भाषा - Open Books Online2024-03-28T20:28:15Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/5170231:Topic:517151?groupUrl=hindi_ki_kaksha&commentId=5170231%3AComment%3A695034&x=1&feed=yes&xn_auth=noहमारी हिंदी विशव् की दूसरी…tag:openbooks.ning.com,2015-09-04:5170231:Comment:6950342015-09-04T07:38:15.184Zkanta royhttp://openbooks.ning.com/profile/kantaroy
<p>हमारी हिंदी विशव् की दूसरी सबसे बड़ी भाषा है । भारत व दूसरे देशों में करीब 60 करोड़ से अधिक लोग हिन्दी बोलते,पढ़ते और लिखते हैं।इतना ही नहीं दुनिया में दूसरे देशों की अधिकतर जनता हिन्दी बोलती है। भारत से सटे नेपाल में भी हिन्दी नेपाली और थारु भाषा बोली जाती है हिन्दी भाषा प्रेम,मिलन और सौहार्द की भाषा है।अपने इस मातृभाषा के तकनीकों को पढ़कर बहत आनंद आया। आभार आपको इस सुन्दर विवेचंना को यहाँ संलग्न करने के लिए आदरणीय बृजेश नीरज जी </p>
<p>हमारी हिंदी विशव् की दूसरी सबसे बड़ी भाषा है । भारत व दूसरे देशों में करीब 60 करोड़ से अधिक लोग हिन्दी बोलते,पढ़ते और लिखते हैं।इतना ही नहीं दुनिया में दूसरे देशों की अधिकतर जनता हिन्दी बोलती है। भारत से सटे नेपाल में भी हिन्दी नेपाली और थारु भाषा बोली जाती है हिन्दी भाषा प्रेम,मिलन और सौहार्द की भाषा है।अपने इस मातृभाषा के तकनीकों को पढ़कर बहत आनंद आया। आभार आपको इस सुन्दर विवेचंना को यहाँ संलग्न करने के लिए आदरणीय बृजेश नीरज जी </p> भाषा पर लेख पढकर अच्छी अनुभूत…tag:openbooks.ning.com,2015-07-05:5170231:Comment:6729312015-07-05T08:52:52.909Zkanta royhttp://openbooks.ning.com/profile/kantaroy
भाषा पर लेख पढकर अच्छी अनुभूति हुई । बोली और लिपि के प्रसंग बहुत ही लाभकारी है । हिन्दी कक्षा के लिए बडी ही उपयुक्त सामग्री है यह भाषा का विचार । आभार आपको इस उपयोगी लेख के लिये आदरणीय बृजेश नीरज जी ।
भाषा पर लेख पढकर अच्छी अनुभूति हुई । बोली और लिपि के प्रसंग बहुत ही लाभकारी है । हिन्दी कक्षा के लिए बडी ही उपयुक्त सामग्री है यह भाषा का विचार । आभार आपको इस उपयोगी लेख के लिये आदरणीय बृजेश नीरज जी । आदरणीय बृजेश सर:
बहुउपयोगी जा…tag:openbooks.ning.com,2014-03-07:5170231:Comment:5187102014-03-07T12:35:19.570ZVindu Babuhttp://openbooks.ning.com/profile/vandanatiwari
आदरणीय बृजेश सर:<br />
बहुउपयोगी जानकारी आपने साझा की है.<br />
इसी श्रंखला में अग्रिम लेखों की सादर प्रतीक्षा रहेगी...<br />
आपका हार्दिक धन्यवाद<br />
सादर
आदरणीय बृजेश सर:<br />
बहुउपयोगी जानकारी आपने साझा की है.<br />
इसी श्रंखला में अग्रिम लेखों की सादर प्रतीक्षा रहेगी...<br />
आपका हार्दिक धन्यवाद<br />
सादर आदरणीय निकोर साहब! आप हिंदी प…tag:openbooks.ning.com,2014-03-03:5170231:Comment:5176442014-03-03T14:39:10.262Zबृजेश नीरजhttp://openbooks.ning.com/profile/BrijeshKumarSingh
<p>आदरणीय निकोर साहब! आप हिंदी प्रचार-प्रसार का जो महती कार्य कर रहे हैं वह स्तुत्य है. </p>
<p>मेरा प्रयास यही है कि हिंदी व्याकरण की मूलभूत जानकारियों का खुद भी अध्ययन करूँ और यहाँ भी प्रस्तुत कर सकूँ!</p>
<p>सादर!</p>
<p>आदरणीय निकोर साहब! आप हिंदी प्रचार-प्रसार का जो महती कार्य कर रहे हैं वह स्तुत्य है. </p>
<p>मेरा प्रयास यही है कि हिंदी व्याकरण की मूलभूत जानकारियों का खुद भी अध्ययन करूँ और यहाँ भी प्रस्तुत कर सकूँ!</p>
<p>सादर!</p> आदरणीय बृजेश जी:
यह जान कर प…tag:openbooks.ning.com,2014-03-03:5170231:Comment:5174512014-03-03T04:29:00.174Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p></p>
<p>आदरणीय बृजेश जी:</p>
<p><br></br>यह जान कर प्रसन्न्ता हुई कि आप हिन्दी भाषा/व्याकरण पर श्रंखला प्रस्तुत करने वाले हैं।</p>
<p> </p>
<p>जैसा कि मैंने आपको गत वर्ष बताया था, मैं और मेरी जीवन साथी नीरा जी यहाँ यू.एस.ए. में बच्चों को भारतीय संस्कृति और हिन्दी पढ़ाते हैं, अत: आपकी यह श्रंखला लाभदायक होगी।</p>
<p> </p>
<p>यह बच्चे अन्ग्रेज़ी व्याकरण अच्छी तरह जानते हैं .. परन्तु हिन्दी में पुलिंग/स्त्रीलिंग समझने में और क्रिया के प्रयोग में इन्हें कठिनाई होती है, विशेषकर उन बच्चों को जिनके घर…</p>
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<p>आदरणीय बृजेश जी:</p>
<p><br/>यह जान कर प्रसन्न्ता हुई कि आप हिन्दी भाषा/व्याकरण पर श्रंखला प्रस्तुत करने वाले हैं।</p>
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<p>जैसा कि मैंने आपको गत वर्ष बताया था, मैं और मेरी जीवन साथी नीरा जी यहाँ यू.एस.ए. में बच्चों को भारतीय संस्कृति और हिन्दी पढ़ाते हैं, अत: आपकी यह श्रंखला लाभदायक होगी।</p>
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<p>यह बच्चे अन्ग्रेज़ी व्याकरण अच्छी तरह जानते हैं .. परन्तु हिन्दी में पुलिंग/स्त्रीलिंग समझने में और क्रिया के प्रयोग में इन्हें कठिनाई होती है, विशेषकर उन बच्चों को जिनके घर में हिन्दी नहीं बोली जाती। कई बच्चों के परिवार दक्षिण भारत से हैं, और उनके माता-पिता भी हिन्दी कम जानते हैं, अत: उन्हें घर से भी हिन्दी जानने की सहायता नहीं मिल पाती। इसलिए इस श्रंखला में यदि आप fundamentals पर ज़ोर दे सकें तो अच्छा रहेगा।</p>
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<p>सादर,</p>
<p>विजय निकोर </p> जी आदरणीय! हिंदी व्याकरण के अ…tag:openbooks.ning.com,2014-03-03:5170231:Comment:5174462014-03-03T02:05:29.344Zबृजेश नीरजhttp://openbooks.ning.com/profile/BrijeshKumarSingh
<p>जी आदरणीय! हिंदी व्याकरण के अध्ययन के क्रम में ही यह पहला लेख प्रस्तुत किया है.</p>
<p>जी आदरणीय! हिंदी व्याकरण के अध्ययन के क्रम में ही यह पहला लेख प्रस्तुत किया है.</p> एक सरल किंतु अत्यंत आवश्यक प्…tag:openbooks.ning.com,2014-03-02:5170231:Comment:5171952014-03-02T18:27:47.662ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>एक सरल किंतु अत्यंत आवश्यक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद, भाई बृजेशजी.</p>
<p>विश्वास है, आप इस लेख को क्रमवत प्रारूप देंगे. आपका यह लेख व्याकरण के अंतर्निहित विन्दुओं पर चर्चा से पूर्व का भाषायी समझ पर क्रमवार एक सुन्दर प्रस्तुति होगा.</p>
<p>शुभेच्छाएँ.</p>
<p></p>
<p>एक सरल किंतु अत्यंत आवश्यक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद, भाई बृजेशजी.</p>
<p>विश्वास है, आप इस लेख को क्रमवत प्रारूप देंगे. आपका यह लेख व्याकरण के अंतर्निहित विन्दुओं पर चर्चा से पूर्व का भाषायी समझ पर क्रमवार एक सुन्दर प्रस्तुति होगा.</p>
<p>शुभेच्छाएँ.</p>
<p></p> आदरणीय प्रदीप जी, आपका हार्दि…tag:openbooks.ning.com,2014-03-02:5170231:Comment:5175182014-03-02T17:50:52.965Zबृजेश नीरजhttp://openbooks.ning.com/profile/BrijeshKumarSingh
<p>आदरणीय प्रदीप जी, आपका हार्दिक आभार!</p>
<p>आदरणीय प्रदीप जी, आपका हार्दिक आभार!</p> आदरणीय ब्रजेश जी
सादर
महत्व…tag:openbooks.ning.com,2014-03-02:5170231:Comment:5173642014-03-02T16:12:55.090ZPRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHAhttp://openbooks.ning.com/profile/PRADEEPKUMARSINGHKUSHWAHA
<p>आदरणीय ब्रजेश जी </p>
<p>सादर </p>
<p>महत्वपूर्ण जानकारी देता सरल स्वरूप में लेख की प्रस्तुति हेतु आभार .</p>
<p>आदरणीय ब्रजेश जी </p>
<p>सादर </p>
<p>महत्वपूर्ण जानकारी देता सरल स्वरूप में लेख की प्रस्तुति हेतु आभार .</p>