क्या यह मेरा भ्रम है ? - Open Books Online2024-03-28T10:34:29Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/5170231:Topic:669267?groupUrl=complainsujession&commentId=5170231%3AComment%3A669644&groupId=5170231%3AGroup%3A970&feed=yes&xn_auth=noयह पोस्ट फोरम में स्थानान्तरि…tag:openbooks.ning.com,2015-07-01:5170231:Comment:6716762015-07-01T20:57:42.391Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooks.ning.com/profile/mw
<p><span>यह पोस्ट फोरम में स्थानान्तरित हो गयी है. जिन सदस्यों ने यहाँ टिप्पणी कर दी है कृपया अपनी टिप्पणी <span>उक्त पोस्ट पर पेस्ट कर दें.</span></span></p>
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<div class="author"><span class="xg_avatar"><span class="dy-avatar dy-avatar-32"><a class="fn url" href="http://openbooksonline.com/profile/arunkumarnigam" title="arun kumar nigam"><img alt="" class="photo photo" height="32" src="http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2966941046?profile=RESIZE_180x180" width="32"></img> …</a></span></span></div>
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<div class="author"><span class="xg_avatar"><span class="dy-avatar dy-avatar-32"><a class="fn url" href="http://openbooksonline.com/profile/arunkumarnigam" title="arun kumar nigam"><img width="32" height="32" class="photo photo" src="http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2966941046?profile=RESIZE_180x180" alt=""/> </a></span></span><a href="http://openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:670952" style="font-size: 1.17em;">क्या यह मेरा भ्रम है ?</a><span style="font-size: 1.17em;"> </span><small class="nobr"><br/></small></div>
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<p><a href="http://openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:670952" target="_blank">http://openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:670952</a></p> भाई महर्षिजी, आप से पुनः अनुर…tag:openbooks.ning.com,2015-07-01:5170231:Comment:6717142015-07-01T19:04:39.365ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>भाई महर्षिजी, आप से पुनः अनुरोध है कि चर्चा ’फोरम’ में हो रही है, आप अपनी इस टिप्पणी को भी वहीं पेस्ट कर दें. <br/></p>
<p>भाई महर्षिजी, आप से पुनः अनुरोध है कि चर्चा ’फोरम’ में हो रही है, आप अपनी इस टिप्पणी को भी वहीं पेस्ट कर दें. <br/></p> आदरणीया आशुतोषभाईजी, आप से पु…tag:openbooks.ning.com,2015-07-01:5170231:Comment:6716742015-07-01T19:04:12.528ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीया आशुतोषभाईजी, आप से पुनः अनुरोध है कि चर्चा ’फोरम’ में हो रही है, आप अपनी इस टिप्पणी को भी वहीं पेस्ट कर दें. <br/> सादर</p>
<p>आदरणीया आशुतोषभाईजी, आप से पुनः अनुरोध है कि चर्चा ’फोरम’ में हो रही है, आप अपनी इस टिप्पणी को भी वहीं पेस्ट कर दें. <br/> सादर</p> आदरणीय विजय शंकरजी, आप से पुन…tag:openbooks.ning.com,2015-07-01:5170231:Comment:6716052015-07-01T19:03:28.625ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय विजय शंकरजी, आप से पुनः अनुरोध है कि चर्चा ’फोरम’ में हो रही है, आप अपनी इस टिप्पणी को भी वहीं पेस्ट कर दें. <br/> सादर</p>
<p>आदरणीय विजय शंकरजी, आप से पुनः अनुरोध है कि चर्चा ’फोरम’ में हो रही है, आप अपनी इस टिप्पणी को भी वहीं पेस्ट कर दें. <br/> सादर</p> आदरणीया कान्ताजी, आप से पुनः…tag:openbooks.ning.com,2015-07-01:5170231:Comment:6716722015-07-01T19:02:58.008ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीया कान्ताजी, आप से पुनः अनुरोध है कि चर्चा ’फोरम’ में हो रही है, आप अपनी इस टिप्पणी को भी वहीं पेस्ट कर दें. <br/> सादर</p>
<p>आदरणीया कान्ताजी, आप से पुनः अनुरोध है कि चर्चा ’फोरम’ में हो रही है, आप अपनी इस टिप्पणी को भी वहीं पेस्ट कर दें. <br/> सादर</p> आदरणीय राहुल डान्गीजी, आप से…tag:openbooks.ning.com,2015-07-01:5170231:Comment:6714002015-07-01T19:02:09.146ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय राहुल डान्गीजी, आप से पुनः अनुरोध है कि चर्चा ’फोरम’ में हो रही है, आप अपनी इस टिप्पणी को भी वहीं पेस्ट कर दें. <br/> सादर</p>
<p>आदरणीय राहुल डान्गीजी, आप से पुनः अनुरोध है कि चर्चा ’फोरम’ में हो रही है, आप अपनी इस टिप्पणी को भी वहीं पेस्ट कर दें. <br/> सादर</p> आदरणीय गोपाल नारायनजी, आप से…tag:openbooks.ning.com,2015-07-01:5170231:Comment:6713982015-07-01T19:01:31.541ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय गोपाल नारायनजी, आप से पुनः अनुरोध है कि चर्चा ’फोरम’ में हो रही है, आप अपनी इस टिप्पणी को भी वहीं पेस्ट कर दें. <br/> सादर</p>
<p>आदरणीय गोपाल नारायनजी, आप से पुनः अनुरोध है कि चर्चा ’फोरम’ में हो रही है, आप अपनी इस टिप्पणी को भी वहीं पेस्ट कर दें. <br/> सादर</p> यह पोस्ट फोरम में स्थानान्तरि…tag:openbooks.ning.com,2015-07-01:5170231:Comment:6716692015-07-01T18:50:04.313ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>यह पोस्ट फोरम में स्थानान्तरित हो गयी है. जिन सदस्यों ने यहाँ टिप्पणी कर दी है कृपया अपनी टिप्पणी उक्त पोस्ट पर पेस्ट कर दें.</p>
<p>सधन्यवाद</p>
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<p>यह पोस्ट फोरम में स्थानान्तरित हो गयी है. जिन सदस्यों ने यहाँ टिप्पणी कर दी है कृपया अपनी टिप्पणी उक्त पोस्ट पर पेस्ट कर दें.</p>
<p>सधन्यवाद</p>
<p></p> आ. arun kumar nigam जी ,,आपक…tag:openbooks.ning.com,2015-07-01:5170231:Comment:6715982015-07-01T17:57:04.278Zmaharshi tripathihttp://openbooks.ning.com/profile/maharshitripathi815
<p>आ. <a class="nolink"> </a><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/arunkumarnigam">arun kumar nigam</a> जी ,,आपकी बात शत प्रतिशत सही है ,,,लगभग हर रचना पर सभी गुनीजनों की टिपण्णी की बात मैं आ.गिरिराज सर जी से पहले भी कर चुका हूँ ,उन्होंने उस वक़्त भी इस पर चिंता जतायी थी ,,परन्तु आपने इस मुद्दे को सब के बीच लाकर सही प्रयास किया है ,,शायद अब इस समस्या का निवारण संभव हो ,,,मेरी खुद यही इच्छा है की लगभग हर पाठक सभी रचनाओ को समय दें खास्कर् आ.बागी सर,योगराज सर और अन्य गुणीजन ,,,आप सभी की…</p>
<p>आ. <a class="nolink"> </a><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/arunkumarnigam">arun kumar nigam</a> जी ,,आपकी बात शत प्रतिशत सही है ,,,लगभग हर रचना पर सभी गुनीजनों की टिपण्णी की बात मैं आ.गिरिराज सर जी से पहले भी कर चुका हूँ ,उन्होंने उस वक़्त भी इस पर चिंता जतायी थी ,,परन्तु आपने इस मुद्दे को सब के बीच लाकर सही प्रयास किया है ,,शायद अब इस समस्या का निवारण संभव हो ,,,मेरी खुद यही इच्छा है की लगभग हर पाठक सभी रचनाओ को समय दें खास्कर् आ.बागी सर,योगराज सर और अन्य गुणीजन ,,,आप सभी की प्रतिक्रिया पाकर कुछ सीखने की प्रवित्ति और जागृत होती है ,अगर आप सभी की प्रतिक्रिया पोस्ट पर नही आती तो रचना में फीकापन सा लगता है ,,मुझे मालूम है ,,ये सभी के लिए आसान नही पर जहाँ तक हो सके ,इस पर विचार अवश्य करिएँ ,,,,और रही बात नयी विधा सीखने की तो शायद कोई किसी को जबरदस्ती प्रेरित नही कर सकता ये लेखकों के रूचि पर निर्भर है ,,,शायद मेरी विचार से सभी सहमत न हों पर ,,मुझे यही लग रहा है |</p> आदरणीय निगम सर ..आपने बहुत ही…tag:openbooks.ning.com,2015-07-01:5170231:Comment:6716432015-07-01T13:05:05.888ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय निगम सर ..आपने बहुत ही सार्थक प्रश्न किया है ..यह बात मुझ पर भी लागू हो रही है ..मैंने ग़ज़ल लिखना की कोशिस इस मंच से आदरणीय सौरभ सर , आदरणीय वीनस जी आदरणीय बागी जी आदरणीय योगराज जी जैसे बिद्वत जनो के स्नेहिल मार्गदर्शन के साथ शुरू की ..आज भी प्रयास रत हूँ ..यह प्रश्न मैंने व्यक्तिगत रूप से किया था लेकिन मैं भी सिर्फ ग़ज़ल तक सीमित रहा ..बाकी बिधाओं में लिखना मुझे सहज नई लगा लेकिन आदरणीय मिथिलेश जी की इस बात से सहमत हूँ की लिख न सको तो पाठक बन जाओ ताकि साहित्य जिसके उन्नयन का सपना ध्यान…</p>
<p>आदरणीय निगम सर ..आपने बहुत ही सार्थक प्रश्न किया है ..यह बात मुझ पर भी लागू हो रही है ..मैंने ग़ज़ल लिखना की कोशिस इस मंच से आदरणीय सौरभ सर , आदरणीय वीनस जी आदरणीय बागी जी आदरणीय योगराज जी जैसे बिद्वत जनो के स्नेहिल मार्गदर्शन के साथ शुरू की ..आज भी प्रयास रत हूँ ..यह प्रश्न मैंने व्यक्तिगत रूप से किया था लेकिन मैं भी सिर्फ ग़ज़ल तक सीमित रहा ..बाकी बिधाओं में लिखना मुझे सहज नई लगा लेकिन आदरणीय मिथिलेश जी की इस बात से सहमत हूँ की लिख न सको तो पाठक बन जाओ ताकि साहित्य जिसके उन्नयन का सपना ध्यान में रखकर आदरणीय बागी जी ने इस मंच की स्थापना की है, साकार हो सके ..मैं बाकी बिधाओं पे बतौर पाठक अपनी उपस्थित दर्ज करने का भरसक प्रयास करूंगा ..यह हम सबकी साझा जिम्मेवारी है लिखने वालों को हौसला मिलना जरूरी है ..इसके लिए प्रतिक्रियाओं का होना भी जरूरी है ..मैं सिर्फ ग़ज़ल तक सीमित हूँ ,,बाकी मंचीय रचनाएँ करता हूँ उन्हें साझा करने की हिम्मत नहीं कर पाता पर ..सौरभ सर , योगराज सर बागी सर वीनस जी नूरजी गिरिराज भाईसाब , कबीर जी की प्रतिक्रिया जब तक रचना पर न हो तब तक रचनायें पढने में मजा नाही आता ..इन बिद्वत जनो की प्रतिक्रिया और स्नेहिल स्वभाव , और सबको सिखाने का जज्वा इस मंच की जान है ..इनसे जो सीखने को मिलता है वो किताबो से नहीं सीखा जा सकता है ..इस चितन के लिए हार्दिक धन्यवाद ..भविष्य में अपनी गलतियाँ सुधरने के वादे के साथ ....सादर </p>