ज़िन्दगी से जुड़ी व ज़िन्दगी से जोड़ती राजेश कुमारी की लघुकथाएं - Open Books Online2024-03-28T16:19:28Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/5170231:Topic:886646?groupUrl=Pustak_samiksha&commentId=5170231%3AComment%3A887060&groupId=5170231%3AGroup%3A17766&feed=yes&xn_auth=no/ अगर मैं किसी सल्तनत का मालि…tag:openbooks.ning.com,2017-10-10:5170231:Comment:8881362017-10-10T15:42:34.624ZRavi Prabhakarhttp://openbooks.ning.com/profile/RaviPrabhakar
<p>/ अगर मैं किसी सल्तनत का मालिक होता तो आपको यक़ीनन जागीरें अता कर देता/ आदरणीय समर कबीर सर आप हमारे दिल पर हकूमत करते हो और अापके यह प्यारे अल्फ़ाज मेरे लिए हज़ारों जागीरों से ज्यादा मूल्यवान हैं। आपके स्नेह और आशीर्वाद के लिए शुक्रगुज़ार हूं । सादर ।</p>
<p>/ अगर मैं किसी सल्तनत का मालिक होता तो आपको यक़ीनन जागीरें अता कर देता/ आदरणीय समर कबीर सर आप हमारे दिल पर हकूमत करते हो और अापके यह प्यारे अल्फ़ाज मेरे लिए हज़ारों जागीरों से ज्यादा मूल्यवान हैं। आपके स्नेह और आशीर्वाद के लिए शुक्रगुज़ार हूं । सादर ।</p> हार्दिक आभार आदरणीय अलका जी ।tag:openbooks.ning.com,2017-10-10:5170231:Comment:8880782017-10-10T15:40:28.004ZRavi Prabhakarhttp://openbooks.ning.com/profile/RaviPrabhakar
<p>हार्दिक आभार आदरणीय अलका जी ।</p>
<p>हार्दिक आभार आदरणीय अलका जी ।</p> समीक्षा तो जो है सो है पर आपन…tag:openbooks.ning.com,2017-10-10:5170231:Comment:8883182017-10-10T15:39:19.941ZRavi Prabhakarhttp://openbooks.ning.com/profile/RaviPrabhakar
<p>समीक्षा तो जो है सो है पर आपने जिस शिद्दत और सूक्ष्मता से उसे पढ़ा है और जिस खूबसूरत शब्दों से मुझे निवाजा है उसके लिए हार्दिक शुक्रगुजार हूं आदरणीय वीर भाई । सादर</p>
<p>समीक्षा तो जो है सो है पर आपने जिस शिद्दत और सूक्ष्मता से उसे पढ़ा है और जिस खूबसूरत शब्दों से मुझे निवाजा है उसके लिए हार्दिक शुक्रगुजार हूं आदरणीय वीर भाई । सादर</p> 'मेरा मुझ में कछु नाहीं, जो क…tag:openbooks.ning.com,2017-10-10:5170231:Comment:8883162017-10-10T15:37:21.908ZRavi Prabhakarhttp://openbooks.ning.com/profile/RaviPrabhakar
<p>'मेरा मुझ में कछु नाहीं, जो कछु है सो तेरा' हार्दिक आभार भरदान संपादक महोदय ।</p>
<p>'मेरा मुझ में कछु नाहीं, जो कछु है सो तेरा' हार्दिक आभार भरदान संपादक महोदय ।</p> हार्दिक आभार जानकी मॉं :-) ।…tag:openbooks.ning.com,2017-10-10:5170231:Comment:8883142017-10-10T15:36:26.956ZRavi Prabhakarhttp://openbooks.ning.com/profile/RaviPrabhakar
<p>हार्दिक आभार जानकी मॉं :-) । इस प्रयास को इतना मान देने हेतु। सादर</p>
<p>हार्दिक आभार जानकी मॉं :-) । इस प्रयास को इतना मान देने हेतु। सादर</p> इस समीक्षा पर आपकी 'समीक्षा'…tag:openbooks.ning.com,2017-10-10:5170231:Comment:8881342017-10-10T15:35:30.090ZRavi Prabhakarhttp://openbooks.ning.com/profile/RaviPrabhakar
<p>इस समीक्षा पर आपकी 'समीक्षा' ने मन मोह लिया। आप सरीखे लघुकथा के मर्मज्ञ को प्रयास सार्थक लगा इस हेतु आभारी हूं ।</p>
<p>इस समीक्षा पर आपकी 'समीक्षा' ने मन मोह लिया। आप सरीखे लघुकथा के मर्मज्ञ को प्रयास सार्थक लगा इस हेतु आभारी हूं ।</p> हार्दिक आभार आदरणीय राजेश कुम…tag:openbooks.ning.com,2017-10-10:5170231:Comment:8881332017-10-10T15:34:30.859ZRavi Prabhakarhttp://openbooks.ning.com/profile/RaviPrabhakar
<p>हार्दिक आभार आदरणीय राजेश कुमारी जी । आपकी लघुकथाओं पर कुछ कहने का ईमानदारी से किया गया प्रयास आपको बढ़ीया लगा जिस हेतु शुक्रगुजार हूं। कुछ कहने का प्रयास कर पाया इसके लिए इस मंच का ही योगदान है, जो कुछ सीखा है इसी मंच से सीखा है। ओबीओ जिन्दाबाद ।</p>
<p>हार्दिक आभार आदरणीय राजेश कुमारी जी । आपकी लघुकथाओं पर कुछ कहने का ईमानदारी से किया गया प्रयास आपको बढ़ीया लगा जिस हेतु शुक्रगुजार हूं। कुछ कहने का प्रयास कर पाया इसके लिए इस मंच का ही योगदान है, जो कुछ सीखा है इसी मंच से सीखा है। ओबीओ जिन्दाबाद ।</p> आपका हार्दिक अाभार आदरणीय सीम…tag:openbooks.ning.com,2017-10-10:5170231:Comment:8880762017-10-10T15:31:01.449ZRavi Prabhakarhttp://openbooks.ning.com/profile/RaviPrabhakar
<p>आपका हार्दिक अाभार आदरणीय सीमा सिंह जी ।</p>
<p>आपका हार्दिक अाभार आदरणीय सीमा सिंह जी ।</p> समीक्षा पढ़ कर अपने विचार रखन…tag:openbooks.ning.com,2017-10-10:5170231:Comment:8880752017-10-10T15:30:16.325ZRavi Prabhakarhttp://openbooks.ning.com/profile/RaviPrabhakar
<p>समीक्षा पढ़ कर अपने विचार रखने हेतु आपका हार्दिक आभार आदरणीय कल्पना जी ।</p>
<p>समीक्षा पढ़ कर अपने विचार रखने हेतु आपका हार्दिक आभार आदरणीय कल्पना जी ।</p> हार्दिक आभार उस्मानी भाई ।tag:openbooks.ning.com,2017-10-10:5170231:Comment:8883112017-10-10T15:27:35.716ZRavi Prabhakarhttp://openbooks.ning.com/profile/RaviPrabhakar
<p>हार्दिक आभार उस्मानी भाई ।</p>
<p>हार्दिक आभार उस्मानी भाई ।</p>