एक सुझाव - Open Books Online2024-03-29T14:45:13Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/5170231:Topic:300736?groupUrl=complainsujession&commentId=5170231%3AComment%3A300944&groupId=5170231%3AGroup%3A970&feed=yes&xn_auth=no:)))))))))))))))))))))))))))tag:openbooks.ning.com,2012-12-17:5170231:Comment:3014282012-12-17T14:27:42.980Zवीनस केसरीhttp://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
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<p>:)))))))))))))))))))))))))))</p> भाई अरुन अनन्त, आप जैसे सदस्य…tag:openbooks.ning.com,2012-12-17:5170231:Comment:3014262012-12-17T13:53:26.687ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>भाई अरुन अनन्त, आप जैसे सदस्यों का सक्रिय होना मंच की शोभा है. यह एक अनवरत प्रक्रिया है. चिंता यह नहीं कि कौन क्या कहता-सीखता है बल्कि कैसे सीखता है. इस सीखने में सबसे बड़ा पहलू गंभीरता का है.</p>
<p>रचनाओं पर टिप्पणियाँ देना भी इसी स्वाध्याय और सीखने का अभिन्न हिस्सा है. टिप्पणियों से ही इसका पता चलता है कि किसी पाठक ने किसी रचना को कितना हृदयंगम किया है. उसी तरह, आत्ममुग्धता से बचना भी उतना ही जरूरी है.</p>
<p>अपनी उपरोक्त टिप्पणी को एकबार फिर पढिये और बताइये कि क्या आपकी कुछ पंक्तियाँ जो…</p>
<p>भाई अरुन अनन्त, आप जैसे सदस्यों का सक्रिय होना मंच की शोभा है. यह एक अनवरत प्रक्रिया है. चिंता यह नहीं कि कौन क्या कहता-सीखता है बल्कि कैसे सीखता है. इस सीखने में सबसे बड़ा पहलू गंभीरता का है.</p>
<p>रचनाओं पर टिप्पणियाँ देना भी इसी स्वाध्याय और सीखने का अभिन्न हिस्सा है. टिप्पणियों से ही इसका पता चलता है कि किसी पाठक ने किसी रचना को कितना हृदयंगम किया है. उसी तरह, आत्ममुग्धता से बचना भी उतना ही जरूरी है.</p>
<p>अपनी उपरोक्त टिप्पणी को एकबार फिर पढिये और बताइये कि क्या आपकी कुछ पंक्तियाँ जो आप कहना चाहते हैं, वही कह रही हैं और लोग वही पढ़ पा रहे हैं ?</p>
<p>शुभेच्छाएँ.. .</p> मैं आदरणीय योगराज सर से सत प्…tag:openbooks.ning.com,2012-12-17:5170231:Comment:3011752012-12-17T12:29:55.861Zअरुन 'अनन्त'http://openbooks.ning.com/profile/ArunSharma
<p>मैं आदरणीय योगराज सर से सत प्रतिशत सहमत हूँ, वीनस भाई आपकी बातों में सत्यता है परन्तु जो आभास मुझे होता है वो ये है कि अभी इतनी भी रचनायें नहीं होती है, कि पढ़ी न जा सकें. अगर हम यहाँ आने वाले नए सदस्यों का उत्साह वर्धन नहीं करेंगे तो शायद उनका मनोबल टूट जायेगा और वो लोग यहाँ आने से कतरायेंगे. मैं अपना खुद का उदाहरण देता हूँ, कुछ महीनो पहले मैंने ओ बी ओ ज्वाइन किया, और शुरू-2 में मैं रोज 7-8 रचनायें पोस्ट कर देता था, उनमें कुछ रचनायें शामिल की जाती थीं और कुछ नहीं. जैसे-2 मुझे मार्ग दर्शन…</p>
<p>मैं आदरणीय योगराज सर से सत प्रतिशत सहमत हूँ, वीनस भाई आपकी बातों में सत्यता है परन्तु जो आभास मुझे होता है वो ये है कि अभी इतनी भी रचनायें नहीं होती है, कि पढ़ी न जा सकें. अगर हम यहाँ आने वाले नए सदस्यों का उत्साह वर्धन नहीं करेंगे तो शायद उनका मनोबल टूट जायेगा और वो लोग यहाँ आने से कतरायेंगे. मैं अपना खुद का उदाहरण देता हूँ, कुछ महीनो पहले मैंने ओ बी ओ ज्वाइन किया, और शुरू-2 में मैं रोज 7-8 रचनायें पोस्ट कर देता था, उनमें कुछ रचनायें शामिल की जाती थीं और कुछ नहीं. जैसे-2 मुझे मार्ग दर्शन मिला मेरी रचनाओं में कमियां आईं हैं, इसकी वजह सिर्फ ये है अब पहले की तरह लेखन नहीं रहा कुछ सुधार हो रहा है. मैं आपके द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए ग़ज़ल सीख रहा हूँ. आदरणीया प्राची दीदी से हौंसला पाकर और भ्राताश्री अम्बरीश जी द्वारा दिए गए निर्देशों से दोहों का प्रयास कर रहा हूँ. अगर मुझे यहाँ सहयोग नहीं मिलता तो शायद मैं भी यहाँ नहीं होता और निर्दोष पूर्ण लेखन के अंधेरों में कहीं भटक रहा होता. आशा करता हूँ कि आप सभी सहमत होंगे अगर कोई कटु शब्द या कुछ भी बुरा कह दिया हो तो क्षमा प्रार्थी हूँ.<br/>सादर <br/>अरुन शर्मा</p> भाई वीनस केसरी जी मैं आपके सु…tag:openbooks.ning.com,2012-12-17:5170231:Comment:3014072012-12-17T12:05:10.153Zयोगराज प्रभाकरhttp://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p><span>भाई वीनस केसरी जी मैं आपके सुझावों को बेहद संजीदगी से लेता हूँ । आज ओबीओ पर ग़ज़ल और मुशायरे का स्तर अगर ऊंचा हुआ है तो उसमे आपका बहुत बड़ा योगदान है जिसके लिए मैं हृदय से आभारी भी हूँ। <span>बहरहाल <span>मेरे सभी सुधि साथियों ने बहुत बढ़िया बातें की और सुन्दर सुझाव दिए। मैं स्वयं रचनायों की इस बाढ़ से जहाँ एक तरफ बतौर प्रधान सम्पादक बेहद प्रसन्न हूँ, वहीँ दूसरी तरफ गुणवत्ता को लेकर बेहद चिंतित भी हूँ। नए लिखने वालों के उत्साह के आगे बहुत बार समझौता भी करना पड़ता है। आखिर हमारा उद्देश्य…</span></span></span></p>
<p><span>भाई वीनस केसरी जी मैं आपके सुझावों को बेहद संजीदगी से लेता हूँ । आज ओबीओ पर ग़ज़ल और मुशायरे का स्तर अगर ऊंचा हुआ है तो उसमे आपका बहुत बड़ा योगदान है जिसके लिए मैं हृदय से आभारी भी हूँ। <span>बहरहाल <span>मेरे सभी सुधि साथियों ने बहुत बढ़िया बातें की और सुन्दर सुझाव दिए। मैं स्वयं रचनायों की इस बाढ़ से जहाँ एक तरफ बतौर प्रधान सम्पादक बेहद प्रसन्न हूँ, वहीँ दूसरी तरफ गुणवत्ता को लेकर बेहद चिंतित भी हूँ। नए लिखने वालों के उत्साह के आगे बहुत बार समझौता भी करना पड़ता है। आखिर हमारा उद्देश्य ’सीखना-सिखाना’ ही तो है। ऐसे मैं हमें अपरिक्व रचनायों से भी दो-चार होना पड़ेगा। दिन में जितनी रचनाएँ प्रकाशित होती हैं तकरीबन उतनी ही अस्वीकृत भी की जाती हैं। भाषा या वर्तनी सम्बन्धी त्रुटियाँ सुधार कर भी बहुत सारी रचनायों को स्थान दिया जाता है, केवल इसी उम्मीद में कि इन नए रचनाकारों ही में से कुछ अनमोल मोती यह मंच रचना संसार को अवश्य दे पायेगा। </span><br/><span> </span><br/><span>मानक तय किये जाने चाहियें, मानक तय हुए भी हैं, मानक तय होंगे भी। लेकिन मानकों की परिभाषा समय के साथ बदलती भी तो है। समय आने पर "दिन में एक रचना" क्या शायद हम लोग "एक हफ्ते में एक रचना" का ही प्रावधान कर दें। (तरही मुशायरे का उदहारण हम सभी के सामने है) मैं आप सभी को विश्वास दिलाता हूँ कि आपके सुझावों पर बेहद संजीदगी से विचार होगा, तथा मंच के हित में सर्वश्रेष्ठ करने की कोशिश जारी रहेगी। </span></span></span></p> // पुनः दोहराना चाहूँगा कि ओ…tag:openbooks.ning.com,2012-12-17:5170231:Comment:3011022012-12-17T10:54:34.986Zवीनस केसरीhttp://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p><strong> // पुनः दोहराना चाहूँगा कि ओ बी ओ अपने न्यूनतम बाटम लाइन को ऊपर अवश्य करेगा, किन्तु नए रचनाकारों का ध्यान सदैव रखा जायेगा //<br/><br/><br/><br/>गणेश जी आपके इस आश्वासन से संतुष्ट हूँ <br/>मेरा अनुरोध और आशय भी इसी तईं था<br/><br/>धन्यवाद <br/></strong></p>
<p><strong> // पुनः दोहराना चाहूँगा कि ओ बी ओ अपने न्यूनतम बाटम लाइन को ऊपर अवश्य करेगा, किन्तु नए रचनाकारों का ध्यान सदैव रखा जायेगा //<br/><br/><br/><br/>गणेश जी आपके इस आश्वासन से संतुष्ट हूँ <br/>मेरा अनुरोध और आशय भी इसी तईं था<br/><br/>धन्यवाद <br/></strong></p> तथ्यों को अनुमोदित करने हेतु…tag:openbooks.ning.com,2012-12-17:5170231:Comment:3011572012-12-17T08:24:42.601ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
<p>तथ्यों को अनुमोदित करने हेतु आभार आदरणीय सौरभ भईया, मैं आपकी बातों से पूर्णतया सहमत हूँ , नये रचनाकारों में नम्रता पहली शर्त होना चाहिए, आभासी दुनिया में शब्द ही बोलतें हैं, सदैव अपनी टिप्पणियों में यह ध्यान रखना होगा कि इसका असर या भाव सामने वाले के पास क्या जा रहा है |</p>
<p>तथ्यों को अनुमोदित करने हेतु आभार आदरणीय सौरभ भईया, मैं आपकी बातों से पूर्णतया सहमत हूँ , नये रचनाकारों में नम्रता पहली शर्त होना चाहिए, आभासी दुनिया में शब्द ही बोलतें हैं, सदैव अपनी टिप्पणियों में यह ध्यान रखना होगा कि इसका असर या भाव सामने वाले के पास क्या जा रहा है |</p> इस विशद और पूरी तरह से संतुष्…tag:openbooks.ning.com,2012-12-17:5170231:Comment:3010822012-12-17T08:15:14.593ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>इस विशद और पूरी तरह से संतुष्ट करते स्पष्टीकरण के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, भाई गणेशजी. कई मायनों में वीनस जी द्वारा उठाये गये प्रश्न की आवश्यकता बन गयी थी. ताकि उसके आलोक में ओबीओ के उद्येश्य पर एक बार पुनः चर्चा हो जाय. तथा नये रचनाकारों को यथासंभव सदेश भी दिया जा सके.</p>
<p>यह अवश्य ही है कि <strong>नये प्रस्तुतकर्ताओं और अभ्यासकर्ताओं के तथा अनुभवी रचनाकारों के मध्य एक ही रेखा नहीं खींची जा सकती. ऐसा करना नये रचनाकारों को हतोत्साहित करना हो जायेगा. या, यह उनके प्रति असंवेदनहीनता ही होगी.…</strong></p>
<p>इस विशद और पूरी तरह से संतुष्ट करते स्पष्टीकरण के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, भाई गणेशजी. कई मायनों में वीनस जी द्वारा उठाये गये प्रश्न की आवश्यकता बन गयी थी. ताकि उसके आलोक में ओबीओ के उद्येश्य पर एक बार पुनः चर्चा हो जाय. तथा नये रचनाकारों को यथासंभव सदेश भी दिया जा सके.</p>
<p>यह अवश्य ही है कि <strong>नये प्रस्तुतकर्ताओं और अभ्यासकर्ताओं के तथा अनुभवी रचनाकारों के मध्य एक ही रेखा नहीं खींची जा सकती. ऐसा करना नये रचनाकारों को हतोत्साहित करना हो जायेगा. या, यह उनके प्रति असंवेदनहीनता ही होगी. सर्वोपरि यह ओबीओ का उद्येश्य ही नहीं है.</strong> उद्येश्य को पुनः रेखांकित करने के लिए गणेश भाई को पुनः धन्यवाद.</p>
<p>लेकिन यह भी आवश्यक है कि नए रचनाकार मात्र सुनाने पर अधिक जोर न दें. वैसे, यह भी अवश्य है कि हर नया लिखने वाला अधिक से अधिक सुना जाना पसंद करता है. लेकिन <strong>संयम, नम्रता और निरंतरता ही किसी नये रचनाकार को प्रबुद्ध करती है. चाहे रचना अतुकांत रचना ही क्यों न हो, लिखने के क्रम में नियमानुकूल होना, संयत होना और विधानुसार (अतुकांत रचनाओं की भी एक विधा है) बहुत ही आवश्यक है. अन्यथा उस रचनाकार की प्रगति रुक ही नहीं जाती, वह अप्रासंगिक हो जाता है.</strong> ऐसे कई-कई उदाहरण इस मंच ने भी देखे हैं.</p>
<p>अतः नये रचनाकारों द्वारा जानकार, पुराने और समृद्ध रचनाकारों को पढ़ना, उन्हें गुनना और समझना बहुत ही आवश्यक है. और इस हेतु मंच भी होना चाहिये जहाँ तदनुरूप अभ्यास भी चलता रहे. ओबीओ ऐसा ही एक मंच है.</p>
<p>गणेशभाई समुच्चय में तथ्यों को रखने के लिए पुनः धन्यवाद.</p> //इससे भी समस्या का निदान हो…tag:openbooks.ning.com,2012-12-17:5170231:Comment:3011532012-12-17T07:51:46.117ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
<p>//इससे भी समस्या का निदान हो सकता है बशर्ते <strong>रचना विधान</strong> को ध्यान में रखते हुए नए व पुराने सभी सदस्यों की रचना को अनुमोदित करते समय <strong>एक ही मानक</strong> का पालन किया जाये//</p>
<p>वीनस जी, सबसे पहले तो ओ बी ओ को भली भाति समझने की आवश्यकता है, यह कोई व्यक्तिगत ब्लॉग नहीं है जो रचनाओं को आमंत्रित करें उनमे से अपने मानक के अनुसार रचनाएँ प्रकाशित कर दें. ओ बी ओ शुरू से ही इस उद्देश्य के साथ चला है कि <span id="31_TRN_1h">अच्छे और जानकार रचनाकारों की संगत में</span> रह कर नए…</p>
<p>//इससे भी समस्या का निदान हो सकता है बशर्ते <strong>रचना विधान</strong> को ध्यान में रखते हुए नए व पुराने सभी सदस्यों की रचना को अनुमोदित करते समय <strong>एक ही मानक</strong> का पालन किया जाये//</p>
<p>वीनस जी, सबसे पहले तो ओ बी ओ को भली भाति समझने की आवश्यकता है, यह कोई व्यक्तिगत ब्लॉग नहीं है जो रचनाओं को आमंत्रित करें उनमे से अपने मानक के अनुसार रचनाएँ प्रकाशित कर दें. ओ बी ओ शुरू से ही इस उद्देश्य के साथ चला है कि <span id="31_TRN_1h">अच्छे और जानकार रचनाकारों की संगत में</span> रह कर नए रचनाकार कुछ सीख सके, कहीं ऐसा न हो कि मानक के चक्कर में मंच के उद्देश्यों को भूल जाये | साहित्य हेतु मानक कोई फिजिकल स्केल नहीं होता यह एक बौद्धिक स्केल है जो अलग अलग व्यक्तियों का अलग अलग हो सकता है, अभी भी अनुमोदन कोई ना कोई मानक के आधार पर ही किया जाता है |</p>
<p>//ऐसा सर्वथा अनुचित लगता है कि नए सदस्य एक दिन में ४ - ५ स्तरहीन रचना पोस्ट करें और उत्साह वर्धन के लिए उनकी सभी पोस्ट को एक ही दिन में अनुमोदित कर दिया जाये और पुराने सदस्य से अपेक्षा की जाए कि वो बढ़िया से बढ़िया ही लिखेंगे ....//</p>
<p>जब पूर्व में ही कहा जा चूका है कि प्रबंधन अपने मानको को और कड़ा करेगा तो फिर इस टिप्पणी का क्या अर्थ है, यदि पुराने सदस्यों से बढ़िया लिखने की अपेक्षा की जाय तो इसमें गलत क्या है |</p>
<p>जिन पाठकों को लगता है कि फलां रचना अच्छी नहीं है तो कौन कहता है कि आप वाह-वाह करिए ही या टिप्पणी करिए ही, कोई भी शुरूआती दौर से ही अच्छा नहीं लिखने लगता, इसी ओ बी ओ पर हम सबने नए रचनाकारों को उत्तरोत्तर प्रगति करते हुए देखा है, यदि उन्हें मंच नहीं मिलता तो क्या वो प्रगति कर पाते ?</p>
<p>//<strong>बात तभी बनेगी जब </strong>नए पुराने सदस्यों के प्रति अलग रवैया ना रखा जाये और मंच में ब्लॉग पोस्ट होने का निश्चित मानक निर्धारित हो जो कि रचना शिल्प और विधान को संतुष्ट करता हो//</p>
<p>क्या अभी तक ओ बी ओ बगैर मानक के चलते रहा है ? भ्रम और भुलावे में रहना ठीक नहीं, पहले भी मानक था अब भी है और भविष्य में भी रहेगा | पुनः दोहराना चाहूँगा कि ओ बी ओ अपने न्यूनतम बाटम लाइन को ऊपर अवश्य करेगा, किन्तु नए रचनाकारों का ध्यान सदैव रखा जायेगा |</p>
<p>//नहीं तो, शानदार..., बहुत बढ़िया....., क्या कहने .... लिखकर आगे बढ़ जाने के अतिरिक्त क्या विकल्प बचेगा //</p>
<p>यह कोई जरुरी नहीं, कि इस तरह कि टिप्पणी की ही जाय, या जो रचनाएँ सदस्यों को पसंद न हो उसपर टिप्पणी करी ही जाय | मैंने अच्छी रचनाओं पर अच्छे साहित्यकारों द्वारा शानदार..., बहुत बढ़िया....., क्या कहने .... लिखकर आगे बढ़ते देखा है, हद तो तब होती है जब आयोजनों में अच्छे साहित्यकार आतें हैं और १० मिनट में २० रचनाओं के ऊपर टिप्पणियाँ देकर अपनी रचना पोस्ट करने हेतु एक मनोवैज्ञानिक कुशन तैयार करते है और अपनी रचना पोस्ट कर चल देतें है | क्या ये सब बातें प्रबंधन के संज्ञान में नहीं है ? सब है ...</p>
<p></p> आदरणीय प्रबंध समिति व सदस्यगण…tag:openbooks.ning.com,2012-12-16:5170231:Comment:3010282012-12-16T20:19:25.971Zवीनस केसरीhttp://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>आदरणीय प्रबंध समिति व सदस्यगण</p>
<p>अब चर्चा के बाद मेरे इस सुझाव का एक पक्ष यह भी हो सकता है कि पहले प्रबंधन समूह एक कड़ा मानक स्थापित करे और फिर अगर नए सदस्यों को प्रोत्साहित करने के लिए कोई रचना मंच के मानक से नीचे होते हुए भी अनुमोदित करनी ही पड़े तो प्रोत्साहन स्वरूप ऐसे रचनाकार की एक दिन में केवल १ रचना का अनुमोदन हो तो ही उचित है</p>
<p>एक़ दिन में एक रचनाकार की ऐसी ४- ५ रचना को अनुमोदित करने से बचा जाये और पुराने सदस्यों को यह छूट कम से कम मिले</p>
<p>मानक पर खरी उतरती रचना पर संख्या…</p>
<p>आदरणीय प्रबंध समिति व सदस्यगण</p>
<p>अब चर्चा के बाद मेरे इस सुझाव का एक पक्ष यह भी हो सकता है कि पहले प्रबंधन समूह एक कड़ा मानक स्थापित करे और फिर अगर नए सदस्यों को प्रोत्साहित करने के लिए कोई रचना मंच के मानक से नीचे होते हुए भी अनुमोदित करनी ही पड़े तो प्रोत्साहन स्वरूप ऐसे रचनाकार की एक दिन में केवल १ रचना का अनुमोदन हो तो ही उचित है</p>
<p>एक़ दिन में एक रचनाकार की ऐसी ४- ५ रचना को अनुमोदित करने से बचा जाये और पुराने सदस्यों को यह छूट कम से कम मिले</p>
<p>मानक पर खरी उतरती रचना पर संख्या का प्रतिबंध न लगया जाये</p>
<p>परन्तु तब नियम में उल्लेख न होने के कारण प्रबंधन समिति का कार्य कई गुना बढ़ जायेगा क्योकि तक हर रचना की मानीटरिंग में और समय देना पड़ेगा</p>
<p>अस्तु जैसा मंच के लिए सर्वोचित हो ....</p>
<p><strong> </strong></p> /// निचोड़ :- ओ बी ओ प्रबंधन…tag:openbooks.ning.com,2012-12-16:5170231:Comment:3009802012-12-16T20:10:11.717Zवीनस केसरीhttp://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p><strong>/// निचोड़ :- ओ बी ओ प्रबंधन किसी रचनाकार की रचनाओं को संख्याबल के आधार पर सिमित नहीं करेगा | गुणवत्ता मानकों को और कठोर करेगा जिससे स्तरीय रचनायें प्रकाशित हो सके | ///<br></br><br></br></strong>गणेश जी <br></br>निश्चित ही अधिक संख्या से कोई दिक्कत नहीं है स्तरहीन रचनाएं ही चिंता का कारण है और मैं इस नीचोड़ से सहमत हूँ <br></br>यह पहले से किया जा रहा है पोस्ट को अनुमोदन के लिए रोकने का एक मुख्य आशय यह भी रहा है<br></br>इससे भी समस्या का निदान हो सकता है बशर्ते <strong>रचना विधान</strong> को ध्यान में…</p>
<p><strong>/// निचोड़ :- ओ बी ओ प्रबंधन किसी रचनाकार की रचनाओं को संख्याबल के आधार पर सिमित नहीं करेगा | गुणवत्ता मानकों को और कठोर करेगा जिससे स्तरीय रचनायें प्रकाशित हो सके | ///<br/><br/></strong>गणेश जी <br/>निश्चित ही अधिक संख्या से कोई दिक्कत नहीं है स्तरहीन रचनाएं ही चिंता का कारण है और मैं इस नीचोड़ से सहमत हूँ <br/>यह पहले से किया जा रहा है पोस्ट को अनुमोदन के लिए रोकने का एक मुख्य आशय यह भी रहा है<br/>इससे भी समस्या का निदान हो सकता है बशर्ते <strong>रचना विधान</strong> को ध्यान में रखते हुए नए व पुराने सभी सदस्यों की रचना को अनुमोदित करते समय <strong>एक ही मानक</strong> का पालन किया जाये <br/>ऐसा सर्वथा अनुचित लगता है कि नए सदस्य एक दिन में ४ - ५ स्तरहीन रचना पोस्ट करें और उत्साह वर्धन के लिए उनकी सभी पोस्ट को एक ही दिन में अनुमोदित कर दिया जाये और पुराने सदस्य से अपेक्षा की जाए कि वो बढ़िया से बढ़िया ही लिखेंगे ....<strong><br/><br/>बात तभी बनेगी जब </strong>नए पुराने सदस्यों के प्रति अलग रवैया ना रखा जाये और मंच में ब्लॉग पोस्ट होने का निश्चित मानक निर्धारित हो जो कि रचना शिल्प और विधान को संतुष्ट करता हो <br/><br/>नहीं तो, शानदार..., बहुत बढ़िया....., क्या कहने .... लिखकर आगे बढ़ जाने के अतिरिक्त क्या विकल्प बचेगा <strong><br/><br/>आप सभी प्रबुद्धजन ने मेरे सुझाव पर अपना मत प्रकट किया इसके लिए आभारी हूँ <br/>प्रबंधन समिति का भी आभारी हूँ <br/></strong></p>