ning.com,2015-09-16:5170231:Comment:6986472015-09-16T16:43:01.173Zkanta royhttp://openbooks.ning.com/profile/kantaroy
<p>आपके बिना आदरणीय सौरभ जी , मंच जरा सूना अवश्य लगा लेकिन आपकी उपलब्धियों ने ओबीओ की गरिमा में चार चाँद लगा दिये हैं ।बधाई आपको अंतरराष्ट्रीय मंच पर सफलतापूर्वक शिरकत करने हेतु । सादर नमन </p>
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<p>आपके बिना आदरणीय सौरभ जी , मंच जरा सूना अवश्य लगा लेकिन आपकी उपलब्धियों ने ओबीओ की गरिमा में चार चाँद लगा दिये हैं ।बधाई आपको अंतरराष्ट्रीय मंच पर सफलतापूर्वक शिरकत करने हेतु । सादर नमन </p>
<p></p> समय शीर्षक पर इकट्ठे विविध रच…tag:openbooks.ning.com,2015-09-16:5170231:Comment:6985222015-09-16T08:42:26.207ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>समय शीर्षक पर इकट्ठे विविध रचनाओं को देख कर मन हर्षित हो उठा. सर्वप्रथम आयोजन की संचालक आदरणीया प्राचीजी को एक सफल कार्यक्रम के लिए हार्दिक बधाई. सभी सहभागियों और पाठकों के प्रति मेरे मन में सादर भाव हैं. </p>
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<p>इस बार के आयोजन में मैं उपस्थित नहीं रह पाया, इसका खेद तो है लेकिन नेपाल में आयोजित ’<strong>अंतरराष्ट्रीय ग़ज़ल कन्वेन्शन २०१५</strong>’ में आमंत्रित होने के कारण दिनांक १० सितम्बर से १५ दिसम्बर तक काठमाण्डू, नेपाल के प्रवास पर था. आज ही पूर्वाह्न में वापसी हुई है. </p>
<p>यह…</p>
<p>समय शीर्षक पर इकट्ठे विविध रचनाओं को देख कर मन हर्षित हो उठा. सर्वप्रथम आयोजन की संचालक आदरणीया प्राचीजी को एक सफल कार्यक्रम के लिए हार्दिक बधाई. सभी सहभागियों और पाठकों के प्रति मेरे मन में सादर भाव हैं. </p>
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<p>इस बार के आयोजन में मैं उपस्थित नहीं रह पाया, इसका खेद तो है लेकिन नेपाल में आयोजित ’<strong>अंतरराष्ट्रीय ग़ज़ल कन्वेन्शन २०१५</strong>’ में आमंत्रित होने के कारण दिनांक १० सितम्बर से १५ दिसम्बर तक काठमाण्डू, नेपाल के प्रवास पर था. आज ही पूर्वाह्न में वापसी हुई है. </p>
<p>यह कन्वेन्शन ग़ज़ल के बहुमुखी विकास के लिए अपनाये जारहे कदमों की समीक्षा हेतु आहूत था, जिसमें दक्षिण एशिया से चार देशों --नेपाल, भारत, बांग्ला देश, भूटान-- के प्रतिभागियों की उपस्थिति बननी थी. बाग्लादेश का प्रतिनिधि मण्डल कई कारणों से काठमाण्डू पहुँच ही नहीं सका. </p>
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<p>बहरहाल, सफलतापूर्वक आयोजित काव्य महोत्सव के लिए पुनः हार्दिक बधाइयाँ. </p>
<p></p> संकलन देख मन आनंद विभोर हो उठ…tag:openbooks.ning.com,2015-09-16:5170231:Comment:6984622015-09-16T01:01:24.619Zkanta royhttp://openbooks.ning.com/profile/kantaroy
संकलन देख मन आनंद विभोर हो उठा है । पद्य के विभिन्न रंगों से सजी एक ही विषय पर रंग - बिरंगी छटायें । हर बार सीखना होता है मेरा कुछ ना कुछ इन आयोजनों में । इस बार भी बहुत मार्गदर्शन मिले और मै अभिभूत हुई हूँ । इस बार मै सबको जबाव नहीं दे पाई थी नेटवर्क प्रोब्लम की वजह से ।<br />
सर जी का मेरी कच्ची - पक्की रचना पर हौसला देकर लिखने को प्रोत्साहित करना बहुत अच्छा लगा था मुझे लेकिन आभार ना व्यक्त कर पाई इसका मलाल रहा ।<br />
गोष्ठी हमेशा की तरह शानदार रही है इसबार भी , लेकिन मंच सूना सा लगा कि हमारे मंच के…
संकलन देख मन आनंद विभोर हो उठा है । पद्य के विभिन्न रंगों से सजी एक ही विषय पर रंग - बिरंगी छटायें । हर बार सीखना होता है मेरा कुछ ना कुछ इन आयोजनों में । इस बार भी बहुत मार्गदर्शन मिले और मै अभिभूत हुई हूँ । इस बार मै सबको जबाव नहीं दे पाई थी नेटवर्क प्रोब्लम की वजह से ।<br />
सर जी का मेरी कच्ची - पक्की रचना पर हौसला देकर लिखने को प्रोत्साहित करना बहुत अच्छा लगा था मुझे लेकिन आभार ना व्यक्त कर पाई इसका मलाल रहा ।<br />
गोष्ठी हमेशा की तरह शानदार रही है इसबार भी , लेकिन मंच सूना सा लगा कि हमारे मंच के वरिष्ठजन आदरणीय सौरभ सर जी नहीं थे इस बार वहाँ ।<br />
गोष्ठी की सफलता के लिए आदरणीया डा. प्राची जी आपको ढेरों बधाई । यथा निवेदित तथा प्रतिस्थापित tag:openbooks.ning.com,2015-09-15:5170231:Comment:6982282015-09-15T07:40:10.694ZDr.Prachi Singhhttp://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>यथा निवेदित तथा प्रतिस्थापित </p>
<p>यथा निवेदित तथा प्रतिस्थापित </p> सादर आभार.tag:openbooks.ning.com,2015-09-14:5170231:Comment:6978132015-09-14T13:52:02.992ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>सादर आभार.</p>
<p>सादर आभार.</p> आदरणीया प्राची जी
महोत्सव के…tag:openbooks.ning.com,2015-09-14:5170231:Comment:6979142015-09-14T13:01:07.125Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooks.ning.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p>आदरणीया प्राची जी</p>
<p>महोत्सव के सफल आयोजन एवं संकलन के लिए हृदय से आभार। संशोधित रचना संकलन में प्रतिस्थापित करने की कृपा करें।</p>
<p></p>
<p>जो दुनिया से दूर जा चुके, लौट कभी ना आयेंगे। </p>
<p>सत्य यही है इस धरती का, आयें हैं सो जायेंगे।।</p>
<p> </p>
<p>थमता नहीं समय का पहिया, हर पल को भरपूर जियें।</p>
<p>जिया नहीं हमने जिस पल को, फिर न दुबारा आयेंगे।।</p>
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<p>धर्म विरुद्ध न अर्थ कमायें, संचय हम ज़्यादा न करें। …</p>
<p>आदरणीया प्राची जी</p>
<p>महोत्सव के सफल आयोजन एवं संकलन के लिए हृदय से आभार। संशोधित रचना संकलन में प्रतिस्थापित करने की कृपा करें।</p>
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<p>जो दुनिया से दूर जा चुके, लौट कभी ना आयेंगे। </p>
<p>सत्य यही है इस धरती का, आयें हैं सो जायेंगे।।</p>
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<p>थमता नहीं समय का पहिया, हर पल को भरपूर जियें।</p>
<p>जिया नहीं हमने जिस पल को, फिर न दुबारा आयेंगे।।</p>
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<p>धर्म विरुद्ध न अर्थ कमायें, संचय हम ज़्यादा न करें। </p>
<p>आयेगा जब वक्त बिदा का, हाथ पसारे जायेंगे।।</p>
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<p>समय पूर्व, योग्यता से ज़्यादा, धन वैभव पद नाम मिले। </p>
<p>ऐसी गंदी राजनीति हम, और कहीं ना पायेंगे।।</p>
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<p>बुरे समय में मित्र पड़ोसी, सगे सम्बंधी मुँह फेरें। </p>
<p>कृपा करें ना देव देवियाँ, नौ ग्रह आँख दिखायेंगे।।</p>
<p> </p>
<p>समय अशुभ तो श्वान गली का, घर में घुसकर काटेगा। </p>
<p>भाग्य प्रबल तो लल्लू भोंदू , ऊँची कुर्सी पायेंगे।।</p>
<p> </p>
<p>अंत समय जब आयेगा सब, यहीं धरा रह जायेगा। </p>
<p>तोड़ सभी रिश्ते नातों को, इक दिन हम भी जायेंगे।।</p>
<p> </p>
<p>जन्म मरण आना जाना हम, युगों युगों से घूम रहे। </p>
<p>जब तक भगवत् प्राप्ति न होगी, भगवन हमें घुमायेंगे।।</p>
<p></p> आपका हार्दिक आभार आदरणीया ...…tag:openbooks.ning.com,2015-09-14:5170231:Comment:6979102015-09-14T10:05:37.245ZSachin Devhttp://openbooks.ning.com/profile/SachinDev
<p>आपका हार्दिक आभार आदरणीया .........</p>
<p>आपका हार्दिक आभार आदरणीया .........</p> संशोधित रचना को मूल रचना के स…tag:openbooks.ning.com,2015-09-14:5170231:Comment:6980132015-09-14T09:16:33.028ZDr.Prachi Singhhttp://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>संशोधित रचना को मूल रचना के स्थान पर स्थापित कर दिया गया है आ० सचिन देव जी </p>
<p>संशोधित रचना को मूल रचना के स्थान पर स्थापित कर दिया गया है आ० सचिन देव जी </p>