ग़ज़ल-संक्षिप्त आधार जानकारी-3 - Open Books Online2024-03-28T10:42:01Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/5170231:Topic:63608?groupUrl=kaksha&groupId=5170231%3AGroup%3A55965&id=5170231%3ATopic%3A63608&feed=yes&xn_auth=noVenus bhai,
'दुआओं' और 'राहों…tag:openbooks.ning.com,2012-02-21:5170231:Comment:1918272012-02-21T18:44:21.010ZRajeev Bharolhttp://openbooks.ning.com/profile/RajeevBharol
<p>Venus bhai,</p>
<p>'दुआओं' और 'राहों' में छोटी इता का दोष <span style="text-decoration: underline;"><strong>नहीं</strong></span> है</p>
<p></p>
<p></p>
<p>Venus bhai,</p>
<p>'दुआओं' और 'राहों' में छोटी इता का दोष <span style="text-decoration: underline;"><strong>नहीं</strong></span> है</p>
<p></p>
<p></p> मेरा तो दिमाग चकराने लगगया। ए…tag:openbooks.ning.com,2012-02-21:5170231:Comment:1915502012-02-21T17:15:19.167Zविनोद अनुजhttp://openbooks.ning.com/profile/0117543a260mr
<p>मेरा तो दिमाग चकराने लगगया। एक तो में हिन्दी परिवार से नही हूँ। नेपाली भाषा के नजरिए से देखरहा हूँ उपर से यह बातचित मुझे चक्कर दे रहा है। मैने नेपाली गजल में जो पढा है वह वीनस केशरी जि के बात पर सहमती जताता है। तिलक जि ने जो कहा वह उन्ही के परिभाषा के अनुसार भि एकको दुसरा खण्डन कर रहा लगता है। तीलक जि के अनुसार काफिया में हर्फे रवि होना जरूरी है। जहाँ तक मैने समझा है (उन्ही के परिभाषा अनुसार) काफिया में एक ही स्वर वर्ण वाले अक्षर भिन्न भिन्न व्यन्जन के साथ आना जरूरी है। जैसे कि (तीलक जि कि…</p>
<p>मेरा तो दिमाग चकराने लगगया। एक तो में हिन्दी परिवार से नही हूँ। नेपाली भाषा के नजरिए से देखरहा हूँ उपर से यह बातचित मुझे चक्कर दे रहा है। मैने नेपाली गजल में जो पढा है वह वीनस केशरी जि के बात पर सहमती जताता है। तिलक जि ने जो कहा वह उन्ही के परिभाषा के अनुसार भि एकको दुसरा खण्डन कर रहा लगता है। तीलक जि के अनुसार काफिया में हर्फे रवि होना जरूरी है। जहाँ तक मैने समझा है (उन्ही के परिभाषा अनुसार) काफिया में एक ही स्वर वर्ण वाले अक्षर भिन्न भिन्न व्यन्जन के साथ आना जरूरी है। जैसे कि (तीलक जि कि उदाहरण से) 'नेक' और 'केक' में 'ने' और 'के' ऐसे अक्षर हैं जिनमें 'ए' स्वर वर्ण 'न' और 'क' व्यञ्जन के साथ आया है। और ऐसे ही परिवर्तित व्यञ्जन 'ए' स्वर के साथ सभि सेर में आना जरूरी है। और इन अक्षरों के बाद जो भि और जितने भि समान अक्षर आते हैं (जैसे इस उदाहरण में 'क') जव तहलिली रदिफ बनता है। फीर घुमाओ और जमाओ में समान स्वर वाले भिन्न व्यञ्जन कहाँ है? क्षमा करें। छोटा मुह बडी बात न हो।</p> कुमार विश्वास का एक संदर्भ आ…tag:openbooks.ning.com,2012-02-21:5170231:Comment:1914942012-02-21T02:58:42.807ZTilak Raj Kapoorhttp://openbooks.ning.com/profile/TilakRajKapoor
<p>कुमार विश्वास का एक संदर्भ आपने दिया था, वह देखा, वह तो ग़ज़ल है ही नहीं:</p>
<div style="margin-top: 0.5em; margin-bottom: 0.9em;">कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है ! <br></br>मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है !! <br></br>मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है ! <br></br>ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है !!</div>
<div style="margin-top: 0.5em; margin-bottom: 0.9em;">अरूज़ी अगर इसमें दोष बताते हैं तो ग़लत क्या है। काफि़या बॉंधा गया है 'अल' और दूसरे शेर में 'इल' हो रहा है। बॉंधे…</div>
<p>कुमार विश्वास का एक संदर्भ आपने दिया था, वह देखा, वह तो ग़ज़ल है ही नहीं:</p>
<div style="margin-top: 0.5em; margin-bottom: 0.9em;">कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है ! <br/>मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है !! <br/>मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है ! <br/>ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है !!</div>
<div style="margin-top: 0.5em; margin-bottom: 0.9em;">अरूज़ी अगर इसमें दोष बताते हैं तो ग़लत क्या है। काफि़या बॉंधा गया है 'अल' और दूसरे शेर में 'इल' हो रहा है। बॉंधे गये काफि़ये से भिन्न्ता तो स्पष्ट है यहॉं।</div>
<div style="margin-top: 0.5em; margin-bottom: 0.9em;"> </div> बिलकुल सहमत हूँ आदरणीय, बात स…tag:openbooks.ning.com,2012-02-20:5170231:Comment:1909902012-02-20T09:17:51.096ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
<p>बिलकुल सहमत हूँ आदरणीय, बात से ही बात निकलती है, जब समस्या ही नहीं होगी तो समाधान कहा से निकलेगा , प्रश्न आने ही चाहिए |</p>
<p>बिलकुल सहमत हूँ आदरणीय, बात से ही बात निकलती है, जब समस्या ही नहीं होगी तो समाधान कहा से निकलेगा , प्रश्न आने ही चाहिए |</p> घुमाता के साथ लगाता चलेगा , आ…tag:openbooks.ning.com,2012-02-20:5170231:Comment:1910762012-02-20T09:08:30.033ZTilak Raj Kapoorhttp://openbooks.ning.com/profile/TilakRajKapoor
<p>घुमाता के साथ लगाता चलेगा , आता हो गया; जमाता के साथ लगाता चलेगा, आता हो गया।</p>
<p>चुराता, सुनाता मत्ले में बॉंधकर अन्य काफि़या घुमाता लेंगे तो स्वर-साम्यता दिखेगी लेकिन लगाता में नहीं। यहॉं न चाहते हुए भी उआता नाद उत्पन्न हो रहा है और लगाता को बाहर कर रहा है। इसपर क्या कहेंगे।</p>
<p> </p>
<p>घुमाता के साथ लगाता चलेगा , आता हो गया; जमाता के साथ लगाता चलेगा, आता हो गया।</p>
<p>चुराता, सुनाता मत्ले में बॉंधकर अन्य काफि़या घुमाता लेंगे तो स्वर-साम्यता दिखेगी लेकिन लगाता में नहीं। यहॉं न चाहते हुए भी उआता नाद उत्पन्न हो रहा है और लगाता को बाहर कर रहा है। इसपर क्या कहेंगे।</p>
<p> </p> समस्या यह है कि हिन्दी मे क…tag:openbooks.ning.com,2012-02-20:5170231:Comment:1910722012-02-20T08:58:42.969ZTilak Raj Kapoorhttp://openbooks.ning.com/profile/TilakRajKapoor
<p>समस्या यह है कि हिन्दी मे कोई प्रामाणिक कार्य इस दिशा मे किया गया हो ऐसा देखने को नहीं मिला।</p>
<p>समस्या यह है कि हिन्दी मे कोई प्रामाणिक कार्य इस दिशा मे किया गया हो ऐसा देखने को नहीं मिला।</p> सिनाद दोष को परिभाषित ऐसे ही…tag:openbooks.ning.com,2012-02-20:5170231:Comment:1909052012-02-20T08:56:45.385ZTilak Raj Kapoorhttp://openbooks.ning.com/profile/TilakRajKapoor
<p>सिनाद दोष को परिभाषित ऐसे ही किया गया है, इसमें कोई विवाद नहीं है।</p>
<p>दिल के साथ मंजि़ल, हासिल वगैरह आयेंगे।</p>
<p>मत्ले में काफि़या बॉंधने पर ही निर्भर करेगा सब।</p>
<p> </p>
<p>सिनाद दोष को परिभाषित ऐसे ही किया गया है, इसमें कोई विवाद नहीं है।</p>
<p>दिल के साथ मंजि़ल, हासिल वगैरह आयेंगे।</p>
<p>मत्ले में काफि़या बॉंधने पर ही निर्भर करेगा सब।</p>
<p> </p> :))))))))))))))))))))))))tag:openbooks.ning.com,2012-02-20:5170231:Comment:1909832012-02-20T08:51:25.289Zवीनस केसरीhttp://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>:))))))))))))))))))))))))</p>
<p>:))))))))))))))))))))))))</p> कमेन्ट करके कौनसा गुनाह कर द…tag:openbooks.ning.com,2012-02-20:5170231:Comment:1909812012-02-20T08:43:57.685ZTilak Raj Kapoorhttp://openbooks.ning.com/profile/TilakRajKapoor
<p>कमेन्ट करके कौनसा गुनाह कर दिया। कमेन्ट नहीं होंगे तो चर्चा कैसे होगी और चर्चा नहीं होगी तो बात साफ़ कैसे होगी। प्रस्तुति तो केवल एक आधार है चर्चा प्रारंभ करने की। अपेक्षा तो यही है कि जानकार लोग भी खुलकर अपनी बात सकारण व्याख्या के साथ रखें जिससे स्पष्टता आ सके।</p>
<p>कमेन्ट करके कौनसा गुनाह कर दिया। कमेन्ट नहीं होंगे तो चर्चा कैसे होगी और चर्चा नहीं होगी तो बात साफ़ कैसे होगी। प्रस्तुति तो केवल एक आधार है चर्चा प्रारंभ करने की। अपेक्षा तो यही है कि जानकार लोग भी खुलकर अपनी बात सकारण व्याख्या के साथ रखें जिससे स्पष्टता आ सके।</p> कुँअर बेचैन जी की किताब "ग़ज़ल…tag:openbooks.ning.com,2012-02-20:5170231:Comment:1909642012-02-20T07:39:59.377Zवीनस केसरीhttp://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>कुँअर बेचैन जी की किताब "ग़ज़ल का व्याकरण" में कुँअर बेचैन जी ने "सिनाद दोष" की विस्तृत व्याख्या की है <br/>तथा इसे बड़ा दोष कहा है जिससे बचना बहुत जरूरी है <br/><br/>बाकी उन्होंने ग़ज़ल में क्या कहा है नहीं पता</p>
<p>कुँअर बेचैन जी की किताब "ग़ज़ल का व्याकरण" में कुँअर बेचैन जी ने "सिनाद दोष" की विस्तृत व्याख्या की है <br/>तथा इसे बड़ा दोष कहा है जिससे बचना बहुत जरूरी है <br/><br/>बाकी उन्होंने ग़ज़ल में क्या कहा है नहीं पता</p>