''परों को खोलते हुए'' की काव्यात्मक समीक्षा....................आदित्य चतुर्वेदी........समीक्षक - Open Books Online2024-03-29T09:52:08Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/5170231:Topic:467755?groupUrl=Pustak_samiksha&commentId=5170231%3AComment%3A467668&groupId=5170231%3AGroup%3A17766&feed=yes&xn_auth=noइस शानदार काव्यात्मक समीक्षा…tag:openbooks.ning.com,2013-11-24:5170231:Comment:4767802013-11-24T09:27:22.930Zधर्मेन्द्र कुमार सिंहhttp://openbooks.ning.com/profile/249pje3yd1r3m
<p>इस शानदार काव्यात्मक समीक्षा के लिए आदित्य जी का तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ। किसी पुस्तक की इससे पहले कभी काव्यात्मक समीक्षा पढ़ने में नहीं आई। इस लिहाज से संभवतः आप प्रथम व्यक्ति हैं यह कार्य करने वाले। इसके लिए धन्यवाद एवं बधाई स्वीकारें।</p>
<p>इस शानदार काव्यात्मक समीक्षा के लिए आदित्य जी का तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ। किसी पुस्तक की इससे पहले कभी काव्यात्मक समीक्षा पढ़ने में नहीं आई। इस लिहाज से संभवतः आप प्रथम व्यक्ति हैं यह कार्य करने वाले। इसके लिए धन्यवाद एवं बधाई स्वीकारें।</p> सभी सम्मान्य लेखक लेखिकाओं को…tag:openbooks.ning.com,2013-11-19:5170231:Comment:4740682013-11-19T10:14:38.292ZCHANDRA SHEKHAR PANDEYhttp://openbooks.ning.com/profile/CHANDRASHEKHARPANDEY
सभी सम्मान्य लेखक लेखिकाओं को बधाई।<br />
<br />
पंख खोलें गरुण से साहित्य मुक्ताकाश में।<br />
हो सृजित साहित्य सुन्दर सघन तम के नाश में।
सभी सम्मान्य लेखक लेखिकाओं को बधाई।<br />
<br />
पंख खोलें गरुण से साहित्य मुक्ताकाश में।<br />
हो सृजित साहित्य सुन्दर सघन तम के नाश में। आदरणीय आदित्य चतुर्वेदी महोदय…tag:openbooks.ning.com,2013-11-19:5170231:Comment:4741462013-11-19T10:02:56.177ZVindu Babuhttp://openbooks.ning.com/profile/vandanatiwari
<p>आदरणीय आदित्य चतुर्वेदी महोदय सादर नमस्ते।</p>
<p>मैं इस सुन्दर काव्यात्मक समीक्षा तक विलम्ब से पहुंच स्की,क्षमा चाहती हूं।</p>
<p>आशीर्वचन संयोजित आपकी आत्मीय समीक्षा के लिए आपका हृदयतल से बारम्बार आभार।</p>
<p>आपकी पहचान तो 'हास्य कवि' क रूप में है लेकिन यहां आपने अपनी इस विशेषता का बिलकुल नही प्रयोग किया?</p>
<p>सादर</p>
<p>आदरणीय आदित्य चतुर्वेदी महोदय सादर नमस्ते।</p>
<p>मैं इस सुन्दर काव्यात्मक समीक्षा तक विलम्ब से पहुंच स्की,क्षमा चाहती हूं।</p>
<p>आशीर्वचन संयोजित आपकी आत्मीय समीक्षा के लिए आपका हृदयतल से बारम्बार आभार।</p>
<p>आपकी पहचान तो 'हास्य कवि' क रूप में है लेकिन यहां आपने अपनी इस विशेषता का बिलकुल नही प्रयोग किया?</p>
<p>सादर</p> आहा! इतनी सुंदर काव्यात्मक सम…tag:openbooks.ning.com,2013-11-18:5170231:Comment:4734612013-11-18T12:40:33.261Zवेदिकाhttp://openbooks.ning.com/profile/vedikagitika
<p>आहा! इतनी सुंदर काव्यात्मक समीक्षा!</p>
<p>आपने मुझे गौरव प्रदान किया आ0 आदित्य जी! मै आभार व्यक्त करती हूँ, कि आपने एक एक लेखक को व्यक्तिगत तौर पर बाँचा जो कि काफी कठिन कठिन कार्य था| </p>
<p>हम सभी साथियों की ओर से आपको अशेष शुभकामनायें आ0 आदित्य जी!</p>
<p>सादर गीतिका 'वेदिका'</p>
<p>आहा! इतनी सुंदर काव्यात्मक समीक्षा!</p>
<p>आपने मुझे गौरव प्रदान किया आ0 आदित्य जी! मै आभार व्यक्त करती हूँ, कि आपने एक एक लेखक को व्यक्तिगत तौर पर बाँचा जो कि काफी कठिन कठिन कार्य था| </p>
<p>हम सभी साथियों की ओर से आपको अशेष शुभकामनायें आ0 आदित्य जी!</p>
<p>सादर गीतिका 'वेदिका'</p> परों को खोलते पंछी,सुबह क्या…tag:openbooks.ning.com,2013-11-10:5170231:Comment:4691402013-11-10T09:11:44.970Zअरुण कुमार निगमhttp://openbooks.ning.com/profile/arunkumarnigam
<p><strong>परों को खोलते पंछी,सुबह क्या नित्य कहते हैं</strong></p>
<p><strong>जगाते हैं जमाने को , सुनो !आदित्य कहते हैं </strong></p>
<p><strong>विविध बोली विविध भाषा,मगर सुर एक है सबका </strong></p>
<p><strong>दिशा जीवन की दिखलाते,मधुर साहित्य कहते हैं...........</strong></p>
<p></p>
<p>आदरणीय आदित्य जी, सुन्दर समीक्षा हेतु आभार..................</p>
<p></p>
<p></p>
<p><strong>परों को खोलते पंछी,सुबह क्या नित्य कहते हैं</strong></p>
<p><strong>जगाते हैं जमाने को , सुनो !आदित्य कहते हैं </strong></p>
<p><strong>विविध बोली विविध भाषा,मगर सुर एक है सबका </strong></p>
<p><strong>दिशा जीवन की दिखलाते,मधुर साहित्य कहते हैं...........</strong></p>
<p></p>
<p>आदरणीय आदित्य जी, सुन्दर समीक्षा हेतु आभार..................</p>
<p></p>
<p></p> आ0 बृजेश भाईजी, मैं हूं अवशे…tag:openbooks.ning.com,2013-11-10:5170231:Comment:4690572013-11-10T07:48:59.646Zaditya chaturvedihttp://openbooks.ning.com/profile/adityachaturvedi
<p>आ0 बृजेश भाईजी, मैं हूं अवशेष, आभार इतना, बचा नही शेष!...। सादर.</p>
<p></p>
<p>आ0 बृजेश भाईजी, मैं हूं अवशेष, आभार इतना, बचा नही शेष!...। सादर.</p>
<p></p> आदरणीय शरदिन्दु भाईजी, आपका…tag:openbooks.ning.com,2013-11-10:5170231:Comment:4691282013-11-10T07:44:16.741Zaditya chaturvedihttp://openbooks.ning.com/profile/adityachaturvedi
<p><span>आदरणीय शरदिन्दु भाईजी, आपका उत्साहवर्ध मेरे लिये सम्बल का काम करेगा । आपके स्नेहिल बधाई के लिए हार्दिक धन्यवाद।</span></p>
<p><span>आदरणीय शरदिन्दु भाईजी, आपका उत्साहवर्ध मेरे लिये सम्बल का काम करेगा । आपके स्नेहिल बधाई के लिए हार्दिक धन्यवाद।</span></p> आदरणीय सौरभ भाईजी, आपके उत्स…tag:openbooks.ning.com,2013-11-10:5170231:Comment:4690532013-11-10T07:43:50.070Zaditya chaturvedihttp://openbooks.ning.com/profile/adityachaturvedi
<p>आदरणीय सौरभ भाईजी, आपके उत्साहवर्ध से मैं गौरवांविंत हुआ।। आपके स्नेहिल बधाई के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p>
<p>आदरणीय सौरभ भाईजी, आपके उत्साहवर्ध से मैं गौरवांविंत हुआ।। आपके स्नेहिल बधाई के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p> वाह वाह आदरणीय आदित्य चतुर्वे…tag:openbooks.ning.com,2013-11-07:5170231:Comment:4676922013-11-07T08:38:54.188Zsharadindu mukerjihttp://openbooks.ning.com/profile/sharadindumukerji
<p>वाह वाह आदरणीय आदित्य चतुर्वेदी जी. आपके एक नये रूप से परिचित होने का सौभाग्य हुआ. बहुत अच्छा लगा. सादर.</p>
<p>वाह वाह आदरणीय आदित्य चतुर्वेदी जी. आपके एक नये रूप से परिचित होने का सौभाग्य हुआ. बहुत अच्छा लगा. सादर.</p> खूब है आदित्य जी, पद में हुई…tag:openbooks.ning.com,2013-11-07:5170231:Comment:4676682013-11-07T07:24:12.906ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p><strong>खूब है आदित्य जी, पद में हुई प्रस्तुत समीक्षा</strong></p>
<p><strong>मुक्तकों का रूप दे कर मोहते हैं, ले परीक्षा</strong></p>
<p><strong>काव्य-जग के पक्षियों को देख लें सब मुग्ध हो कर</strong></p>
<p><strong>कार्य-सिद्धि हो गयी औ’ मिल गयी दिल खोल दीक्षा</strong></p>
<p></p>
<p>आदरणीय आदित्य चतुर्वेदीजी, आपको <strong>परों को खोलते हुए भाग-एक</strong> पर भाव-शब्द हेतु प्रयास करने और रचनाकारों की उनकी रचनाओं के शीर्षक के सापेक्ष परिचयात्मकता को साझा करने के लिए हृदय से बधाई.…</p>
<p><strong>खूब है आदित्य जी, पद में हुई प्रस्तुत समीक्षा</strong></p>
<p><strong>मुक्तकों का रूप दे कर मोहते हैं, ले परीक्षा</strong></p>
<p><strong>काव्य-जग के पक्षियों को देख लें सब मुग्ध हो कर</strong></p>
<p><strong>कार्य-सिद्धि हो गयी औ’ मिल गयी दिल खोल दीक्षा</strong></p>
<p></p>
<p>आदरणीय आदित्य चतुर्वेदीजी, आपको <strong>परों को खोलते हुए भाग-एक</strong> पर भाव-शब्द हेतु प्रयास करने और रचनाकारों की उनकी रचनाओं के शीर्षक के सापेक्ष परिचयात्मकता को साझा करने के लिए हृदय से बधाई. शुभ-शुभ</p>
<p></p>