"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-57 (विषय: औलाद) - Open Books Online2024-03-28T15:23:51Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/57-4?commentId=5170231%3AComment%3A998520&x=1&feed=yes&xn_auth=noआदाब। ये हुई न विषयांतर्गत औल…tag:openbooks.ning.com,2019-12-31:5170231:Comment:9985202019-12-31T16:53:45.977ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। ये हुई न विषयांतर्गत औलाद की परतें खोलती रचना! सकारात्मक-नकारात्मक ऐटीट्यूड और औलाद की ऐप्टिट्यूड के बीच पिता की ब्रॉड-माइन्डिडनेस और उस पर असली औलाद का हास्य व समर्थन। कम शब्दों में सबकुछ समेट लिया है लेखनी ने। बहुत-बहुत मुबारकबाद जनाब विनय कुमार साहिब।</p>
<p>आदरणीय तेजवीर सिंह जी ने बारीकी से एक चूक पकड़ी है। <em>//..रोहन (गोपाल√) को अपना नाम.....// सही कर दीजिएगा बाद में।</em></p>
<p>आदाब। ये हुई न विषयांतर्गत औलाद की परतें खोलती रचना! सकारात्मक-नकारात्मक ऐटीट्यूड और औलाद की ऐप्टिट्यूड के बीच पिता की ब्रॉड-माइन्डिडनेस और उस पर असली औलाद का हास्य व समर्थन। कम शब्दों में सबकुछ समेट लिया है लेखनी ने। बहुत-बहुत मुबारकबाद जनाब विनय कुमार साहिब।</p>
<p>आदरणीय तेजवीर सिंह जी ने बारीकी से एक चूक पकड़ी है। <em>//..रोहन (गोपाल√) को अपना नाम.....// सही कर दीजिएगा बाद में।</em></p> आदाब। मेरी इस रचना के कथ्य पर…tag:openbooks.ning.com,2019-12-31:5170231:Comment:9983642019-12-31T16:42:06.829ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। मेरी इस रचना के कथ्य पर सार्थक रौशनी डालती और मुझे प्रोत्साहित करती इस विस्तृत टिप्पणी के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरमा प्रतिभा जोशी पाण्डेय साहिबा। </p>
<p>आदाब। मेरी इस रचना के कथ्य पर सार्थक रौशनी डालती और मुझे प्रोत्साहित करती इस विस्तृत टिप्पणी के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरमा प्रतिभा जोशी पाण्डेय साहिबा। </p> आदाब। टीवी समाचार देखकर अचानक…tag:openbooks.ning.com,2019-12-31:5170231:Comment:9983632019-12-31T16:40:14.889ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। टीवी समाचार देखकर अचानक सूझी यह रचना आपको अच्छी लगी। मेरी सहभागिता सार्थक हुई। हार्दिक धन्यवाद जनाब ओमप्रकाश क्षत्रीय 'प्रकाश' साहिब।</p>
<p>आदाब। टीवी समाचार देखकर अचानक सूझी यह रचना आपको अच्छी लगी। मेरी सहभागिता सार्थक हुई। हार्दिक धन्यवाद जनाब ओमप्रकाश क्षत्रीय 'प्रकाश' साहिब।</p> आदाब रचना आपको पसंद आई। मिहनत…tag:openbooks.ning.com,2019-12-31:5170231:Comment:9983622019-12-31T16:38:30.489ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब रचना आपको पसंद आई। मिहनत सफ़ल हुई। हार्दिक धन्यवाद मुहतरमा बबीता गुप्ता साहिबा।</p>
<p>आदाब रचना आपको पसंद आई। मिहनत सफ़ल हुई। हार्दिक धन्यवाद मुहतरमा बबीता गुप्ता साहिबा।</p> आदाब। आपकी टिप्पणियाँ मुझे सत…tag:openbooks.ning.com,2019-12-31:5170231:Comment:9982792019-12-31T16:36:59.498ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। आपकी टिप्पणियाँ मुझे सतत लिखते रहने को प्रेरित करती हैं। पहली बार किसी ने मेरे समसामयिक विषयों पर यूं लिखने को यूं पसंद किया है। दरअसल अचानक ही कुछ सूझ जाता है, तो यूं तुरंत लिख कर अपनी अभिरुचि का अभ्यास कर लेता हूँ। सर्वकालिक रचनायें लिखना सीखना चाहता हूँ। प्रयासरत हूँ। मेरी इस रचना पर ऐसी विस्तृत टिप्पणी व मेरी हौसला अफ़ज़ाई हेतु हार्दिक धन्यवाद जनाब तेजवीर सिंह साहिब।</p>
<p>आदाब। आपकी टिप्पणियाँ मुझे सतत लिखते रहने को प्रेरित करती हैं। पहली बार किसी ने मेरे समसामयिक विषयों पर यूं लिखने को यूं पसंद किया है। दरअसल अचानक ही कुछ सूझ जाता है, तो यूं तुरंत लिख कर अपनी अभिरुचि का अभ्यास कर लेता हूँ। सर्वकालिक रचनायें लिखना सीखना चाहता हूँ। प्रयासरत हूँ। मेरी इस रचना पर ऐसी विस्तृत टिप्पणी व मेरी हौसला अफ़ज़ाई हेतु हार्दिक धन्यवाद जनाब तेजवीर सिंह साहिब।</p> आदाब। वर्ष के अंतिम व्यस्त दि…tag:openbooks.ning.com,2019-12-31:5170231:Comment:9983612019-12-31T16:27:43.513ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। वर्ष के अंतिम व्यस्त दिवस पर रचना पर समय देकर मुझे यूँ प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद जनाब विनय कुमार साहिब। नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं आप सभी को।</p>
<p>आदाब। वर्ष के अंतिम व्यस्त दिवस पर रचना पर समय देकर मुझे यूँ प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद जनाब विनय कुमार साहिब। नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं आप सभी को।</p> आदाब। रचना पर त्वरित प्रतिक्र…tag:openbooks.ning.com,2019-12-31:5170231:Comment:9983602019-12-31T16:25:46.072ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। रचना पर त्वरित प्रतिक्रिया के साथ इसके मर्म पर मार्गदर्शक टिप्पणी और मेरी हौसला अफ़ज़ाई हेतु हार्दिक आभार आदरणीय मंच संचालक महोदय श्री योगराज प्रभाकर साहिब।</p>
<p>आदाब। रचना पर त्वरित प्रतिक्रिया के साथ इसके मर्म पर मार्गदर्शक टिप्पणी और मेरी हौसला अफ़ज़ाई हेतु हार्दिक आभार आदरणीय मंच संचालक महोदय श्री योगराज प्रभाकर साहिब।</p> हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमा…tag:openbooks.ning.com,2019-12-31:5170231:Comment:9985192019-12-31T16:19:19.777ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमार सिंह जी।लघुकथा बहुत ही उच्च स्तर की बन पड़ी है। विषय के साथ भी संपूर्ण न्याय किया है।</p>
<p>मुझे एक जगह नाम में कुछ शंका लग रही है।</p>
<p>ऊपर से दंसवी पंक्ति में पिता का जो वाक्य है,"मैं सोच रहा था रोहन को अपना नाम दे दूं।"</p>
<p>शायद इस जगह रोहन की जगह गोपाल का नाम होना चाहिये। यह कुछ भूल वश हुआ लगता है।सादर।</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमार सिंह जी।लघुकथा बहुत ही उच्च स्तर की बन पड़ी है। विषय के साथ भी संपूर्ण न्याय किया है।</p>
<p>मुझे एक जगह नाम में कुछ शंका लग रही है।</p>
<p>ऊपर से दंसवी पंक्ति में पिता का जो वाक्य है,"मैं सोच रहा था रोहन को अपना नाम दे दूं।"</p>
<p>शायद इस जगह रोहन की जगह गोपाल का नाम होना चाहिये। यह कुछ भूल वश हुआ लगता है।सादर।</p> हार्दिक आभार आदरणीय ओमप्रकाश…tag:openbooks.ning.com,2019-12-31:5170231:Comment:9985182019-12-31T16:03:14.050Zpratibha pandehttp://openbooks.ning.com/profile/pratibhapande
<p>हार्दिक आभार आदरणीय ओमप्रकाश क्षत्रीय जी</p>
<p>हार्दिक आभार आदरणीय ओमप्रकाश क्षत्रीय जी</p> शुक्रिया सरtag:openbooks.ning.com,2019-12-31:5170231:Comment:9984272019-12-31T15:42:19.554Zविनय कुमारhttp://openbooks.ning.com/profile/vinayakumarsingh
<p>शुक्रिया सर</p>
<p>शुक्रिया सर</p>