अति दुखद समाचार - Open Books Online2024-03-28T16:25:12Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/5170231:Topic:463502?commentId=5170231%3AComment%3A470643&x=1&feed=yes&xn_auth=noहिंदी साहित्य के इस पुरोधा को…tag:openbooks.ning.com,2013-11-13:5170231:Comment:4706432013-11-13T16:01:55.931ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>हिंदी साहित्य के इस पुरोधा को सुनने का मौका एक बार अपने अध्ययन काल में सागर विश्विद्यालय में मिला था ..उनके द्वारा सम्पादित हंस पत्रिका की गुणवत्ता साहित्यप्रेमियो के आकर्षण का बृहत् केंद्र रही ,,उनका निधन साहित्य की अपूरणीय क्षति है ..इश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दे और परिवार को इस दुःख को सहन करने की असीम शक्ति प्रदान करे..इस महान साहित्यकार को विनम्र श्रधांजलि ,,,,,</p>
<p>हिंदी साहित्य के इस पुरोधा को सुनने का मौका एक बार अपने अध्ययन काल में सागर विश्विद्यालय में मिला था ..उनके द्वारा सम्पादित हंस पत्रिका की गुणवत्ता साहित्यप्रेमियो के आकर्षण का बृहत् केंद्र रही ,,उनका निधन साहित्य की अपूरणीय क्षति है ..इश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दे और परिवार को इस दुःख को सहन करने की असीम शक्ति प्रदान करे..इस महान साहित्यकार को विनम्र श्रधांजलि ,,,,,</p> कालेज के दिनों से ही हंस और र…tag:openbooks.ning.com,2013-11-12:5170231:Comment:4696742013-11-12T01:53:18.950ZAbhinav Arunhttp://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
<p>कालेज के दिनों से ही हंस और राजेंद्र जी के फिक्शन का बड़ा फैन रहा हूँ उनके सम्पादकीय बेलौस हुआ करते थे अपने अंदाज़ के इस कलम कार सा कोई और विरला ही होगा ....कमी बहुत खलेगी ...विनम्र श्रंद्धांजलि </p>
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<p>कालेज के दिनों से ही हंस और राजेंद्र जी के फिक्शन का बड़ा फैन रहा हूँ उनके सम्पादकीय बेलौस हुआ करते थे अपने अंदाज़ के इस कलम कार सा कोई और विरला ही होगा ....कमी बहुत खलेगी ...विनम्र श्रंद्धांजलि </p>
<p>!</p> विनम्र श्रद्धांजलिtag:openbooks.ning.com,2013-11-11:5170231:Comment:4695542013-11-11T10:22:33.883ZMeena Pathakhttp://openbooks.ning.com/profile/MeenaPathak
<p>विनम्र श्रद्धांजलि</p>
<p>विनम्र श्रद्धांजलि</p> ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्र…tag:openbooks.ning.com,2013-11-11:5170231:Comment:4693942013-11-11T10:00:34.050Zबसंत नेमाhttp://openbooks.ning.com/profile/BasantNema
<p><span>ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे! तथा परिवार को इस दुख की घडी मे सहन शक्ति दे .........</span></p>
<p><span>ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे! तथा परिवार को इस दुख की घडी मे सहन शक्ति दे .........</span></p> प्रेत बोलते हैं और उसके संशो…tag:openbooks.ning.com,2013-11-11:5170231:Comment:4693742013-11-11T04:08:24.352Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>प्रेत बोलते हैं और उसके संशोघित स्वरुप सारा आकाश से साहित्य के आकाश पर छा जाने वाले श्री यादव जी अपनी प्रगतिशील सोच के कारण सर्व स्वीकार्य हुए I हंस के सम्पादकीय भी काफी चर्चित हुए I निसंदेह वे एक अनिवर्चनीय साहित्यिक विभूति थे I उनके लिए नेत्र सदैव सजल रहेंगे I </p>
<p>साथ ही मैं पद्मश्री के पी सक्सेना जी का अभाव भी उतनी ही शिद्दत से महसूस करता हूँ I उनकी टाइप से भी सुन्दर हस्तलिपि को जिसने देखा है वह हमेशा उनका कायल रहेगा I </p>
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<p> ईश्वर इनकी आत्मा को…</p>
<p>प्रेत बोलते हैं और उसके संशोघित स्वरुप सारा आकाश से साहित्य के आकाश पर छा जाने वाले श्री यादव जी अपनी प्रगतिशील सोच के कारण सर्व स्वीकार्य हुए I हंस के सम्पादकीय भी काफी चर्चित हुए I निसंदेह वे एक अनिवर्चनीय साहित्यिक विभूति थे I उनके लिए नेत्र सदैव सजल रहेंगे I </p>
<p>साथ ही मैं पद्मश्री के पी सक्सेना जी का अभाव भी उतनी ही शिद्दत से महसूस करता हूँ I उनकी टाइप से भी सुन्दर हस्तलिपि को जिसने देखा है वह हमेशा उनका कायल रहेगा I </p>
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<p> ईश्वर इनकी आत्मा को शांति प्रदान करे I</p> सामयिक प्रकाशन, दिल्ली के सौज…tag:openbooks.ning.com,2013-11-02:5170231:Comment:4664332013-11-02T06:02:38.328ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>सामयिक प्रकाशन, दिल्ली के सौजन्य से दस विभिन्न पुस्तकों का विमोचन समारोह था तब. आदरणीय पंकज सुबीर, जिनकी पुस्तक ’महुआ घटवारिन और अन्य कथाएँ’ भी उनमें से एक थी. उन्हीं के बुलावे पर मैं दिल्ली के विश्व-प्रसिद्ध IIC प्रेक्षागृह पहुँचा था उस शाम. पहली बार हंस के संपादक राजेंद्र यादव और हिन्दी साहित्य के समालोचक नामवर सिंह के दर्शन हुए थे, उन दोनों को सापेक्ष और एक दूसरे के साथ सुनने का पहला ही मौका मिला था.</p>
<p>भाई भरत तिवारी जो फेसबुक के ज़माने से ही मेरे अत्यंत आत्मीय रहे हैं, और बहुत सम्मान…</p>
<p>सामयिक प्रकाशन, दिल्ली के सौजन्य से दस विभिन्न पुस्तकों का विमोचन समारोह था तब. आदरणीय पंकज सुबीर, जिनकी पुस्तक ’महुआ घटवारिन और अन्य कथाएँ’ भी उनमें से एक थी. उन्हीं के बुलावे पर मैं दिल्ली के विश्व-प्रसिद्ध IIC प्रेक्षागृह पहुँचा था उस शाम. पहली बार हंस के संपादक राजेंद्र यादव और हिन्दी साहित्य के समालोचक नामवर सिंह के दर्शन हुए थे, उन दोनों को सापेक्ष और एक दूसरे के साथ सुनने का पहला ही मौका मिला था.</p>
<p>भाई भरत तिवारी जो फेसबुक के ज़माने से ही मेरे अत्यंत आत्मीय रहे हैं, और बहुत सम्मान देते हैं, मौज़ूद थे. मेरा भरत भाई से भी साक्षात मिलने का वो पहला ही मौका था. वे राजेन्द्र यादव जी के साथ अत्यंत घनीष्ठता से बातें कर रहे थे. बाद में मालूम हुआ कि वे उनके अत्यंत आत्मीय हैं. मैं उन दोनों के पास पहुँचा तो वे राजेन्द्र यादव से बातचीत को रोक कर हठात मेरे पैरों पर झुक गये. कहना न होगा, मेरे साथ-साथ राजेंद्र जी भी चौंक गये. भरत भाई ने हार्दिक आत्मीयता और आवश्यक गांभीर्य के साथ मेरा राजेन्द्रजी से परिचय कराया.</p>
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<p>मैं अत्यंत विशिष्ट जनों के लिए आयोजित देर रात होने वाले डिनर तक के लिए पंकज सुबीर भाई द्वारा साग्रह रोक लिया गया था. उस बेहतरीन मौके का फायदा यह हुआ कि राजेंद्र जी और नामवरजी के साथ-साथ अन्य कई-कई लेखकों-साहित्यकारों से कई पहलुओं पर सापेक्ष बातें हुई थीं.</p>
<p>मैं अपनी आदत के मुताबिक साहित्य में धड़ल्ले से अन्यथा ही अपना लिये गये आचारों-व्यवहारों, जिनमें लेखन-प्रक्रिया के इतर की ही बातें अधिक होती हैं या विसंगतियों की श्रेणी में आती हैं, पर प्रश्न कर बैठा था. राजेंद्र जी मुस्कुराते रहे. उन्होंने कुछ सार्थक जवाब नहीं दिया था. लेकिन उन छः-सात घण्टों में ही उन्हें बहुत कुछ समझने की कोशिश की थी मैंने. बहुत कुछ जाना भी. यह अवश्य था कि उस दिन के विशिष्ट जमघट में नामवरजी से अधिक बड़े आकर्षण वही थे.</p>
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<p>राजेंद्रजी की विशिष्ट दुनिया से और उनके सहयोग से ख्याति प्राप्त कर चुके या कर रहे कई कथाकार-रचनाकार उपस्थित थे वहाँ. बहुत कुछ ऐसा जानने-सुनने को मिल रहा था जो उनकी प्रचारित हुई या ’प्रचारित करवायी गयी’ छवि के बिल्कुल उलट था. मैं चकित था कि यह शख़्स कितना हौसला रखता है !</p>
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<p>खैर, <strong>हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता..</strong> की तर्ज़ पर अब सारा कुछ मेरे मनस में जम गये अविस्मरणीय पलों की तरह विद्यमान रहेगा.</p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p> दुखद समाचार......विनम्र श्रद्…tag:openbooks.ning.com,2013-11-02:5170231:Comment:4663202013-11-02T04:43:37.031Zकल्पना रामानीhttp://openbooks.ning.com/profile/0qbqxqnenfmpi
<p>दुखद समाचार......विनम्र श्रद्धांजलि !!!</p>
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<p>दुखद समाचार......विनम्र श्रद्धांजलि !!!</p>
<p></p> दुखद समाचार......नमन.....भावभ…tag:openbooks.ning.com,2013-11-02:5170231:Comment:4662872013-11-02T01:17:09.842Zअजीत शर्मा 'आकाश'http://openbooks.ning.com/profile/AjeetSharmaAakash
<p>दुखद समाचार......नमन.....भावभीनी श्रद्धांजलि !!!</p>
<p>दुखद समाचार......नमन.....भावभीनी श्रद्धांजलि !!!</p> नके निधन से साहित्य का एक युग…tag:openbooks.ning.com,2013-11-01:5170231:Comment:4660702013-11-01T13:58:46.051Zबृजेश नीरजhttp://openbooks.ning.com/profile/BrijeshKumarSingh
<p>नके निधन से साहित्य का एक युग समाप्त हो गया. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे!</p>
<p>नके निधन से साहित्य का एक युग समाप्त हो गया. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे!</p> एक युग का अंत , दुखद समाचार ह…tag:openbooks.ning.com,2013-10-29:5170231:Comment:4638332013-10-29T15:49:14.710Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>एक युग का अंत , दुखद समाचार है ! मेरे और मेरे परिवार की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि !!! ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें !!!</p>
<p>एक युग का अंत , दुखद समाचार है ! मेरे और मेरे परिवार की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि !!! ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें !!!</p>